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फुलवारी खोज-कथाएँ

अमेरिका की खोज

३ अगस्त १४९२ कोलंबस क्रिस्टोफ़र कोलंबस स्पेन के पालोस सागर तट से अटलांटिक सागर के रास्ते पश्चिम की ओर बढ़ा। उसके पास सांता मारिया, नीना और पिंटा नाम के तीन जहाज़ थे। उसका उद्देश्य पश्चिम की ओर तब तक चलते जाना था जब तक वह एशिया (इंडीस) न पहुँच जाए। इंडीस के सोने, मोती और मसालों की कहानी तब तक यूरोप पहुँच चुकी थी। कनेरी द्वीप उसकी यात्रा के पहले पड़ाव थे जहाँ खराब मौसम के कारण उसको ६ सितंबर तक रुके रहना पड़ा। जब उसे धरती का किनारा दिखाई दिया तो उसे लगा कि वह भारत पहुँच गया है। लेकिन वह एक नई दुनिया थी जिसे बाद में वेस्ट इंडीज़ के नाम से जाना गया।

अमेरिका को अपना नाम, अमेरिगो वेस्पुक्की नामक एक इतालवी नाविक के नाम से मिला जिसने पहली बार १४९७ में अमेरिका पर पाँव रखा।

लेकिन इससे भी पहले स्कैंडिनेवियन यात्री एरिक द रेड ९८५ में अमरीकी महाद्वीप के उत्तरी किनारे ग्रीनलैंड पहुँचा। उसके बेटे लीफ़ इरिक्सन ने खोज का यह अभियान जारी रखा और १००० या १००१ में ग्रीनलैंड से दक्षिण पश्चिम की ओर बढ़ते हुए उत्तरी कैनेडा के द्वीपों से होता हुआ नई दुनिया के समुद्रतट पर पहुँचा।

 


यह प्रदेश उसे इतना पसंद आया कि ग्रीनलैंड वापस लौटने से पहले सारी सर्दियाँ उसने कैनेडा में ही बिताईं।

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१० मार्च २००८

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