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नाटक

नाटकों के स्तंभ में प्रस्तुत है डा शिबन कृष्ण रैणा का नाटक 'श्रीभट्ट'


(सुलतान जैनुलाबदीन 'बड़शाह' (1420-1470 ई .) कश्मीर के एक बड़े ही लोकप्रिय, प्रजावत्सल एवं कलाप्रिय शासक हुए हैं। जनता आदर और प्यार से उन्हें 'बड़शाह' यानी बड़ा राजा के नाम से पुकारती थी। कहते हैं कि एक बार उनके शरीर पर छाती के ऊपर एक जानलेवा फोड़ा हुआ जिसका इलाज बड़े से बड़े हकीम और वैद्य भी न कर सके। ईरान, अफ़गानिस्तान, तुर्किस्तान आदि मुल्कों से नामवर हकीमों को बुलाया गया मगर वे सभी नाकाम रहे। तब कश्मीर के ही एक हकीम पंडित श्रीभट्ट ने अपनी समझदारी और अनुभव से 'बड़शाह' का इलाज किया और उनके फोड़े को ठीक कर उन्हें सेहत बख्शी। बादशाह सलामत ने इस एहसान के बदले में श्रीभट्ट के लिए शाही खज़ानों के मुंह खोल दिए और उन्हें कुछ मांगने के लिए अनुरोध किया। श्रीभट्ट ने जो मांगा वह कश्मीर के इतिहास का एक ऐसा बेमिसाल पन्ना है जिसपर समूची कश्मीरी पंडित बिरादरी को गर्व है।)
पात्र—
सुलतान जैनुलाबदीन 'बड़शाह' – 15 वीं शती के कश्मीर के लोकप्रिय शासक
पंडित श्रीभट्ट – प्रसिद्ध हकीम
शाहज़ादा हैदर – शाह सुलतान का बेटा
हकीम मंसूर – शाही हकीम
श्रीवर, सोम पंडित – प्रसिद्ध कवि एवं विद्वान
हलमत बेग – एक वयोवृद्ध दरबारी
रमज़ान खां, सुखजीवन लाल दो पड़ौसी एवं अन्य दरबारी
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