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घर-परिवार बचपन की आहट


नवजात शिशु का सातवाँ सप्ताह
इला गौतम


विस्तार की ओर

सात हफ़्ते की उम्र का शिशु स्वयं को इस दुनिया के लिये तैयार कर चुका होता है। उसके हाथ खुल चुके होते हैं। उसके जीवन के पहले कुछ दिनो में किसी वस्तु को पकड़ लेना अपने आप हो जाने वाली स्वाभाविक क्रिया थी। चाहते हुए भी वह उसे छोड़ नही पाता था। हालाकि शिशु अभी हिलती हुई चीज़ों को पकड़ नही सकता लेकिन उसके हाथ में दी गई चीज़ वह पकड़ सकता है। शिशु वस्तुओं पर हाथ मारने का प्रयत्न भी करेगा इसलिये सम्भावित खतरनाक वस्तुएँ उसकी पहुँच से दूर रखें। जैसे शिशु को गोद में लिये हुए कोई भी गरम तरल पदार्थ (जैसे गरम पानी, चाय, कौफ़ी आदि), नुकीली वस्तुएँ (जैसे चाकू, पेंचकस आदि) हाथ में ना लें।

सीखने की शुरूआत

इस उम्र में आप देखेंगे कि शिशु कुछ समय के लिये शांत और सतर्क रहता है। यह शिक्षा के लिये उत्तम समय है। शिशु का दिमाग जन्म के पहले ३ महीनों में ५ से॰मी॰ बढ़ जाता है।
इस छोटे अन्तराल को माँ बच्चे से अधिक परिचित होने के लिये इस्तेमाल कर सकती है - उससे बातें करें, उसको गाना सुनाएँ, या फिर उसको दीवार पर लगे चित्रों का वर्णन करें। वह अभी आपकी बातचीत में भाग तो नही ले पाएगा लेकिन वह धीरे-धीरे सीख रहा है।
नई-नई बनावट वाली चीज़ों को हाथ से स्पर्श करना, नए दृश्य देखना और नई आवाज़ें सुनना, यह सब शिशु के लिये कुछ सीखने का अवसर हैं। नहाने का समय भी जीवन को समझने की प्रयोगशाला बन जाता है।


दृष्टि दुनिया के लिये

शिशु की दोनो आँखें अब किसी भी हिल्ती हुई वस्तु को लगातार और बहुत अच्छी तरह देख सकती हें। यह शिशु के लिये एक नया अनुभव है।
खिलौने की दुकानो में बहुत सारे शिशु विकास सम्बंधित खिलौने उप्लब्ध हैं लेकिन रोज़ की आम वस्तुएँ भी इस्तेमाल की जा सकती हैं। एक झुनझुना या चमकदार प्लास्टिक का करछुल शिशु की आँखों के सामने दाहिने से बाएँ पास करें। उसके बाद उसे ऊपर और नीचे घुमाएँ। हालाकि शिशु अगले ३ महीने तक ऊपर-नीचे और अगले ६ महीने तक तिरछी वस्तुओं पर नजर स्थिर नहीं कर सकता, लेकिन यह प्रयोग उसका ध्यान आकर्षित ज़रूर करेगा।
माँ शिशु के साथ आँखों में आँखें का खेल भी खेल सकती है। शिशु के चेहरे के बहुत करीब जाकर अपना चेहरा दाएँ और बाएँ घुमाएँ। अकसर शिशु की आँखें माँ की आँखों के साथ बँध जाती हैं।


सिर पर पपड़ी

इस उम्र में कुछ शिशुओं के सिर में सफ़ेद पपड़ी सी हो जाती है जो देखने में वयस्क रूसी जैसी होती है। इसे क्रेडिल कैप कहते हैं। यह शिशुओं में सामान्य है और इसे हटाने के लिये कुछ उपाए किए जा सकते हैं।

प्रतिदिन सर धोना इसे और भी बुरा कर सकता है। इसलिये हल्की रूसी हो तो साबुन से सर धोने से पहले तेल या वैसलीन से शिशु के सर पर मालिश करें। इसे अच्छी तरह अन्दर जाने दें ताकि पपड़ी अपने आप ढ़ीली हो जाए। उसके बाद सर धो दें। ध्यान रखें कि शिशु के सिर में नमी या पसीना ना रहे क्योंकि यह रूसी बढा सकता है। सिर की पपड़ी शिशु के लिये हानिकारक नही है लेकिन यदि संदेह हो तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

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