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इधर की आवाज़ तो सुनाई पड़ती, उधर की आवाज़ सुनाई पड़ती नहीं ...उधर वाला क्या कह रहा है यह अम्मा जी को पता ही नहीं चल पाता था। जब घंटी बजती उन्हें लगता जरूर छुटकी या हेमा या विद्या जीजी किसी का होगा। मगर सब लोग कहते,
"
अरे अम्मा जी आप क्यों परेशान हो रही हैं ..जब आपका फोन होगा बता देगें।" बेचारी अम्मा मन मार के बैठ जातीं।....हफ्तों में कभी छुटकी का फोन आता जब तब उन्हें आवाज़ लगाई जाती और वह पहुँचतीं, फोन कट जाता, मुश्किल से ही कभी बात हो पाती।

एक दिन ज्योति ने कहा,
"
अम्मा जी यह देखो अब मोबाइल आ गया है ...जहाँ मर्जी हो लेके चले जाओ... चाहे किसी से बात कर लो... अब बार-बार फोन तक जाने की जरूरत नहीं।"
अब और अच्छा, जिसे देखो, मोबाइल कान मे लगाए बैठा है। बहू रानी खाना बना रही हैं, मोबाइल कान में लगाए अपनी अम्मा से बतिया रही हैं। अम्मा जी को गुस्सा आता। सबके फोन आते हैं ...सब बातें करते रहते हैं... एक उन्हीं के पास नहीं है... बस ठान लिया,कुछ भी हो रवि से कहूँगी, ‘मुझे भी एक मोबाइल दिला दो‘ ...किसी से माँगने की क्या जरूरत। उन्हें भी तो पेंशन मिलती है ...क्या वह इतनी सी चीज़ नहीं मँगवा सकती।

बस अम्मा जी का मोबाइल आ गया। अब ठीक है, न उठने का झमेला न रात विरात की परेशानी। जब मन करेगा छुटकी, बड़की से बातें करूँगी। तभी रवि ने फोन मिलाया,... रवि भैया! यह नया नंबर है  ...नहीं मेरा नहीं है ...अम्मा का है ...यह अब उन्हीं के पास रहेगा। अच्छा, फिर ठीक है ...अम्मा जब तुम्हारा मन करे, तुम बात कर लेना ...अम्मा बड़ी खुश हुईं। दो-चार बार तो फोन आया जैसे ही घंटी बजे अम्मा लपक के उठाएँ। खटिया पर ही रखा लिया था ....पर बड़ी मुसीबत, ...इतना छोटा कभी गलत बटन दब जाए ...आवाज ही आना बंद... फिर वही मुसीबत ...हर बार घंटी बजे कई बार कट कट जाए पर बात न हो।

कई बार ऐसा भी हो घंटी बजे, अम्मा सोंचे जरूर छुटकी-बड़की में से कोई होगी पर बटन दबाते ही उधर से आवाज़ आई ...माई नेम इस शीला, शीला की जवानी... नए गानों के लिए स्टार और नौ ...जय रघुनंदन...जय सियाराम...भजन सुनने के लिए बटन दबाइए और जाने क्या-क्या... चैन से अम्मा सो ना पाएँ कि फिर घंटी बजे, फिर वही मुसीबत ... ....मोबाइल अम्मा जी की मुसीबत बन गया। अब उन्होंनें उठाना ही बन्द कर दिया...

सबका फोन आया, अम्मा क्या फायदा आपको फोन करने का आप तो उठाती ही नहीं हैं, ...अम्मा बोलीं,
"अब क्या करें.. वह जाने क्या बोलता रहता है। हम सोचते हैं ऐसा ही कुछ होगा... हमें क्या पता कि तुम थीं।"
अम्मा ने सोचा यह मोबाइल ठीक नही... मगर दूसरों के मोबाइल में तो ऐसा नहीं। अबकी बार धीरू से कहूँगी। तुम मुझे एक अच्छा सा मोबाइल ला,दो... यह ठीक नहीं ...नया मोबाइल आ गया, धीरू ने कहा,
‘अम्मा अबकी बार ऐसी कम्पनी का है इसमें यह फालतू की बातें नहीं बजेंगी। तुम नम्बर भी आसानी से मिला सकोगी।‘

छुटकी आई हुई थी। उसने अम्मा से कहा, ‘अम्मा हम तुम्हें सिखाते हैं कैसे नम्बर मिलाते हैं। तुम्हें एक, दो तो आता है ... तुम पढ़ भी सकती हो ...बस नम्बर मिलाओ बटन दबा दो, अपने आप जब घंटी बजे, बात कर लेना ...मैंने भी एक नया नम्बर लिया है ...याद करना भी आसान है  ...१००१००१००१, बस तीन बार सौ-सौ फिर १ मिलाना तुम्हें जो कहना हो कहना यह मोबाइल हर समय मेरे पास ही रहता है।

छुटकी चली गई, वही अम्मा की लाड़ली। सोचो आदमी का मन करता है किसी से अपने मन की कहे। ज्योति अच्छी है, ध्यान रखती है पर कुछ भी हो बहू, बहू होती है बेटी बेटी। छुटकी सिखा भी गई थी अपने सामने बैठकर बातें भी की थीं।

दोपहर का समय था, सब लोग गए थे। रवि दफ्तर, जगन स्कूल, ज्योति मायके चली गई थी, अम्मा जी अकेली थी सोचा अच्छा मौका है, छुटकी से बातें करेंगें चलो नम्बर मिलाएँ। छुटकी ने बताया था, सौ-सौ-सौ-तीन बार फिर एक।

वन जीरो-जीरो बटन दबा दिया। घंटी बजी उधर से आवाज आई हैलो कौन बोल रहा है... अम्मा जी ने सोचा...यह क्या छुटकी आवाज तो नहीं... हो सकता है फोन शिखर ने उठाया हो... कुछ बोलतीं जाने कौन सा बटन दब गया, फोन कट गया...  फिर हिम्मत करके फोन मिलाया सौ... बोलीं,
"बेटी मैं अम्मा...
" हाँ... कंट्रोल रूम में इन्सपैक्टर गौतम ने फोन उठाया, कोई आवाज़ नहीं बस बेटा सुनाई दिया  ....दूसरी बार फिर वही... उनका माथा ठनका, कल ही कोतवाल साहब आए थे, बड़ी फटकार लगी थी। पता नहीं तुम सब सोते रहते हो। आजकल तुम्हारे इलाके में तीन-तीन बार लूट की घटनाएँ हुई हर बार बूढों को निशाना बनाया गया। मिनिस्ट्री इस बात को लेकर बहुत सीरियस है। अगर अब कोई घटना घटी तो सस्पैंन्ड कर दूँगा। तुरन्त उनकी छठी इन्द्रिय ने सक्रिय किया, ‘शायद कोई बूढ़ी मदद के लिए कहना चाहता है पर फोन पर बार-बार कट जाता है।

तुरन्त सब इन्सपैक्टर गेंदा सिंह को बुलाया... देखो जल्दी पता लगाओ, यह घंटी कहाँ से बज रही है। इस मोबाइल को ट्रेस करो।

थोड़ी ही देर में गेंदा सिंह ने बताया,
‘सर! यह नम्बर हाल ही में लिया गया है। थाने के पास ही के घर का पता है।‘ आप कहें तो जाकर पता करूँ।"
"हाँ, हाँ जल्दी करो...फिर कहीं कोई वारदात न हो जाए...  दरवाजे की घंटी बजी। अम्मा जी ने दरवाजा खोला!, देखा चार सिपाही पुलिस के साथ में एक आदमी हाथ में बड़ा सा कैमरा उठाए। उन्हें तो समझ में ही नहीं आया क्या हुआ। 

गेंदा सिंह ने पूछा, "आपने फोन मिलाया, बताइए क्या परेशानी है, इधर उधर देखा... घर में कोई है .नहीं।
"सर! बेचारी यही बुढ़िया अकेली है...हाँ ....क्या हुआ आप क्या परेशानी है

अम्मा तो रोने लगीं ...कैमरे वाला बोला, आप चिन्ता न करें ...अब आप को कोई तकलीफ नहीं होगी, इन्सपैक्टर से बोला, बताइए क्या आदमी इसी दिन के लिए औलाद को बड़ा करता है ...घर तो ठाट बाट से है ....अरे ये बड़े आदमी बड़े दुष्ट होते हैं, माँ-बाप की कद्र ही नही करते। पिछले वाले केस मे देखा नहीं था दो-दो लड़के डाक्टर बेचारा बाप भीख माँग कर गुजारा करता था ...हाँ माँजी बताइए क्या परेशानी है ...बताइए, कौन आप को परेशान करता है?

अम्मा फिर रोने लगीं ....छुटकी ने उसी समय टी०वी० खोला ही थी। रिमोट से चैनल बदले कि देखा अम्मा टी०वी० पर, अरे यह क्या हुआ...भैया को फोन मिलाया। भैया जरा देखो ये क्या हुआ अम्मा को जल्दी चलो उधर कैमरा मैन कह रहा था देखिए ....क्या जमाना आ गया है,   ...देखिए कैसा आलीशान घर है, सब है, बेचारी बूढ़ी माँ ...हाँ-हाँ अम्मा जी बताइए क्या-क्या परेशानी है आपको, बताइए  ....फिर यह बोला, यह बेचारी दुःख और संकोच से कह नहीं पा रही है, आज इनकी सब्र का बाँध टूट गया और इसीलिए इन्होंने १०० नं० डायल करके पुलिस में सूचना देनी चाही।

यह सुनकर अम्मा और भी रोने लगीं ....
?अरे  ......मुझे क्या हुआ? कुछ नही हुआ मुझे... अम्मा परेशान, घर के लोग शर्मिन्दा।
अम्मा ने कहा, "वो तो मुझे छुटकी से बात करनी थी, न जाने कौन सा नम्बर मिल गया... "

अरे अम्मा आप भी....

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२१ मई २०१२

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