मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ  

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस माह प्रस्तुत है
नॉर्वे से डॉ.सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' की कहानी— 'दुनिया छोटी है'


मेज़ पर मोमबत्तियाँ जल रही है। नार्विजन गीतों की धुनें वातावरण को संगीतमय बनाने का प्रयास कर रही है। मोमबत्तियाँ वातावरण को शुद्ध सुगंधमय बना रही हैं। जहाँ तक भी दृष्टि जाती चहुँ ओर लोग टोलियों एवं जोड़ियों में खड़े हुए वार्तालाप करते हुए क्रिसमस का आनंद ले रहे थे।

मैं मूर (नार्वेजीय भाषा में माँ को मूर कहते हैं) के साथ यहाँ आया हूँ। चाहे मूर ने हमें जन्म भले ही नहीं दिया। परंतु प्रेम अवश्य ही उसने मुझे अपनों से अधिक दिया है। वह मेरे समीप एक युवती को लेकर आई, "मैं तुम्हारा परिचय करवाती हूँ एक सुंदर नवयुवक से।"

गुलाबी झिल्लीदार शमीज - जैसे वस्त्र ऊपर पहने और नीचे पाँवों में काली स्लैक्स। पुरानी भारतीय फिल्मों की नृत्यांगना हेलन का स्मरण हो आया। नीली आँखें, पुष्ट शरीर, उसके शरीर के अंग-अंग छलक रहे थे, जैसे अनजाने में उसने मेरे मन रूपी तालाब में अपने सौंदर्य का एक ही कंकड़ अपनी नयन दृष्टि से फेंका हो और मेरे मन रूपी तालाब में हलचल मचा दी हो।


पृष्ठ- . . .

आगे—

 
1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।