अनुभूति

24. 5. 2004

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पिछले सप्ताह

नगरनामा में
ग़ज़ाल ज़ैग़म का इलाहाबाद
मौसम मेरे शहर के

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प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का जानकारी पूर्ण आलेख
सागर की संतानें
अल–नीनो एवं ला–नीना

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आज सिरहाने में
कमलेश्वर के उपन्यास
कितने पाकिस्तान
से परिचय

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हास्य व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का आलेख
ग्रे हाउंड से एटलांटा लुइविल सिनसिनाटी की यात्रा1

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कहानियों में
भारत से ममता कालिया की कहानी
पीठ

ह आईमैक्स एडलैब्स के विशाल गुंबद छविगृह के परिसर में, 'एडोरा' के शोरूम में, तस्वीर की तरह, एक स्टूल पर बैठी थी। उसके चारों ओर तरह–तरह के विद्युत उपकरण चल–फिर रहे थे, जल–बुझ रहे थे। स्वचालित सीढ़ियां और पारदर्शी लिफ्ट को एक बार नजरअंदाज कर भी दिया जाए पर विद्युत झरने पर तो गौर करना ही पड़ा जो अपनी हरी रोशनी से उसे सावन की घटा बना रहा था। कैफे की कुर्सी पर टिका–टिका हर्ष उसे बड़ी देर तक देखता रहा। उसे लगा, उसके सामने 4क्ष्6 का कैनवास लगा है जिस पर झुका हुआ वह इस ताम्रसुंदरी का चित्र बना रहा है। पहले वह हुसैन की तरह लंबी, खड़ी, तिरछी बेधड़क रेखाएं खींचता है, फिर वह रामकुमार की तरह उसमें बारीकियां भर रहा है।
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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से प्रत्यक्षा की कहानी
चोरी

नील का फोन दो मिनट पहले आया था। बस एक लाइन - "आ गया हूँ। आधे घंटे में आय विल बी देयर"। मन में एक बवंडर फिर से उठ गया था। दो दिन पहले जब नील का फोन आया था ये खबर करने कि वो भारत आ गया है और उससे मिलने आयेगा तब से ही रीनी का मन बेहद अशांत हैं। शांत ठहरे जल में जैसे कोई बड़ा सा पत्थर फेंक दें। तरंग एक पर उठती जा रही है। अपने मन को संभाला। एक नजर पूरे घर पर दौड़ाई। मेहमान वाले कमरे पर विशेष ध्यान दिया। पीले फूलों वाला पिलो कवर। 
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उपन्यास में
स्वदेश राणा के नये अप्रकाशित उपन्यास
कोठेवाली का अंतिम भाग

मुझे ठीक से समझाना नहीं आता मेरी गुड़िया। लेकिन फिर भी कोशिश करती हूं। माटी को रंगना क्यों? रूंधी माटी तो अपने ही रंग लेकर तपती है न? गाचनी, बिस्कुटी, स्लेटी, नीला, ऊदा, नस्वारी। हर रंग का अपना छोटा सा कुनबा। जितनी तेज़ धूप की गरमी, उतनी चटख़ रंग की शोखी। जैसी झीनी छांव वैसा हल्का रंग।
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परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की लंदन पाती
यात्रा और पड़ाव
तथा
सुमन कुमार घई की कनाडा कमान
टोरोंटो में छाया प्रो अशोक चक्रधर का जादू
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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर रहे हैं
दो माँओं की बेटी ‘कागुया’
1°

!सप्ताह का विचार!
माज हमें बताता है कि हम क्या हैं,
पर एकांत हमें बताता है कि हमें
कैसा होना चाहिये।
—मुक्ता

 

अनुभूति में

समस्यापूर्ति 3 की
प्रविष्टियों में
58 नयी कविताएं
साथ ही
नये पुराने कवियों
की कुछ और नई रचनाएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में

बादल छंट गए–अलका प्रमोद
गौरैया–रवीन्द्र कालिया
ढंकी हुई बातेंतरूण भटनागर
यही सच हैै–मन्नू भंडारी
आई एस आई एजेंट–महेश चंद्र द्विवेदी
टेपचूउदय प्रकाश 
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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की कलम से
वरूण(2)

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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत तैयार है
तंदूरी शिमला मिर्च

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सामयिकी में
मई दिवस के अवसर पर
योगश चंद्र शर्मा प्रस्तुत कर रहे हैं
मई दिवस की यात्रा कथा

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नगरनामा में
असगर वजाहत द्वारा पत्र शैली में लिखा गया बुदापेस्त का नगर वृतांत
इस पतझड़ में आना

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फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला में जानकारी 
कस्तूरी मृग,
हिरन का एक सुंदर सा चित्र
रंगने के लिए
और कविता — हिरन

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
ढिंचिक–ढिंचिक वाली रामचरित मानस

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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
भारत से बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख
हाईटेक हुए साधू संत

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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