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ज्योतिष से वृक्ष और पौधों
का संबन्ध
(संकलित)


- चंद्रमा के लिये खिरनी और ढाक
चंद्र ग्रह का सम्बंध ढाक और खिरनी वृक्ष से माना गया है। खिरनी या माइमोसॉप्स हेक्जैंड्रा ४०-५० फुट ऊँचा घना वृक्ष है, जो भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि जगहों में होता है। इसमें पीले छोटे फल लगते हैं, जो खाने में काफी मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। वृक्ष की छाल औषधि के कार्य में आती है, बीज से तेल निकाला जाता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है। ऐसा माना गया है कि सोमवार के दिन खिरनी की जड़ को धारण करने से चंद्रमा की शांति होती है।

ढाक या ब्यूटिया मोनोस्पर्मा मध्यम आकार का वृक्ष है। यह समस्त भारत में पाया जाता है। इसका फूल छोटा, अर्धचंद्राकार और गहरा लाल होता है। फूल को उबालने से पीला रंग निकलता है जिसका प्रयोग होली के अवसर पर किया जाता है। फली की बुकनी कर लेने से वह अबीर का काम देती है। वैद्यक में इसके फूल को पित्त कफ, रुधिरविकार, कुष्ठ और मूत्रकृच्छ का नाशक, फल को कफ, वात, उदररोग, कृमि, कुष्ठ, गुल्म, प्रमेह, बवासीर और शूल का नाशक बीज को कफ और कृमि का नाशक और गोंद को मलरोध, ग्रहणी, मुखरोग, खाँसी और पसीने को दूर करनेवाला लिखा है। चंद्र ग्रह की शांति के लिये ढाक का वृक्ष लगाने, ढाक की लकड़ी से हवन करने की सलाह दी जाती है।

१ जनवरी २०१७

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