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घर परिवार- वास्तु विवेक


भूखण्ड (प्लाट) का चुनाव 
विमल झाझरिया 



भवन निर्माण में भूमि अथवा भूखण्ड के चुनाव का बहुत महत्व होता है। सुविधापूर्ण वातावरण, हरियाली तथा जल की उपलब्धि आदि महत्वपूर्ण मुद्दों के अलावा हमें यह भी देखना चाहिए कि जिस भूमि पर हम भवन निर्माण करने जा रहे हैं, वह इस निर्माण के योग्य है कि नहीं। प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र में भूमि के चयन के नियम विस्तार से बताए गए हैं। भूखण्ड का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • १- गृह निर्माण के लिए वही भूमि उपयोगी होगी जो मध्य में उठी हुई हो तथा पूर्व और पूर्वोत्तर में झुकी हुई (ढाल) हो।

  • २- गृह निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि ठोस होनी चाहिए। जो भूमि ठोस नहीं वह गृह निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होगी। भूमि की मिट्टी परीक्षण अवश्य करानी चाहिए। इस प्रकार के परीक्षण के लिए वैज्ञानिक विधियाँ प्रायः सभी जगह उपलब्ध हैं।

  • ३- गृह निर्माण के लिए चार कोण वाले भूखण्ड ही उपयुक्त होते हैं, चाहे वे वर्गाकार हों अथवा आयताकार।

  • ४- दक्षिण–पश्चिम दिशाओं में ऊंचाई अधिक होने वाले भूखण्ड भी ठीक होते हैं।

  • ५- पूर्व से पश्चिम की ओर लम्बाई वाले भूखण्ड पर बनने वाले मकान सूर्य वेधी होते हैं। इसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की लम्बाई वाले चन्द्र वेधी होते हैं। धन वृद्धि के लिए चन्द्र वेधी मकान उपयुक्त होते हैं।

  • ६- भूखण्ड में ज्यादा कंकड़–पत्थर अथवा जंगली पेड़–पौधे नहीं होने चाहिए।

  • ७- बड़े वृक्ष भूखण्ड के दक्षिण एवं पश्चिम में होने चाहिए।

  • ८- भूखण्ड के ऊपर से किसी भी प्रकार के बिजली के तार आदि नहीं गुजरने चाहिए।

  • ९- भूखण्ड के चारों कोने यथा सम्भव ९० डिग्री के होने चाहिए। यदि उत्तर पूर्व कोना बाहर की तरफ निकला हुआ है यानी ९० डिग्री से कम है, यह बहुत अच्छा होता है। टेढ़े–मेढ़े आकार के अथवा अधिक कोनों वाले भूखण्ड अच्छे नहीं होते।

  • १०- आयताकार भूखण्ड में लम्बाई–चौड़ाई का अनुपात १:२ से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

  • ११- कुछ भूखण्डों का मुँह आगे की तरफ चौड़ा और पीछे की तरफ संकरा होता है। ऐसे भूखण्ड शेर मुखी या सिंह मुखी कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड व्यापारिक कार्यों अथवा कारखना लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं।

  • १२- कुछ भूखण्डों का मुँह आगे से संकरा और पीछे ज्यादा चौड़ा होता है, ऐसे भूखण्ड गौ–मुखी कहलाते हैं। इस प्रकार के भूखण्ड निजी आवास के लिए सर्वश्रेष्ठ होते हैं।

  • १३- गोल भूखण्ड किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

  • १४- त्रिभुजाकार (त्रिकोण) भूखण्ड भी किसी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

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