चित्रलेख

    

सूरज की प्रशस्ति में
लहराने लगीं बादलों की
लंबी पताकाएं
केसरिया, सिंदूरी, सुनहरी
उड़ने लगी उषा की चूनर
गहराने लगा रंगों का विस्तार
यहां वहं दिखने लगे चिह्न
सुखद आरंभ के
पनपने लगी हलचल
कुनमुना कर
सिर उठाने लगीं झाड़ियां
बढने लगे
दिन के कदम आगे की ओर

 

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© सर्वाधिका सुरक्षित
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