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लेखकों से
१. ७. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
चाय की स्वादिष्ट और सौजन्यपूर्ण संवेदनाओं को समेटे विभिन्न रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- इस लॉक-डाउन में मिठाइयों को तरसते मन के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- मसाला चाय की कुल्फी

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- ७- कितना नमक सुरक्षित है।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- ७- लेमन ग्रास का पौधा

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- पच्चीस से तीस सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (जुलाई) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- शिव कुमार अर्चन की  कलम  से  सीमा  हरि  शर्मा  के  नवगीत संग्रह- गीत अँजुरी का परिचय। 
वर्ग पहेली- ३२७
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- लॉकडाउन में-

समकालीन कहानियों में भारत से
अनिल माथुर की कहानी एक प्याली चाय

हमेशा की तरह पत्नी के संग शहर की सबसे पॉश कॉलोनी में वॉक करते सुधीरजी स्वयं को किसी शहंशाह से कम नहीं समझ रहे थे। सवेरे और शाम की नियमित सैर उनका बरसों से चला आ रहा नियम था। तबीयत ठीक हो या न हो, इच्छा हो या न हो, शाम की सैर में तो साधनाजी को भी उनका साथ देना ही पड़ता था। “समय रहते इस कॉलोनी में फ्लैट बुक करवाकर हमने कितनी समझदारी का काम किया न! देखो अब एक भी मकान खाली नहीं बचा है यहाँ। और सारे के सारे कितने प्रतिष्ठित लोग रहते हैं! मुझे तो लगता है कि शहर के सारे बड़े अफसर, बिज़नेसमैन यहीं आकर बस गए हैं। जिस इलाके में लोग किराए पर रहना अफोर्ड नहीं कर सकते, हमने अपना फ्लैट लिया है।” “तो आप किसी से कम हैं क्या? रिटायर्ड चीफ इंजीनियर हैं।” आगे...
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श्रुतकीर्ति अग्रवाल की
लघुकथा- सूर्यास्त से पहले
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रवि रतलामी का व्यंग्य
चाय चलेगी
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पंकज त्रिवेदी का ललित निबंध-
चाय पीने का मेरा भी मन है
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पूर्णिमा वर्मन का आलेख
चाय की अजब गजब कहानियाँ
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पुनर्पाठ में नवीन नौटियाल की कलम से
चाय की ऐतिहासिक यात्रा

सुषम बेदी की स्मृति में---

मंजुल भटनागर की
लघुकथा- तथास्तु
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सामयिकी में-
जैव आतंकवाद की वैश्विक चुनौती
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संजय खाती का आलेख
खेल कोरोना का
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पुनर्पाठ में डॉ. गुरुदयाल प्रदीप से
विज्ञान वार्ता- जैविक और रासायनिक हथियार

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वतन से दूर में आस्ट्रेलिया से
रेखा राजवंशी की कहानी- अनन्त यात्रा

अपने जीवन के नब्बे सालों में जितेंद्र नाथ जी ने सोचा भी नहीं था कि कभी ऐसा दिन भी आएगा। इससे पहले भी अपने इकलौते बेटे के पास कई बार सिडनी आ चुके थे। जब भी वे पहुँचते तो बेटा-बहू बड़े उत्साह से उन्हें लेने एयरपोर्ट आते। घर पहुँचने पर उनके आराम का पूरा ख्याल रखा जाता। पोता-पोती दोनों दादू-दादू करते आगे पीछे घूमते रहते। सिडनी में बेटे के घर में सारी सुख सुविधाएँ थीं। घर में क्लीनर आता, गार्डनर आता, कुक भी आती थी, पर उनकी रोटियाँ उनकी मॉडर्न बहू ही बनाती थी। तीन महीने में वे बेटे के परिवार के साथ रहने की सारी हसरत पूरी कर लेते थे । बेटा कभी-कभी व्हील चेयर में बिठा शॉपिंग मॉल ले जाता, जहाँ वे अपने पसंद के सब्ज़ी, फल खरीद लेते। फिर कॉफी शॉप में बैठ कॉफी और मफिन भी खा लेते। इस तरह से उनका मन भी बहल जाता। कभी पोती ज़िद करके उन्हें बीच पर आइसक्रीम खिलाने ले जाती, कभी पोता उन्हें ड्राइव पर ले जाता। बहू-बेटे उन्हें नई से नई फिल्में दिखा लाते थे।  आगे...

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


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संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी