अनुभूति

16. 2. 2005

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पिछले सप्ताह

संस्मरण में
अतुल अरोरा के साथ पहली हवाई यात्रा
बड़ी सड़क की तेज़ गली में

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महानगर की कहानियां में
अंतरा करवड़े की लघुकथा
प्रेम

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
शरद जोशी : पानी में तेल की बूंद

°

रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत नया व्यंजन
भरवां टमाटर

°

कहानियों में
भारत से कमल कुमार की कहानी
वेलेंटाइन डे

ट्रैफिक धीमी गति से रूक–रूक कर खिसक रहा था। दुकानें अभी खुली थीं। दुकानों पर और सड़कों की पटरियों पर अनेकानेक वस्तुएं सजी थीं। ख़रीदने वालों और बेचने वालों की भीड़–भाड़ और चहल–पहल थी। दुकानों पर और सड़कों के बीचो–बीच दिल के आकार के गुब्बारों, रंग–बिरंगे चमकीले कागज़ों की लतरें बड़े–बड़े पोस्टर और बैनर चिपकाए और लटकाए गए थे। छोटे–बड़े रेस्तरां में खूब भीड़ थी।युवा लड़के–लड़कियां हाथों में हाथ डाले और गलबहियां डाले चुस्त कपड़ों में सजे–संवरे रेस्तरां के बाहर अंदर, दुकानों पर सड़कों पर, पटरियों पर घूम रहे थें, या रूके हुए थे एक दूसरे में खोए हुए। एक अजीब–सा अपरिचित वातावरण था। 

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से श्रीनाथ की कहानी
उपहार

तभी सुधा की आहट सुनाई दी। वह सीढ़ियों से बाहर निकलकर खामोशी से मेरी बगल में आकर खड़ी हो गई। अंधेरे–उजाले की आंखमिचौनी पलभर के लिए थम–सी गई। सुधा ने बड़ी आत्मीयता से मेरी ओर देखकर कहा, "अरे, यहां अंधेरे में बैठे–बैठे क्या कर रहे हैं? शाम को भी उखड़े–उखड़े नज़र आ रहे थे। यह आपको अचानक क्या हो जाता है?" फिर, जैसे उसे मेरे जवाब की ज़रूरत न हो, हाथ बढ़ाकर लाल रंग का डिब्बा मेरे आगे करती हुई बोली, "ज़रा इसे खोलकर तो देखिए। बाज़ार में एक चीज़ पसंद आ गई थी।" सुधा के स्निग्ध स्वर का जादुईपन मेरे लिए सर्वथा अपरिचित था।

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हास्य व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी की कलम से
कुते का गला

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रचना प्रसंग में
दीपिका जोशी के बहुमूल्य सुझाव
टाइप करते समय याद रखें

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आज सिरहाने
अमरीकी भारतीय लेखकों का संकलन
दिशांतर

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साहित्यिक निबंध
के अंतर्गत डा सत्यव्रत वर्मा का आलेख
केरल का हिन्दी कविः
स्वाति तिरूनाल

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!सप्ताह का विचार!
जिस प्रकार थोड़ी सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है।
—अज्ञात

 

अनुभूति में

दो नए प्रवासी कवि
यूके और आस्ट्रेलिया से
साथ ही हाइकू तथा
काव्यसंगम में नई रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
अपने को संभालना–गुरूदीप खुराना
ई–मेल–इला प्रसाद
कोना झरी केतली–संतोष गोयल
अंतिम यात्रा–नीलम जैन
हवन शेष–सुषम बेदी
रूख़साना–उषा राजे सक्सेना

°

हास्य व्यंग्य में
खुदाईनरेन्द्र कोहली
नया साल कुछ ऐसा हो–सूरज प्रकाश
नव वर्ष का अभिनंदन–नीरज त्रिपाठी

°

दृष्टिकोण में
दिनकर कुमार का आलेख
हिंदी लेखक दयनीय क्यों
°

रचना प्रसंग में
डा जगदीश व्योम का जानकारीपूर्ण लेख
हिन्दी में हाइकु कविता
°

फुलवारी में
आविष्कार की नई कहानियां
और
शिल्पकोना में मिल कर बनाएं
शेर का मुखौटा
°

सामयिकी में
गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशेष
तूफ़ान हूं मैं आज़ाद रहूंगा
°

प्रौद्योगिकी में
रविश्ांकर श्रीवास्तव का आलेख
आइए यूनिकोड के साथ चलें
°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की नज़र से
2004 की प्रमुख वैज्ञानिक
उपलब्धियां भाग–1
°

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 

 
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