मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
यू.के. से जय वर्मा की कहानी— कोई सवाल क्यों


आज डोरीन ने आजादी की साँस ली। बाईस वर्षों में पहली बार डोरीन अकेली घर से बाहर निकली थी। लहराती हुई पतली सड़क पर लाल रंग की डबल डेकर बस तेजी से वादियों के बीच चली जा रही थी। चार्नवुड लेस्टरशायर की छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच में बसा एक रमणीक और आकर्षक गाँव है। इंग्लैंड की मुख्य सड़क ‘मोटरवे वन’ के पास में होते हुए भी यहाँ पर यातायात के बहुत ही कम साधन उपलब्ध हैं। रेल तो यहाँ है ही नहीं और बस भी दिन में केवल दो बार आती है। मार्ग में बिना कुछ कहे अपने गंभीर विचारों में लीन केवल डोरीन ही जानती है कि उसने शादी से लेकर अब तक बाईस वर्ष कैसे बिताए।
1
डोरीन देखने में सुंदर थी। माँ-बाप ने उसे बहुत प्यार और दुलार से पाला था। अपनी नीली आँखें, सुनहरे तथा घुँघराले बालों के सौंदर्य के कारण प्रत्येक वर्ष स्पोलडिंग मेले में आयोजित सुंदरी प्रतियोगिता में ‘ब्युटी क्वीन’ का खिताब जीतती थी। जब वह अपने पापा की ट्यूलिप के फूलों से सजी बड़ी लंबी लारी में मुकुट पहनकर बैठती तो समस्त परिवार उस पर गर्व करता। बड़ी बहन सिलविया कभी-कभी थोड़ा चिढ़ जाती और बड़बड़ाती, ‘‘हर साल डोरीन को ही क्यों ‘ट्यूलिप फेस्टिवल’ में फूलों की फ्लोट में ‘ब्यूटी क्वीन’ बना कर बिठाया जाता है?’’ उन्माद भरे वातावरण में भी डोरीन को अभिमान और अकड़ का आभास न था। चमक-दमक की चकाचौंध भरी जिंदगी में भी वह संजीदगी और शीतलता का संतुलन बनाए रखती थी।

पृष्ठ : . .

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।