अभिव्यक्ति में डॉ. प्रभा खेतान
की रचनाएँ
उपन्यास
आओ पेपे घर चलें
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प्रभा खेतान
१ नवंबर १९४२ को जन्मी प्रभा
खेतान दर्शनशास्त्र से एमए और ज्यां पाल सार्त्र के अस्तित्ववाद पर पीएचडी के
लिए जानी जाती थीं। कविता, कहानी, उपन्यास और आत्मकथा के साथ अपने विशिष्ट
अनुवादों के लिए हमेशा उनकी सराहना हुई।
अपरिचित उजाले, कृष्णधर्मा मैं,
छिन्नमस्ता, पीली आंधी उनकी अमर कृतियाँ हैं। दो लघु उपन्यास
'शब्दों का मसीहा सार्त्र',
'बाजार के बीच: बाजार के खिलाफ'
सहित कई चिंतन पुस्तकें, तीन संपादित पुस्तकें, आत्मकथा
'अन्या से अनन्या' और
'द सेकेंड सेक्स' के
अनुवाद के लिए वे काफी चर्चित रहीं। उन्होंने कई दक्षिण अफ़्रीक़ी कविताओं का
अनुवाद भी किया।
उन्हें साहित्यिक योगदान के लिए महापंडित राहुल सांकृत्यायन
पुरस्कार व बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया था। प्रभा खेतान विभिन्न सामाजिक
संस्थाओं से भी जुड़ी थीं।
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