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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है यू एस ए से इला प्रसाद की कहानी बैसाखियाँ


इस बार वह पूरी तरह तैयार हो कर आई थी। एक दिन पहले ही कंप्यूटर पर देख लिया था, नाइंटीन सिक्स्टी पर सेंट पैट्रिक्स डे की परेड दोपहर दो बजे से शाम चार बजे के बीच थी। रविवार होने की वजह से और सहूलियत थी। उसने कई काम कल ही ख़त्म कर लिए थे।

यह आइरिश त्योहार हमेशा उसे होली की याद दिलाता है और मार्च के महीने में होने की वजह से अक्सर ही होली या तो बीत चुकी होती है या फिर आनेवाली होती है। सेंट पैट्रिक्स डे यानी हरे रंगों की बहार! हरी शर्ट, हरी टोपी, हरे मोतियों की माला और आँखों पर हरे रंग के फ़्रेम का चश्मा। कुछ ने हरा रंग चेहरे पर पोत रखा था। हरा गुलाल भी दिखाई पड़ा। हरियाली सब ओर।

वसंत के आगमन की सूचना देता हुआ, संत पैट्रिक ने नाम पर मनाया जाने वाला यह आइरिश त्योहार अब अमेरिका की ज़िंदगी का हिस्सा हो चुका है। यों तो उसने देखा है कि खुलता हुआ हरा रंग ही - जैसे कि घास का होता है - हर ओर छाया होता है लेकिन हरे के बाकी शेड भी देखने को मिल जाते हैं।
अमूमन वह भी उस दिन कोई हरी शर्ट डाल लेती है अपनी ब्लू जीन्स पर और भीड़ में शामिल हो जाती है।

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