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11.  11.  2006 

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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
मुरली मनोहर श्रीवास्तव की कलम से
एक महान व्यक्ति की आत्मकथा

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव से कुछ अंदरूनी बातें
एमपी3 प्लेयर के संबंध में

°

फिल्म इल्म में
अजय ब्रह्मात्मज के फिल्मी संसार की
वे प्रसिद्ध महिलाएं

°

साहित्य समाचार में
कलकता और लखनऊ से

दो समाचार

°

कहानियों में
यू के से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
ढिबरी टाइट

 
दिनेश लगभग दस वर्षों से कुवैत में चार्टड अकाउंटेंट है। गांव के गुरमीत को परदेस में भी एक जानकार तो मिल ही गया था। गुरमीत ने अपने सरल स्वभाव और व्यवहार से शीघ्र ही अपने आपको वहां सुव्यवस्थित भी कर लिया था। उसे रहने के लिए हिल्टन होटल के पीछे ही एक जगह मिल गई थी। उसने स्वयं ही यह स्थान पसंद किया था। कुछ गांव के घरों जैसा घर था। आंगन के मुख्य द्वार से घर तक पहुंचने तक ही तीन मिनट तो चलना ही पड़ता था। चारों ओर ऊंची दीवार और बीच मध्य में उसका तीन कमरे का वातानुकूलित घर! जी जान से मेहनत कर रहा था गुरमीत और वहां जगरांव में कुलवंत ने एक फूल सी बेटी को जन्म दिया।

°

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इस सप्ताह
1
कहानियों में
भारत से मनमोहन सरल की कहानी
पानी

 सावित्री ने ऐसे रो हाउस पहली बार इंग्लैंड में देखे थे। उसे एक बार भाटिया साहब अपने साथ विदेश ले गए थे। लंदन के एक दूर–दराज के उपनगर सिटिंगबोर्न में विद्यार्थी जीवन का उनका एक दोस्त रहता था। उसी के घर ठहरे थे वे दोनों। ऐसे घर को रो हाउस कहते हैं, बताया था भाटिया साहब ने। पर वे सभी घर बहुत साफ़ और खूबसूरत थे। लॉन की घास भी खूब हरी थी और लॉन में पानी देने का एक फव्वारा–सा था जिसे स्प्रिंकलर कहते थे वे लोग। जब पानी की टोंटी खोल दी जाती तो वह फव्वारा नाचने लगता था और नाच–नाच कर लॉन की घास को सींचता था। सावित्री को वह बहुत अच्छा लगता और वह जितनी देर भी वहां रही, खाली वक्त निकाल कर उसे नाचते हुए देखती रही थी।

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हास्य व्यंग्य में
डॉ .शिवदेव मन्हास के विचार
क्रिकेट के बारे में

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प्रकृति और पर्यावरण में
स्वदेशी से जानें
कचरे का कमाल

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संस्मरण में
अनूप कुमार शुक्ल की पुष्पांजलि
बोलो बोलो रमानाथ अवस्थी

°

फुलवारी में
मौसम के विषय में जानकारी की बातें
जलवायु
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 सप्ताह का विचार
प्रलय होने पर समुद्र भी अपनी मर्यादा को छोड़ देते हैं लेकिन सज्जन लोग महाविपति में भी मर्यादा को नहीं छोड़ते।— चाणक्य

 

इस माह के कवि में डा .रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर' साथ में 'कनक', 'मधुकर' और शरद तैलंग की नयी रचनाएं

दीपावली विशेषांक समग्र

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
हवाघर–डॉ हरिसुमन बिष्ट
श्रीभट्ट (नाटक) – शिबन कृष्ण रैणा
तलवार–मधुसूदन आनंद
पुराने कपड़े–शरद सिंह
लौटते हुए–सी पी श्रीरामन
बाबू जी–डा शिबन कृष्ण रैणा

°

हास्य व्यंग्य में
विभीषण की सरकार–अभिनव शुक्ल
हार्दिक बधाई – रवि रतलामी
रहस्य राम–वनवास का–जवाहर चौधरी
कहां रहती हो तुम, जाना – समीर लाल
°

साहित्यिक निबंध में
मनोहर पुरी का विस्तृत विवरण
पर्व पुंज दीपावली
°

ललित निबंध में
रमेश तिवारी विराम का आलेख
ज्योतिपर्व की जय
°

दृष्टिकोण में
रमेश गौतम के विचार
तुलसी कथा रघुनाथ की
°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी मना रही हैं
करवा–चौथ
°

रसोईघर में
अभी से तैयार हो रहे हैं
दीपावली के पकवान
°

घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी कर रही हैं
सुबह के नाश्ते को सलाम

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 
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