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 १. ६. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1
मृदुल शर्मा, तरुणा मिश्रा, विमलेश त्रिपाठी, गाफिल स्वामी तथा विपिन पँवार निशान की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- मौसम है शीतल पेय का और हमारी रसोई-संपादक शुचि लेकर आई हैं- कच्चे आम का मीठा पना

बागबानी में- आसान सुझाव जो बागबानी को उपयोगी और रोचक बनाने में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं-
१८- स्प्रिंकलर या ड्रिप इरिगेशन

कला और कलाकार- भारतीय चित्रकारों से परिचय के क्रम में अब्दुल रहीम अप्पाभाई आलमेलकर की कला और जीवन से परिचय 

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो आपको घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- १७- सुविधा सबसे बड़ी आवश्यकता

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- आज के दिन- (१ जून को) साहित्यकार सत्येन्द्रनाठ ठाकुर, अभिनेत्री नरगिस, संगीत निर्देशक इस्माइल दरबार... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में इस सप्ताह प्रस्तुत है- आचार्य संजीव सलिल की कलम से निर्मल शुक्ल द्वारा संपादित नवगीत-:-एक परिसंवाद का परिचय।

वर्ग पहेली- २३९
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है संयुक्त अरब इमारात से पूर्णिमा वर्मन की कहानी सपने

"धत्, तेरे काकरोच की। फिर चुन्नी में छेद। इन तेलचट्टों ने तो नाक में दम किया हुआ है। अब चुन्नी भी खानी थी तो रेशमा गुप्ता की। कभी मेहर पद्मसी की चुन्नी चाट कर देखी है? मगर मेहर की चुन्नी, रेशमा की चुन्नी की तरह कमरे में तार की अरगनी पर लटकी नहीं रहती है रात भर। बन्द रहती है गोडरेज की आलमारी के भीतर 'मौथप्रूफ' खुशबू में। "अभी पिछले ही दिनों नया सूट सिलवाया छींटदार चूड़ीदार और कुर्ता। चुन्नी के लिए रूपये इकठ्ठा करते–करते दो महीने लग गये इस बीच सिर्फ एक बार पहना, आखिर अमरेश की बहन से कितनी बार चुन्नी माँगी जा सकती थी? उसके पास भी तो दो ही रंगीन चुन्नियाँ हैं। हफ्ता भर ही हुआ चुन्नी को खरीदे। एक बार पहनी नहीं कि हो गया सत्यानाश।" रेशमा ने नाक तक चढ़ा गुस्सा भगौने में पानी के साथ गैस पर चढ़ा दिया और खुद पटरे पर बैठ गयी, पैरों को दोनों बाहों में समेट घुटनों पर चेहरा टिका लिया। रेशमा के पास मेहर पदमसी जैसी अलमारी नहीं है। बस एक बक्सा है और यह अरगनी। पर जिस शौक से धीरे-धीरे... आगे-
*

नरेन्द्र कौर छाबड़ा की
लघुकथा- परिवर्तन
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प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र का आलेख
प्रजापति ब्रह्मा की यज्ञ-स्थली पुष्कर 

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सुधा कांत दास की कलम से
संत कबीर का काव्य पंथ
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पुनर्पाठ में अभिज्ञात की
आत्मकथा तेरे बगैर का आठवाँ भाग

पिछले सप्ताह-

दीपक दुबे का व्यंग्य
मंगल ग्रह पर भोलाराम का जीव
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राजेन्द्रशंकर भट्ट का आलेख
गंगा भारत की सस्कृति है 

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डॉ अशोक उदयवाल का आलेख
करेले में कमाल के गुण
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पुनर्पाठ में अभिज्ञात की
आत्मकथा तेरे बगैर का सातवाँ भाग

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है
श्रीनिवास वत्स की कहानी पदोन्नति

सुनंदन बाबू अपनी पदोन्नति से जितना प्रसन्न थे, उससे कहीं अधिक खुशी उनकी पत्नी एवं बच्चों के चेहरों से झलक रही थी। कितने दिन यों घुट-घुटकर काट दिए। सामने वाले चौबे जी के मकान में जो लेखा अधिकारी रहता है, उसकी पत्नी बात-बात में अफसरी का रौब झाड़ती रहती। दोपहर को धूप सेंकने के लिए पास-पड़ोस की सभी औरतें चौबे जी के घर के बाहर लॉन में बैठ जातीं। चाय की चुस्कियों के बीच मकान मालिक और किराएदार का भेद मिट जाता था। चौबे जी सरकारी ठेकेदार हैं। अच्छा पैसा कमा लिया है। पूरे मुहल्ले में उनकी अव्वल कोठी से यही प्रदर्शित होता है। रस्तोगी जी बैंक में लेखाकार हैं और चौबे जी के बगल वाले मकान में किराएदार हैं। श्रीमती गिरिजा जैन अपने पति के पद से ज्यादा उनके मधुर स्वभाव से संतुष्ट हैं। जैन साहब हायर सेकेंडरी स्कूल में विज्ञान के अध्यापक हैं। स्कूल से अधिक समय बच्चों को घर पर देते हैं। ट्यूशन से होने वाली प्रचुर आय के साथ-साथ घरेलू कार्यों में... आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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