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11.  9.  2006 

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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी ने पता लगाया कि
बंदरों ने किताबें क्यों फाड़ी!

°

साहित्य समाचार में
जापान से विशेष रपट

टोक्यो में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन

°

चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
जुलाई माह के चिठ्ठों पर

°

श्रद्धांजलि में
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां से परिचय और
एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार

°

कहानियों में
भारत से दीपक शर्मा की कहानी
गुलाबी हाथी

"देखिए" स्त्री–स्वर ने कहा, "अभी दो दिन पहले की बात है। घड़ी में ऐसे ही बारह बज कर तेरह मिनट हो रहे थे जब इसी हावड़ा मेल में एक हादसा हुआ था।"
"कैसा हादसा?" मैं कांपने लगा।
धामपुर से एक दंपति हावड़ा मेल में सवार हुए थे, पंद्रह और सत्रह नंबर वाले . . .
"वे दोनों बर्थ उस दिन खाली गए थे," मैं मुकर गया, मेरे पास रिकार्ड है, पूरा रिकार्ड – "आप याद करिए। पुरूष के पास एक रिवाल्वर था और लेडी सवारी के हाथ का बटुआ सुनहरा था सोने की तरह चमकीला . . ."
"कतई नहीं," मैं फिर मुकर लिया।
"मैं नहीं मानती," स्त्री–स्वर ने परिचिता  की आकृति धारण कर ली . . .
°

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इस सप्ताह
1
कहानियों में
भारत से संतोष गोयल की कहानी
भटकन

मन की भटकन को सब रंगो के फैलाव ने अपने भीतर समा लिया। कितना आसान होता है मन को थामना पर उतना ही आसान होता उसका भटक जाना। रंगीन कांच के भीतर डुबकियां लगाती रही जाने कितनी देर। दुकान की मालकिन भी चमक रही थी। लाल हरे नीले रंगो में सराबोर। चटक चुनरी मे लगे कांच जल रहे गैस के बल्ब में धमक मार रहे थे। गले में मोटे–मोटे लाल हरे दानों की माला थी जो रौशनी में चमक रही थी। कानों में भी बड़ी लटकन वाले झुमके थे। मतलब ख़ासा चमक–धमक का इंतज़ाम था तिस पर त्यौहार का मौका। मार्किट की भी सज–धज देखने लायक थी। दीवार पर सजे व लटके रंगो में लिपटी मैं वहां रूक ही गई उन्हें निहारती और सराहती।

°

हास्य व्यंग्य में
गणेशोत्सव पर शरद जोशी के शब्दों में
अथ श्री गणेशाय नमः

°

प्रकृति में
डा डी एन तिवारी का
चिर सखा बांस

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साहित्यिक निबंध में
विद्याभूषण मिश्र की लेखनी से
सावन उड़ै कजरिया मस्तानी

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फुलवारी में
मौसम के विषय में जानकारी की बातें
मौसम क्या है?

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 सप्ताह का विचार
संपदा को जोड़ जोड़ कर रखने वाले
को भला क्या पता कि दान में कितनी
मिठास है।— आचार्य श्रीराम शर्मा

 

इस माह के कवि में श्री कृष्ण शर्मा तथा अन्य स्तंभों में मानोशी चैटर्जी, पाश, राज किशोर व अंसार कंबरी की नयी रचनाएं 

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
फोकस–अलका पाठक
मुंबई टु सतपुड़ा–पुष्यमित्र

तुम सच कहती हो–अभिरंजन कुमार
चाह–डॉ शैलजा सक्सेना
रक्तदान–नितिन उपाध्ये
ज़िंदगी जहां शुरू होती है–रवींद्र बत्रा
°

हास्य व्यंग्य में
जनतंत्र–डा नरेन्द्र कोहली 
राजनीति और मूंछ–राजेन्द्र त्यागी

धूप का चश्मा–संतोष खरे
इटली के लड्डू–गुरमीत बेदी
°

संस्मरण में
अनूप शुक्ल व शोभा स्वप्निल की रचना
पार्षद और झंडा गीत
°

सामयिकी में
कन्हैयालाल चतुर्वेदी का आलेख
क्रांतिकारी घटना का साक्षी
वह बरगद
°

फिल्म–इल्म में
अजय ब्रह्मात्मज की पड़ताल
हिंदी फिल्मों में राष्ट्रीय भावना
°

पर्व परिचय में
9 अगस्त रक्षाबंधन के अवसर पर
मनोहर पुरी की कलम से बंधा
प्यारा सा बंधन–रक्षाबंधन
°

घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी के सुझाव
दमदार रहें दिनभर के लिए
°

रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में पकाएं
आलू टमाटर हरे प्याज वाले

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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