अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार // हमारे लेखक
तुक कोश // शब्दकोश // पता-

लेखकों से
 १. ५. २०१८

इस माह-

अनुभूति में- ग्रीष्म ऋतु के स्वागत में आयोजित महोत्सव के अंतर्गत कठिन मौसम में आनंद-रस घोलते हुए प्रतिदिन एक नयी ग्रीष्म रचना...

-- घर परिवार में

रसोईघर में- इस माह गरमी के मौसम को शीतल बनाते हुए, हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं - पुदीना टोना

स्वास्थ्य में- मस्तिष्क को सदा स्वस्थ, सक्रिय और स्फूर्तिदायक बनाए रखने के २७ उपाय- २०- पढ़ने का अभ्यास बनाए रखें।

बागबानी- वनस्पति एवं मनुष्य दोनो का गहरा संबंध है फिर ज्योतिष में ये दोनो अलग कैसे हो सकते हैं। जानें- ५- पीपल और केले के विषय में।

भारत के विचित्र गाँव- जैसे विश्व में अन्यत्र नहीं हैं- मंदिरों का गाँव मलूटी- जहाँ किसी समय सौ से भी अधिक मंदिर थे।

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (मई) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- शिवानंद सिंह सहयोगी की कलम से कृष्ण भारतीय के नवगीत संग्रह- ''हैं जटायु से अपाहिज हम'' का परिचय।

वर्ग पहेली- ३०१
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
आलोक कुमार सतपुते की कहानी- साध्वी

अखबार में निधन वाली जगह पर मेरी नजर पड़ी। संजना शुक्ला, उम्र २६ वर्ष, के निधन के समाचार ने मुझे भीतर तक हिला दिया। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि हमारी संजना नहीं रही। मैंने फोटो को ध्यान से देखा फिर मुझे यकीन करना ही पड़ा। संजना मेरे ही ऑफ़िस में काम करने वाली एक लड़की थी। हालाँकि वह शादीशुदा और एक तीन साल के बच्चे की माँ थी, पर उसका खिलंदड़पन उसे लड़कियों की श्रेणी में रख देता था। वह एक बेहद ही खूबसूरत लड़की थी। जितना ख़ूबसूरत उसका चेहरा था, उससे भी कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत उसका दिल था। वह रोज नये-नये कपड़े पहनकर ऑफ़िस आया करती थी। हालाँकि वह साधारण सी क्लर्क ही थी, पर उसके पहनने-ओढ़ने के ढंग से ऐसा लगता था कि वह एक सम्पन्न परिवार की लड़की है। वह ज्वेलरी भी अलग-अलग तरीके की पहना करती थी। वह हमेशा ही खिलखिलाती रहती। उसके आने से ऑफ़िस में खुशियाँ बिखर जाती थीं। हमारे ऑॅफिस की उसकी दूसरी साथी लड़कियाँ उससे जलती थीं। वे उसे बदनाम करने की तमाम कोशिशें किया करती थीं। ...आगे-
*

पवन जैन की लघुकथा
मन की चाभी
*

राम गरीब विकल से
रचना प्रसंग में- लोक चेतना के संवाहक नवगीत
*

विद्यानिवास मिश्र का
ललित निबंध- तुम चंदन हम पानी
*

पुनर्पाठ में- योगेन्द्र चंद्र शर्मा से-
जानें - मई दिवस की यात्रा कथा

पिछले अंकों से-

उमेश अग्निहोत्री का व्यंग्य
अमेरिका में कुत्ते
*

छोटलाल बहरदार की कलम से
लोक जीवन में ऋतुगीत
*

डॉ. परमानंद पांचाल का आलेख
प्राचीन भारत में विदेशी पर्यटक
*

पुनर्पाठ में- संस्कृति के अंतर्गत ममता भारती से जानें- भारतीय संस्कृति में सात का महत्व
*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
अश्विन गाँधी की कहानी- आवारा कुत्ते

'सत्या, क्या आज सुबह सुबह शुगर को घुमा के आये ?'
'हाँ, आज मैं और सुमी शुगर को कुछ कसरत कराने के लिये चक्कर मारने निकले थे, अमृत। साथ साथ हमारी भी कुछ कसरत हो जाती है!' सत्या और सुमी एक युवा युगल हैं, करीब तीस साल के। श्रीधाम में कोई दस साल पहले सस्ते भाव में एक प्लौट खरीदा था, और कोई पाँच साल पहले अपना घर बना लिया था। अपने खुद के कोई बच्चे नहीं, मगर कुत्तों से बहुत प्यार करते हैं। तीन कुत्ते पाल के रखे हैं। दो पीले रंग के, और सब से बड़ा काले रंग का शुगर। सब एक ही घर में साथ साथ रहते हैं। 'अभी मैं दस मिनट पहले मेरे बगीचे का चक्कर मारने निकला था। मेरे गेट के बाहर जहाँ मैंने गुलाब बोये हैं वहाँ मैंने कुत्ते की बड़ी शौच देखी। ताज़ा दिख रही थी। धुआँ उठ रहा था। तुम दोनों को शुगर के साथ मेरे कंपाउंड के नज़दीक से गुज़रते हुए देखा था तो सोचा कि पूछ लूँ। आज कल हमारे श्रीधाम में आवारा कुत्ते काफी दिख रहे हैं। शुगर तो तुम दोनों के नियंत्रण में होता है तो यह शुगर की प्रबल इच्छा...आगे-

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

Loading