आपकी प्रतिक्रिया  

   लिखें   पढें 

 १६ सितंबर २००१

कहानियांकविताएं साहित्य संगमदो पल कला दीर्घासाहित्यिक निबंध उपहारविशेषांक
फुलवारी हास्य व्यंग्यप्रकृति पर्यटन संस्मरणप्रेरक प्रसंग रसोई स्वास्थ्य घर परिवार
पर्व परिचय शिक्षास्रोतआभार लेखकसंपर्क 

कहानियों में 
नार्वे से शरद आलोक की कहानी दुनिया छोटी है

वह कहने लगी  "दुनिया छोटी है। जीवन में व्यक्ति को मंजिल की तलाश करनी चाहिए। एक नदी की तरह। वह किधर किस ओर बहेगी उसे ज्ञान नहीं होता। बस दूसरों के लिए बहती चली जाती है।"

 साहित्य संगम में 
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ लेखक यू आर अनंतमूर्ति की कहानी कामरूपी 
हिन्दी रूपांतर किया है बी आर नारायण ने 

वह बड़ी शान से मंत्री के बारे में बखान कर रहा था ऋ ये पूजा किये बिना कॉफी तक भी नहीं छूते। सबसे बढ़िया टेलर से ही वे अपने कुर्ते सिलाते हैं। अपनी जाति में सेकेंड लाईन ऑफ लीडरशिप होना चाहिए कहकर उसे आगे ला रहे हैं। उन्होंने ही अपने खर्चे से शादी करायी। पाऋोक कैबिनेट में वे मंत्री रहे हैं। नेक्सलाइट भी उनसे डरते हैं।

 हास्य व्यंग्य में
शरद जोशी की गुदगुदी रचना
यह बंगला फिल्म
हीरोइन इण्टर कर चुकी है और उसके बी ए  करने की समस्या है। पूरा ताना   बाना इस छोटी   सी समस्या को लेकर बुना गया था। हीरो भी इसी समस्या से ग्रस्त था। हीरोइन से पहली मुलाकात में ही पूछा- तोमार बीए होये गेछे 

स्वाद और स्वास्थ्य में
लीची के भोजन और स्वास्थ्य से संबंधित गुणों की चर्चा
लाभदायक लीची

साहित्यिक निबंध में 

१३ सितंबर हिन्दी दिवस के अवसर पर दो विशेष लेख

डॉ वेदपताप वैदिक के
 विचारोत्तेजक अनुभवों का सार 
विदेशों में अंग्रेज़ी

तथा
शैलेष मटियानी द्वारा गंभीर चिंतन
भाषा और देश

 

कविताओं की पत्रिका
अनुभूति में 
दिनकर 
की चुनी हुयी १० कविताएँ
साथ में हैं उषा राजे की ग़ज़लें
राज जैन, आस्था और प्रवीन शाह के हाइकु, विशाल मेहरा का प्रवेश
और अंशुमान अवस्थी की नयी कविता

 
प्रकृति पर्यटन में 
सुचिता भट की कलम से
फ्राँसःसपनों के भीतर का सच

फ्राँस में खाना एक श्रृंगार है  एक यज्ञ है। मेज लगाना उसी का एक अनिवार्य भाग है। यदि हम उनके खाने का मर्म समझ सकें तो उनके बेसमेंट वाले  पत्थरों की दीवारों के छोटे व पारंपारिक रेस्तरा में  मोमबत्ती की रोशनी के तले उनके खास हरे सलाद  ऋंच बगेत  ब्रेड  फ्वाग्रा  बतख़ का लीवर   जो उनकी विशिष्टता है  और असली फ्राँच वाईन के साथ उन्हीं की तरह  उस मेज पर अपनी शाम लुटा दें। 
 

रसोईघर में 
लीची के तीन सुस्वादु व्यंजन
लीची मलाई केसर  लीची की खीर और लीची लज्जतदार

पिछले अंक से-

गौरव ग्रंथ में  इस्मत चुग़ताई की बहुचर्चित कहानी 'लिहाफ'  

 
उपहार में
जावा आलेख हिन्दी कविता के साथ 
फूलों की सुरंगों में

 

फुलवारी में 
पराग ज्ञानदेव चौधरी की कहानी 
''अनोखी तरकीब' 
तथा पूर्णिमा वर्मन की कविता
मेरा छाता

 

संस्मरण में
घनश्याम दास अहूजा
की कलम से 
धूम्रपान से मुक्ति संबंधित
उनका  साहसिक आत्मकथन 
धुए से आज़ादी

 

घर परिवार में
दिन भर तरोताज़ा और स्फूर्तियुक्त बने रहने के व्यावहारिक उपाय स्फूर्तिदायक सुबह

के अंतर्गत

 
 
कला दीर्घा में
गुजरात की 
रथवा कलाकृतियों  
के बारे में रोचक जानकारी
 

प्रेरक प्रसंग में 
विवेकानंद के जीवन से संबंधित एक प्रेरणादायक प्रसंग
साधुमन
डा ऋतुपर्ण शर्मा की कलम से

 
  पर्व परिचय में 
भारत में अगस्त के महीने में मनाए जाने वाले पर्वो की संक्षिप्त जानकारी
सितंबर माह के पर्व में

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेन  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन  कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग   प्रबुद्ध कालिया

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।