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पर्व पंचांग  २८. १. २००८

इस सप्ताह
यू.के. से तेजेंद्र शर्मा की कहानी देह की कीमत
हरदीप ने पम्मी को अपने किसी रिश्तेदार के विवाह में देख लिया था। बस! तभी से बीजी के पीछे पड़ गया था, 'बीजी, जे ब्याह करना है, तो बस उस लाल सूट वाली से।' 'लाल सूट वाली दा नाम तां पुछ लैंदा!' बीजी को अपने पुत्र की व्यग्रता कहीं अच्छी भी लगी थी, उनका लाडला बेटा जापान जाने की तैयारी में है। यदि, वहाँ से कोई चपटी नाक वाली जापानी पत्नी उठा लाया तो बीजी का क्या होगा! बीजी लग गईं लाल सूट वाली की तलाश में। तलाश जाकर पूरी हुई सेक्टर अट्ठारह में। बीजी के मन में थोड़ा झटका लगा। पुत्तर की पसंद टिकी भी तो जाकर सेक्टर अट्ठारह में। भला पंद्रह सेक्टर वाले अट्ठारह वालों के घर रिश्ता लेकर जाएँ तो कैसे! बात बड़ी सीधी-सी है - सेक्टर पंद्रह है कोठियों और बंगलों वाला सेक्टर... हर बंगले में कम से कम एक कार तो है ही और सेक्टर अट्ठारह में हैं हाउसिंग बोर्ड के दो कमरों वाले मकान। बीजी सोच में पड़ गईं।

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सप्ताह का विचार
हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।  
--दलाईलामा

 

गुरमीत बेदी का व्यंग्य
देशी हाथ बनाम विदेशी हाथ

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कमलेश्वर की बरसी पर वीरेंद्र जैन का आलेख
मेरी स्मृति के कमलेश्वर

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क्या आप जानते हैं?
जर्मनी का क्षेत्रफल भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान से थोड़ा अधिक है तथा जनसंख्या तीसरे क्रम के राज्य बिहार के बराबर, पर जर्मनी का सकल घरेलू उत्पाद भारत का तीन गुना है।  -अमित प्रभाकर

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अश्विन गांधी के साथ दो पल
बिदाई एक बार फिर

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इस माह के साहित्य समाचारों में

 

अनुभूति में-
रविशंकर, अरुण मित्तल अद्भुत,  आनंद क्रांति वर्धन, स्वाती भालोटिया और शशि पाधा की नई रचनाएँ

कलम गही नहिं हाथ
पिछले एक साल से अभिव्यक्ति पर आवाजाही के गणित को देखने से लगता है कि लगभग 40 प्रतिशत पाठक मुखपृष्ठ पर आना पसंद नहीं करते। उन्होंने कुछ सूचियों को अपनी पसंद में सहेजा हुआ है और वे उनको ही खोलकर अपनी रुचि की सामग्री पढ़ते हैं। इसका अर्थ यह है कि ये अभिव्यक्ति को पत्रिका की भाँति तिथि के अनुसार नहीं पुस्तक की भांति विषयानुसार पढ़ना पसंद करते हैं। पाठकों द्वारा पसंद की जाने सूचियों में पहली है कहानियों की दूसरी हास्य व्यंग्य की और तीसरी है रसोईघर की।
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नए अंक की सामग्री को अंक प्रकाशित होने के साथ ही सूचियों में लगा दिया जाता है लेकिन इतनी बड़ी सूची में, जहाँ प्रविष्टियाँ अकारादि क्रम से हों और तिथि न हो, नया क्या है, ढूँढ पाना आसान नहीं। इसको ध्यान में रखते हुए सूचियों में नई सामग्री पर चिह्न लगाया गया है। ये चिह्न एक महीने तक इन पृष्ठों पर रहेंगे, आशा है ये नए परिवर्तन सुविधाजनक लग रहे होंगे। अपनी राय लिखना न भूले। पता ऊपर है ही।
-पूर्णिमा वर्मन (टीम अभिव्यक्ति)

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

 

 

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