शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

1. 9. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 

पिछले सप्ताह

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का आलेख

बूमरैंग

°

पर्यटन में
विनोद भारद्वाज द्वारा 
लूव्र
संग्रहालय के विशेष आकर्षणों
का विवरण
महिमा मोना लीसा
और लूव्र संग्रहालय की

°

घर परिवार में
दीपिका जोशी के अनूठे अनुभव
साथ खाना

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर रहे हैं
विज्ञान समाचार

°

कहानियों में
संयुक्त अरब इमारात से
अशोक कुमार श्रीवास्तव की कहानी

मृगतृष्णा

मेरी छुट्टियां समाप्त होने को थी अतः मैं दिल्ली आ गया। दो–चार दिन वहां रूककर मैं वापस अबूधाबी आ गया। इस बीच अखिलेश से न तो मेरी मुलाकात हुई और न ही फोन पर कुछ बात हो पाई। यहां आकर डिसूजा से पता चला कि अखिलेश के लिए पी•टी•ए• भेजा जा चुका है जिसकी सूचना अखिलेश को तार द्वारा दे दी गई है। डिसूजा ने मुझसे कहा कि अगर अखिलेश से फोन पर बात हो सके तो उससे जल्दी आने के लिए कहें क्योंकि नया सत्र शुरू हो गया है।
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इस सप्ताह

साहित्य संगम में
बी मुरली की मलयालम कहानी
शिशिर की शारिका

गत सप्ताह सबेरे आठ बजे की धूप की तरफ देखते हुये सुनंदा बोली – "बताओ पवित्रन, अगले हफ्ते चलूं? थीसिस पूरा करना है। इस दिसम्बर में भी न दूं तो बाद में बड़ी देर हो जायेगी।" उसने बातें जारी रखीं – "बाज़ आई तुम्हारे शहर से। अपने हिल स्टेशन की गाड़ी पकडूंगी। एक काम करो। एक महीने के लिये फरार हो जाओ। वहां सरदियां शुरू हो रही हैं।"
पवित्रन ने कहा – "तुम अकेले जा सकती हो। एक काम करेंगे। आज जाकर टिकट का आरक्षण करें। नहीं तो तुम्हें सफर में तकलीफ होगी, तुम्हारे जाने के बाद मुझे कुछ प्रोजेक्ट पूरे करने हैं। तुम्हारे बंजर टीले पर मेरी योजनायें नहीं चलेंगी।"

°

साहित्यिक निबंध में
डा सेवाराम त्रिपाठी का लेख
हिन्दी ग़ज़ल के नये पड़ाव

°

ёसप्ताह का विचार!
च्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है
°—अनंत गोपाल शेवड़े°

°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत 
अमृता शेरगिल
का परिचय उनके चित्रों के साथ

°

फुलवारी में 
सितारों की दुनिया स्तंभ के
अंतर्गत इला प्रवीन से जानकारी
शनि ग्रह  
और
दीपिका जोशी की ज़बानी लोककहानी
सुनहरे मुकुटवाला भगवान

 

अनुभूति में

रामधारी सिंह दिनकर का स्मरण
सत्येश भंडारी व तरूण भटनागर की कविताएं
तथा काव्यचर्चा

साहित्य समाचार

स्वतंत्रता दिवस विशेषांक

° पिछले अंकों से°

  कहानियों में
अनन्य
शैल अग्रवाल
अज़ेलिया के फूलसुषम बेदी
अभिसारिकामधु संधु
बिल्लियां बतियाती हैं–एस आर हरनोट
लावारिस–विद्याभूषण धर

°

प्रौद्योगिकी में 
विजय कुमार मल्होत्रा का आलेख 
हिन्दी सीखते कंप्यूटर

°

संस्मरण में
डा नरेश की कलम से
फिर यह पाकिस्तान क्यों

°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का आलेख 
नौ और ग्यारह

°

पर्व परिचय में  
रक्षाबंधन के अवसर पर
एन शाह का आलेख 
बंधन धागों का

°

स्वास्थ्य संदर्भ में
दीपिका जोशी की भोजन पड़ताल 
पिज़ा की पौष्टिकता

°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत 
बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख 
हरियाला ताज परिसर
°

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला