मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


१२

दसवाँ भाग

जो प्रतिदिन आठ घंटे, सप्ताह में सात दिन, केवल बाल ही काटते रहते थे। हाँ मालिक जॉन म्हेलर काफी सज्जन व्यक्ति थे। ओवर टाइम के तीन गुने पैसे, माइक पर आवाज़ आई, ''कैथी और प्रभा...''

कुर्सियाँ खाली होती रहतीं और प्रतीक्षा करती औरतें काँच का दरवाज़ा ठेलकर भीतर जातीं। यों भी बाहर से देखने पर भीतर का नज़ारा देखने लायक था। चार फुट बाइ चार फुट के चौकोर घेरे में सामने आईना, आईने के सामने बेसिन, अधलेटी या फिर सीधी कुर्सी, कुर्सी से सटी हुई ट्रॉली, जिसमें दुनिया जहान की रंग-बिरंगी शीशियाँ, बेसिन के ऊपर तरह-तरह के हेयर ड्रायर, कलर, हीटिंग रॉड। हल्का गुलाबी कोट तथा काला पैंट पहने हुए कमसिन छोकरों जैसे हेयर कटर, कैंची के साथ निरंतर हिलते हुए होठों से झरती हुई सारी दुनिया की गप्पें।''
भीतर घुसते ही शैंपू, सिरका और न जाने कैसी खट्टी मीठी गंध। मैं चार नंबर कुर्सी पर, कैथी पाँच पर।
''कौन सा कट?'' कैथी को बार्बर हेनरी ने पूछा।
''इस सप्ताह फैशन में क्या है?''
उसने एक छपा हुआ काग़ज़ पकड़ाया। कैथी ने पढ़कर कहा, ''लिज़ा द लेटेस्ट।''

उसने वह काग़ज़ मेरी ओर बढ़ा दिया। उसमें पचासों तरह के 'हेयर कट्स' के नाम थे और जिनके नाम यानी बाल को काटने के स्टाइल हर सप्ताह खाने के मेनू की तरह बदल दिए जाते थे। ईस्ट विलेज में स्थित यह हेयर सैलून नित नई स्टाइल के लिए बड़ा मशहूर था। मैंने अपने लंबे घने बालों को समेटकर आगे कर लिया और कहा, ''मुझे बाल नहीं कटवाने।''
अब मेरे हेयर कटर जिमी की बारी थी। बाल देखकर नाई की कैंची रुक जाए यह तो असंभव।
''मिस! आपके इन काले बालों को बस ज़रा-सा हल्का काटने की ज़रूरत है सामने कानों के पास, ताकि आपका ललाट इतना चौड़ा लगे। मैं जो स्टाइल बोल रहा हूँ, आप कटवाकर देखिए, खुद चेहरा नहीं पहचानेंगी।''
मैंने असहाय भाव से कैथी की ओर देखा। वह आराम से कुर्सी पर लेटी हुई सिर में मालिश करवा रही थी। मैंने भी सोचा चलो ठीक है, थोड़ा साहस ही करूँ, क्या पता खूबसूरत लगने लगूँ?
''बाल मगर एक इंच से ज़्यादा मत काटना।''
''ओह! श्योर मिस। आप बालों में किस चीज़ से मसाज लेंगी?''
उसने तरल पदार्थों से भरी पाँच छः शीशियाँ आगे कीं।
''ये क्या है?''
''पढ़ लीजिए।'' उसने कहा।
''वैसे बियर का मसाज ठीक रहेगा। नहीं क्या?'' मैंने पूछा।
''हाँ, आपकी दोस्त गाय के पेशाब का मसाज ले रही है। यह अभी इन्हीं दिनों हमारे केमिस्ट ने तैयार किया है।''
''क्या?'' मेरे मुँह से दबी-सी चीख निकली।
''हाँ हमलोग घोड़े के पेशाब पर भी शोध कर रहे हैं। यदि गंध को हटा पाए तो सोच नहीं सकतीं कि बालों में कैसी चमक आएगी।''
''ओह माई गॉड! इट इज क्रेज़ी?''
''इट इज द बेस्ट सैलून ऑफ अमेरिका। हमारी खासियत यही है कि हम नित नई खोज करते रहते हैं।''

मैंने कैथी की ओर देखा। उसके बालों में गाय के पेशाब से मसाज किया जा रहा था और उसके चेहरे पर थी एक असीम तृप्ति और तन्मयता। तब तक जिमी की आवाज़ टकराई, ''मिस! जल्दी करें।''
''हाँ हाँ तेल, नारियल का तेल।'' घबड़ाहट में मेरे मुँह से निकला,
''नारियल का तेल हमारे पास नहीं है।''
''कौन-सा तेल है?''
''बादाम का।''
''वही सही।''
''शैंपू कौन-सा?''

अब फिर दुविधा। मुझे मेरी कैथी पर गुस्सा आ रहा था। जब से उसने गाय और घोड़े का नाम लिया था, मैं सहम गई थी। पता नहीं शैंपू में अब ये लोग प्रोटीन के नाम पर किसकी चर्बी और न जाने क्या-क्या मिलाते हैं।
''प्योर सोप।''
''वाट डू यू मिन बाई प्योर सो?''
मेरी बेवकूफी से उसका धीरज छूट रहा था।
''शैंपू?''
''वह तो ठीक है मगर आप हार्ड, सॉफ्ट, नॉर्मल, हर्बल लाइम, फैट लिकर में कौन-सा बेस लेंगी? नैचुरल या सिंथेटिक?''
''कैथी? कैथी? कैथी?'' मैंने असहाय भाव से पुकारा।
उसकी उन्हीं शरारती आँखों ने फिर जिमी की ओर झुककर कहा, ''भारत से आई है। यह अपने देश में जाकर सैलून खोलेगी। तुम नॉर्मल प्रोटीन शैंपू लगा दो।''
''ओ!''

जिमी मुस्कुराया। बादाम के तेल की आधी शीशी बालों में उड़ेली और मसाज करते हुए उसकी बकबक चालू हुई, ''हेयर कटर बनने के लिए तीन साल का ग्रैजुएशन कोर्स है। इतना आसान नहीं है कि आदमी एक अच्छा हेयर कटर बन जाए। फिर मैं एक साल के लिए पैरिस पियरे कार्डिन के सैलून में काम करके आया हूँ। मैं न्यूयार्क की उच्च स्तरीय महिलाओं के ही बाल काटता हूँ। मुझे बूढ़ी औरतें ज्‍यादा पसंद हैं क्यों कि हेयर कट के बाद चेहरे में जो बदलाव आता है उससे वे इतनी खुश होती है कि क्या बताऊँ? अभी उस दिन मिसेज वैंडरली आई थी। जानती हो? शीशे में अपना चेहरा देखकर वे एकदम से मुझसे लिपट गई। बोलने लगी... ओह जिम्मी, यू आर सो स्वीट। मैं कितनी हसीन लग रही हूँ। उम्र में दस साल कम। बाल काटते ही औरत उम्र में कम लगने लगती है।''
मैंने उससे फिर पूछा, ''यह घोड़े के पेशाब पर कैसा अनुसंधान हो रहा है?''
मेरे दिमाग में गाय और घोड़े अटक गए थे।
''सीक्रेट, टॉप सीक्रेट। अभी बॉस को पता चल जाएगा तब मेरी नौकरी खत्म।''
खैर, सारा कर्मकांड आधे घंटे का था। उसने कुर्सी सीधी की। और ठुनकते हुए नकियाकर बोला, ''अब देखो, अपना चेहरा आईने में।''
हाय अम्मा! सच कहूँ मुझे रोना आ गया। यह मैं अपनी कैसी शक्ल देख रही हूँ? सामने ललाट पर आँखों तक झुके हुए बालों को नीचे से एक इंच काटने के बदले कैंची चलाई गई थी छः इंच पर और वह भी ऊपर नीचे। कोई लट कंधे तक तो कोई कंधों से दो इंच नीचे। कुल मिलाकर मेरे बालों का सत्यानाश कर दिया था। हाय! कलकत्ते जाकर क्या शक्ल दिखाऊँगी? अम्मा तो गर्दन ही काट डालेगी। यह वह ज़माना था जब बाल कटवाने का मतलब था मेमसाहब की संस्कृति अपनाना। और अम्मा कभी किसी को कटे बालों में देखती तो कहती, ''मेमड़ियों जैसे बाल कटवा रखे हैं। छिनालों-सी फिरती है।''
''हाय राम!'' मैं कभी शीशे में देखती, कभी हताश भाव से ज़मीन पर गिरे अपने काले रेशमी गुच्छा-गुच्छा बालों को।
''मिस इज नॉट हैपी?''
तब तक कैथी की चिहुँक भरी आवाज़ सुनी, ''ओ प्रभा! यू लुक ग्रेट।''

फिर मेरा चेहरा देखकर उसको लगा सच में कहीं कुछ गड़बड़ा गया है। कैथी के बाल कटने के बाद सिर पर कुल दो-दो इंच बचे थे, पीछे से उसने उस्तरा और फिरवा लिया था। खैर, वह तो उसमें भी फब रही थी। उसका रूप ही कुछ ऐसा था कि जैसी भी चले खूबसूरत लगे। तब तक जिमी का पारा बढ़ चुका था।
''देखो कैथी? तुम्हारी दोस्त को मैंने कितना सुंदर बनाया और यह है जो रो रही है।''
कैथी ने जिमी के हाथों कुछ डालर ठूँसे और मुझे खींचती हुई बाहर निकल आई। बाहर आते ही उसने कहा, ''मैंने तुमसे सुबह भी कहा था न कि तुम हीन भाव से ग्रसित हो, ब्रैडी से कहकर तुमको सैशन दिलवाऊँगी।''
''कैथी? तुम नहीं समझ सकतीं। मेरी माँ मेरी जान ले लेगी। लोग हँसेंगे, वह अलग...''
''डैम इट प्रभा! तुमको अपनी माँ से इतना डर लगता है कि तुम अपनी मर्ज़ी से बाल नहीं कटवा सकतीं?''
''नहीं, तुम नहीं समझ सकतीं कि हमारा मारवाड़ी समाज कितना पुरातनपंथी है? एक तो मैं यों ही लकीर से हटकर चल रही हूँ। अब यदि कटे हुए बाल...'' कहते-कहते मैं फिर रुआँसी हो गई। मुझे मेरा चेहरा खुद ही अजीब लग रहा था।
''लकीर से हटकर चल रही हो तब तो अच्छी बात है फिर अपनी मर्ज़ी से जैसे चाहे रहो। दूसरों की नज़र से जीने की क्या ज़रूरत है?''
''ओह! हमारा अपना समाज? कैथी? मैंने शादी नहीं की। अकेली इतनी दूर चली आई हूँ और अब वापस इस शक्ल में जाऊँगी तो लोग कहेंगे बिल्कुल आवारा हो गई।''
''तो क्या हुआ? लोग कहेंगे और तुम हो जाओगी? अब तो सच में मुझे ब्रैडी से...''
''कैथी प्लीज! मेरी व्यक्तिगत बातें डॉ. ब्रैडी से मत कहो।'' मेरी आँखें टपकने लगीं।

उसने आगे बढ़कर बाहों में जकड़ लिया। उसने गालों को चूमते हुए, ''सिली गर्ल! अरे दुनिया से जितना डरोगी, वह उतना डराएगी। दुनिया एक फूला हुआ गुब्बारा है, उपेक्षा से एक सुई चुभो दो, बस सारी हवा निकल जाएगी।''
''यहाँ अमेरिका में हो ना इसीलिए बातें आ रही हैं। वहाँ चलो हिंदुस्तान में और वह भी जनमे किसी मारवाड़ी सेठिया परिवार में, तो पता चल जाएगा।''
''क्या पता चल जाएगा? बंदिशें? वे हमलोगों के जीवन में क्या नहीं हैं? फिर एलिजा क्यों रोती है? क्यों मेरी माँ ने आत्महत्या की? क्यों मेरी आंटी का नाम तक नाना के परिवार में नहीं लिया जाता?''
''तुम्हारी माँ ने आत्महत्या की?''
''हाँ क्यों कि डैड फ्लर्ट थे और माँ एक आवारा बदचलन आदमी को स्वीकार नहीं कर पा रही थी।''
''पर तुम तो कहती थीं कि तुम्हारे डैड ने तुमको और एलिजा को बेशुमार दौलत दी है?''
''पैसे और चरित्र का आपस में क्या संबंध? क्या तुम सोचती हो कि देखने में खूबसूरत रईस व्यापारी सच्चरित्र भी होता है?''
''नहीं, बिल्कुल नहीं।''

''अब मुझे अपनी बेवकूफी समझ में आ रही थी। अच्छा तुम्हारी आंटी के नाम में कौन सी...?''
''मेरे नाना बोस्टन के पचीस-तीस पुराने परिवारों में से एक। नाना के चार बेटियाँ तीन बेटे। सबसे छोटी आँटी एडिना एक विवाहित व्यक्ति से प्रेम करती है और वह भी करता है मगर वह पहली पत्नी के साथ रहता है। तलाक की बात यों ही बीच-बीच में उठती रहती है। आंटी एडिना अपने प्रेमी को दी हुई एंगेजमेंट रिंग पिछले दस वर्षों से पहने हुए हैं।
''फिर?'' मेरा गला सूख रहा था।
''और नाना के पुराने बोस्टन समाज में यह बात बिल्कुल अच्छी निगाहों से नहीं देखी जाती। आंटी एडिना या तो उस व्यक्ति से विवाह कर ले या फिर उसको छोड़ दे। मगर आँटी एडिना कुछ भी ऐसा नहीं कर सकी। वह बोस्टन के किसी स्कूल की प्रिंसिपल है।''
''तुम्हारी नानी नहीं है?''
''नानी दो साल पहले ही मरी है। आँटी एडिना को उन्होंने दस लाख डालर का ट्रस्ट और अपने सारे गहने वसीयत में दिए थे मगर आँटी ने सबकुछ लौटा दिया।''
''क्यों?''
''आँटी कहती हैं कि जो माँ-बाप मेरी भावनाओं की कद्र नहीं कर सकते, जिनकी निगाहों में मेरे लिए सम्मान नहीं, उनसे न मुझे संबंध रखना है और न ही उनके पास जाना है।''
''तुम मिलती हो आँटी से?''
''बहुत अधिक,  वह मेरी सबसे प्यारी आँटी है। आँटी मुखौटों में नहीं जीती। वे कहती हैं कि कई जगह मुझे समझौते करने पड़े, जीना पड़ा पर तुम मत जीओ।''
''ब्रैडी, आँटी को किन निगाहों से देखते हैं।''
''बहुत ही ज़्यादा पटती है दोनों में। खाली एक ही बात में झगड़ा होता है।''
''वह क्या?''
''ब्रैडी मुझे कमाने नहीं भेजते। आँटी आर्थिक स्वतंत्रता को पहली शर्त मानती है।''
''पर तुम आर्थिक रूप से स्वतंत्र तो हो।''
''नहीं, आँटी कहती है बाहरी दुनिया के कामों से स्त्री की चेतना मज़बूत होती है।''
''तुम क्यों नहीं समझाती ब्रैडी को?''
''समझा तो रही हूँ। दनादन जो पैसे खर्च कर रही हूँ। मस्ती मारती हूँ, दोस्तों का जमघट लगाती हूँ। ब्रैडी खुद ही समझ जाएगा।''
''क्या समझ जाएगा?''
''यही कि या तो मुझे किसी काम में लगाए नहीं तो मैं हम दोनों की ज़िंदगी को निरूद्देश्य करके रख दूँगी। खाली दिमाग शैतान का घर।''

मुझे हँसी आ गई। उस खाली दिमाग के ऊपर सुनहरे गोल-गोल बालों के छल्लों को देखकर।
''तुमने इतने खूबसूरत सुनहरे बालों को कटवा डाला।''
टैक्सी में हमलोग ईस्ट ५५ स्ट्रीट गए। बाहर बड़ा-सा नियोन साइनबोर्ड चमक रहा था। जिसमें लिखा था, 'मदाम रोजेरोस्की हेल्थ सेंटर' घुसते ही बायीं तरफ़ सिंड्रेला बार था।
''चलो पहले इसमें थोड़ी देर बैठकर गला तर कर लें।''
''कैथी! कितना खाओगी? सुबह से यह चौथी बार गला तर किया जा रहा है।''
''मैं जबतक मेढ़की जैसी नहीं फूल जाऊँगी, तब तक ब्रैडी मुझे काम नहीं करने देगा।''

उसके अपने तर्क थे जिनसे उलझने का मतलब था शिकारी के फंदे में पड़ना और अपनी जो कुछ भी बची-खुची आस्था हो, उसके काँच की किरचों-सा बिखेर देना।
खैर, अंदर एक कोने के टेबल पर हम लोग बैठ गईं। शायद लंच टाइम था। हाँ घड़ी दो बजने की सूचना दे रही थी। एक से एक मोटे, बेहद मोटे स्त्री और पुरुष, कुछ हम लोगों जैसे भरे पड़े थे।

पृष्ठ- . . . . . . . .. १०. ११. १२

क्रमशः

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।