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                       भारत के विचित्र गाँव
 जैसे 
						विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं हैं
 
 
						११- रघुराजपुर जहाँ हर व्यक्ति 
						कलाकार है
 'रघुराजपुर' ओड़िसा के पुरी जिले का 'विरासत हस्तशिल्प 
						ग्राम' है। २००० में उड़ीसा के इस गाँव को राज्य के पहले 
						हैरिटेज गाँव का तमगा मिला था। यह अपने सुन्दर पट्टचित्रों 
						के कारण प्रसिद्ध है। पट्ट एक उड़िया शब्द है जिसका मतलब 
						होता है कैनवास और चित्र यानी कि तस्वीर, पेंटिंग। 
						पट्टचित्र कला की शुरुआत १२वीं सदी में हुई थी लेकिन इस 
						कलाकारी का इतिहास ५वीं शती तक जाता है। इन कलाकृतियों को 
						बनाने के लिए जिस कैनवास का इस्तेमाल होता है वह नारियल के 
						पेड़ की लकड़ी से बना होता है। इसके अलावा यह गोतिपुआ 
						नृत्य के लिये भी प्रसिद्ध है जो ओड़िसी नृत्य का 
						पूर्ववर्ती नृत्य है। ओड़िसी नृत्य के मह साधक एवं गुरू 
						केलुचरण महापात्र की जन्मभूमि भी यही है। इनके अलावा यह 
						गाँव तुसार चित्रकला, तालपत्रों पर चित्रकारी, पत्थर एवं 
						काष्ठकला, गोबर और कागज की लुगदी के खिलौने आदि के लिये भी 
						प्रसिद्ध है। लगभग ३०० की जनसंख्या वाले इस गाँव का हर 
						व्यक्ति कलाकार है।
 
 इन कलाकारों के यहाँ १०० से ज़्यादा घर हैं। हर घर अपने आप 
						में बेहतरीन ख़ूबसूरती को समेटे हुए है। मंदिरों की एक 
						पूरी श्रृंखला है। रघुराजपुर गाँव के लोगों में बस दो ही 
						चीज़ें बसती हैं, आस्था और कला - एक अगर यहाँ के लोगों के 
						लिए साँस की तरह है तो दूसरी आत्मा है। यहाँ की कलाकृतियों 
						में भगवान जगन्नाथ व दूसरे देवी देवताओं से जुड़ी पौराणिक 
						कहानियाँ देखने को मिलती हैं।
 
						
						 १ 
						नवंबर २०१८ |