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माँ दुबारा सिसकने लगी। नेहा को माँ का यह प्रलाप वाहियात लग रहा था, उसने गुस्से से कहा, "वह डेट पर गयी है व्यभिचार करने नहीं।''
"हाय वह फिरंगी के साथ चली गयी। उसने हम सबका धर्म भ्रष्ट कर दिया।''
"माँ धर्म तो उसी दिन भ्रष्ट हो गया था, जब इस धरती पर कदम रखा था। याद है हम दोनों को एक किरस्तीन नर्स ने पैदा किया था।''
माँ की हिचकियाँ कुछ शांत हुईं, मगर यह कह कर नेहा ने माँ का जख्म फिर हरा कर दिया, "देस में भी हम बिरादरी बाहर हो चुके होंगे। याद करो तुम्हारी बहन रुक्मिणी ने लिखा था कि देस में बडी तेज अफवाह है कि हम सब लोग ईसाई हो गये हैं।''
नेहा ने जैसे जख्म पर नमक छिड़क दिया था। माँ ने ड्राअर से सैड़ेटिव की एक और गोली निकाली और निगल गयी। नेहा ने गोलियों का पत्ता अपनी जेब में रख लिया और कमरे से बाहर निकल आयी।

अपने कमरे में जाकर वह सी डी पर तेज आवाज में 'आई जस्ट कैंट स्टाप लविंग यू' सुनते हुए बेतहाशा नाचने लगी। वह इस समय कुछ भी सोचना न चाहती थी, न माँ के बारे में न बहन के बारे में। नाचते नाचते वह थक कर बिस्तर पर गिर पडी। बाहर कोई कालबेल बजा रहा था।

नेहा को इतने वर्षों के बाद आज भी याद है कि कालबेल की आवाज सुन कर भी वह अनमनी लेटी रही थी। नेहा को पल भर में ही पता चल गया था कि शीनी लौट आयी है। गुस्से में उसने कालबेल पर जो अंगूठा दबाया था, उसे दबा ही रहने दिया। यह हरकत शीनी के अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता था। शीनी को अब कालबेल की चिन्ता नहीं रह गयी थी। कालबेल चाहे जल कर राख हो जाए, दरवाजा फौरन खुलना चाहिए। नेहा ने यही किया। वह दौड़ती हुई गयी और साँकल हटा दी।

"सो रही थी क्या, कब से घंटी बजा रही हूँ।''
शीनी अकेली नहीं थी, साथ में एक लड़का भी था। गोरा। शीनी ने लड़के से परिचय कराया, "माई फ्रेण्ड निक।''
नेहा ने हाथ बढाया, "हाई! नेहा हेयर।''
निक मुस्कराया। लड़कियों की तरह उसके गालों में डिम्पल उभरे और विलीन हो गये। उसकी नीली आँखें किसी बिल्ली की आँखों की तरह चमक रही थीं। ठुड्डी पर बकरे की तरह कहीं कहीं बाल दिखायी दे रहे थे। निक शीनी की बगल में ही खडा था। नेहा को यह देख कर निराशा हुई कि निक शीनी से कद में एक ड़ेढ इंच ही लम्बा था। नेहा कहा करती थी कि ऐसा ब्वाय फ्रेण्ड किस काम का जो कद काठ में आठ दस इंच भी बडा न हो।
"मॉम कहाँ हैं?'' शीनी ने लिविंग रूम में निक को सोफे पर बैठने का इशारा किया।
"सो रही हैं।'' नेहा बोली, "हाउ वाज द डेट?''
"क्वायट बोरिंग।'' जवाब निक ने दिया, "बस यही एक उपलब्धि रही कि शीनी को चाय पिलाने ले जा सका। उसने हाथ थामने की भी औपचारिकता नहीं निभायी।''
"मॉम तो इसी गम में सेडेटिव लेकर सो गयीं कि किसी अजनबी ने उसकी बिटिया का हाथ न थाम लिया हो।''
"वेयर इज योर ग्रेट मॉम?''
"बेडरूम में।''
"क्या मैं वहाँ जा सकता हूँ?''
"बिल्कुल नहीं।'' शीनी गुर्रायी, "देखो मेरे जाने से घर में कितनी अशांति फैल गयी।''
"अशांति दूर करने ही मैं तुम्हारे साथ आया हूँ।'' निक उठा और जेब से कार की चाबी निकाल कर बेडरूम के दरवाजे पर दस्तक देने लगा।
"यह तो हमारा बेडरूम है।'' नेहा को हँसी का दौरा पड़ गया।

निक को दूसरे बेडरूम का दरवाजा खोजने में देर न लगी। नेहा हँस रही थी और वह दरवाजे पर धीरे धीरे टिक टिक करता रहा। भीतर कोई स्पंदन न हुआ। टिक टिक की धीमी आवाज स्पष्ट सुनाई देने से आभास हो रहा था कि घर में कितना सन्नाटा है। सन्नाटा था, मगर सूनापन नहीं था। कैनेडा के अधिसंख्य घरों में प्राय: निर्जन सड़कों का सन्नाटा घर के भीतर घुस आता है, धूल की तरह। नामालूम तरीके से।
"तुम बैठो निक, मैं मॉम को बुला कर लाती हूँ।'' नेहा बोली।
निक को राहत महसूस हुई, वरना वह ऊब और विरक्ति से घिरता जा रहा था।
"तुम्हारी क्या खिदमत की जाए?'' शीनी ने निक से पूछा।
"जस्ट होल्ड माई हैण्ड। न्यूनतम यही माँग सकता हूँ।''
"नथिंग डूईंग।'' शीनी ने कहा, "लगता है तुम्हारी खैरियत इसी में है कि तुम चुपचाप लौट जाओ।''
"आज तो मैं फैसला करके ही लौटूँगा।''
"काहे का फैसला?''
"अपने और तुम्हारे भविष्य का।''
"लगता है तुम्हारे ग्रह गर्दिश में हैं। मैं तुम्हें पहले ही आगाह कर चुकी हूँ कि अपने मॉम या डैड के किसी प्रकार के भी व्यवहार के लिए जवाबदेह नहीं हूँगी। अंडरस्टैण्ड।''

भीतर कमरे से नेहा और मॉम की फुसफसाहट कमरे से बाहर रेंग रही थी। शीनी की जान में जान आयी कि निक के आने की बात सुन कर माँ ने विलाप नहीं शुरू कर दिया। माँ सक्षम थी कि अचानक पंजाबी शैली में विलाप शुरू कर देती। उस समय उनका विवेक भी साथ छोड़ जाता है। घर में इसे 'सीन क्रिएट करना' कहा जाता था। शीनी को यह एक अच्छा लक्षण लगा। वह तो मानसिक रूप से अपने को इसके लिए तैयार करके लौटी थी कि उसको देखते ही घर में कुहराम मच जाएगा। उसे लगा, नेहा बहुत सकारात्मक भूमिका निभा रही है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए शीनी भी कमरे में घुस गयी।
"मॉम मैं आ गयी। सही सलामत। पाक साफ।'' शीनी ने माँ के बालों में अंगुलियाँ चलाते हुए कहा, "मुझ पर भरोसा रखो मॉम। देखो, बाहर मेरा दोस्त आया है। वह क्या राय बनाएगा हम लोगों के बारे में। चलो उठो, वह तुम्हारे हाथ के चीज पकौड़े खाना चाहता है। उठो, उठो, मेरी बहुत अच्छी माँ।''

शील ने आखें खोलीं। अपने ऊपर झुका बेटी का मासूम निष्पाप चेहरा देखा। एक उपालम्भ भरी नजर से उसे देखा और गले लगा दिया। माँ की दृष्टि में लाड़, शिकायत, ममत्व, असहजता, रूठने आदि का ऐसा मिलाजुला भाव था कि शीनी को भी रुलाई आ गयी। नेहा दोनों को अकेला छोड़ चुपचाप बाहर निकल आयी कि निक को उसके हाल पर नहीं छोड़ देना चाहिए। वह अपने को अटपटी स्थिति में पा रहा होगा कि दोनों बहनें उसे छोड़ कर कहाँ गायब हो गयीं।

निक कमरे में नहीं था। नेहा ने सब जगह देख लिया। दीदी के बेडरूम में देख आयी, रसोई में भी झांक लिया, बाथरूम भी खाली थे। ऐसे मनहूस और गैरदोस्ताना माहौल में कौन बैठना पसंद करेगा। वह माँ और बहन दोनों को कोसते हुए सोफे पर धंस गयी और टी.वी. खोल लिया। वह देर तक चैनल बदलती रही। उसने कुछ ही देर में साठ सत्तर चैनलों का सफर तय कर लिया। कोई भी चैनल उसे बाँध नहीं पाया। उसने टी.वी. बंद कर दिया और इंतजार करने लगी कि कमरे से कोई बाहर आये। कमरे से न माँ नमूदार हुई न बहन। उसकी भी भीतर जाने की इच्छा न हुई। वह दरवाजा खोल बाहर निकल गयी। उसकी कुछ देर टहलने की इच्छा हो रही थी। उसने देखा बाहर लान में कोई सूखे पत्ते बुहार रहा था। वह कोई दूसरा नहीं, निक था। उसने लान के बीचोबीच सूखे पत्तों का एक पिरामिड सा निर्मित कर लिया था और अब उसकी होली जलाने की तैयारी कर रहा था।

"निक तुम यहाँ हो। मैं तुम्हें पूरे घर में ढँढ आयी हूँ।''
"तुम लोगों का लान कितना निगलैक्टिड है। मैं हफ्ते में एक बार रेकिंग और मोईंग कर दिया करूँगा। डैडी से पूछना, इस काम के लिए कितना मेहनताना देंगे।''
"मेरे डैड की गार्डनिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है।''
"मॉम की।''
"वह उनकी सहकर्मिणी हैं।'' नेहा ने पूछा, "यह अचानक आपको लान की सफाई की क्या सूझी?''
"मैं खाली नहीं बैठ सकता। यह मेरी कमजोरी है।''
"हमारा लान कभी इतना साफ सुथरा नहीं था निक।'' नेहा ने कहा, "थैंक्यू सो मच।''
"तुम्हारी बहन को तो थैंक्यू कहने में भी तकलीफ होती है।''
"क्यों निक, पहली फुर्सत में ही मेरी बुराई करने लगे।'' शीनी ने बाहर आकर अपना नाम सुना तो बोली, "वाऊ! निक, तुम तो बहुत अच्छे माली हो। थक गये होगे, भीतर चलो तुम्हें गर्मागर्म चाय पिलायें।''

निक ने काम में जुटने से पहले अपनी जीन्स के पांयचे मोड़ लिये थे, आस्तीनें चढा ली थीं। उसने पत्तों में आग लगा दी तो आग के प्रकाश में उसका चेहरा दिप दिप करने लगा। बाहर ठंडी बर्फीली हवा चल रही थी। दोनों बहनें सीने से बाहें चिपकाये खडी थीं। सूखे पत्ते चटचटाते हुए जल रहे थे। तीनों को यह तपिश बहुत सुखद और आरामदेह लग रही थी। निक ऐसे मुस्तैद खडा था जैसे फायर बिग्रेड का कोई कर्मचारी हो। पत्ते बहुत तेजी से जल कर राख हो गये।
"निक तुम तो इस मुद्रा में खड़े हो जैसे कोई किला फतेह करने निकले हो।'' शीनी बोली।
"निकला तो इसी इरादे से था, मगर तुम परिणति देख ही रही हो।'' वह हँसा। उसके आगे के दांतों के बीच थोडी खाइयाँ थीं।''
"चलो भीतर चलो। तुम्हें अपनी माँ से मिलवा दूँ।''
"मुझे घुसपैठिया तो न समझ लेंगी?''
"वह तो तुम हो ही।'' शीनी ने कहा।

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क्रमशः

 
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