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9. 8. 2006 

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लेखकों से

 

पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
गर्मी की दोपहर में संतोष खरे लगा रहे हैं
धूप का चश्मा

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महानगर की कहानियों में
सुभाष नीरव की लघुकथा
मकड़ी

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पर्यटन में
मनीष कुमार के साथ चलें
सिक्किम के सफ़र पर

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फुलवारी में
 देश देशांतर में जानकारी की बातें
अर्जेन्टीना, ब्राज़ील और पेरू

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कहानियों में
भारत से अभिरंजन कुमार की कहानी
तुम सच कहती हो गौरैया

दिल्ली की शाम अलसता की लता और कोमलता की कली–सी नहीं है। वह निराला की सांध्य सुंदरी की तरह नीरवता के कंधों पर बांह डाले हुए नहीं आती।  दिल्ली की शाम में शर्म–संकोच, आंचल–घूंघट आदि की अवधारणाएं लुप्तप्राय हैं। इसलिए यहां की शाम भी ऐसी नहीं हो सकती। वह तो आती है और भी शोर बढ़ाती हुई गली–गली, तमाम सड़कों पर। वह शांत सरोवर पर कमलिनी–दल में या सौंदर्य–गर्विता सरिता के विस्तृत वक्षस्थल में या हिमगिरि के अटल–अचल गंभीर शिखरों पर नहीं सोया करती, बल्कि वह तो बड़ी–बड़ी इमारतों और होटलों की भव्यता पर सोने
वाली है।

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इस सप्ताह
1
कहानियों में
भारत से पुष्यमित्र की कहानी
मुंबई टु सतपुड़ा

 कहानी मुंबई महानगरी से ही शुरू होती है। बीच शहर में एक भव्य फ्लैट और उसमें रहने वाले चार किरदार। सौरभ देव, विज्ञापन की दुनिया का सफलतम कॉपी राइटर। उसकी बीवी रूबी, शहर के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारियों में से एक की बेटी है। उन दोनों की छोटी सी बेटी तान्या। आठ साल की है। मॉम–डैड की दुलारी, अकेली संतान और, उन तीनों का दुलारा 'टशन'। जी हां 'यारां दा टशन'। उसे देख उस सुपरहिट कैच वर्ड की याद में सौरभ देव ने अपने डाल्मेशन पपी का नाम रखा था टशन। ख़बरदार, उसे कुछ मत कहिएगा। घरवाले नाराज़ हो जाते हैं। नाम नहीं मालूम हो तो पपी कहिए, डॉगी कहिए।

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हास्य व्यंग्य में
राजेन्द्र त्यागी का नवीनतम शोध विषय
राजनीति और मूंछ

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पर्व परिचय में
9 अगस्त रक्षाबंधन के अवसर पर
मनोहर पुरी की कलम से बंधा
प्यारा सा बंधन–रक्षाबंधन

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घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी के सुझाव
दमदार रहें दिनभर के लिए

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रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में पकाएं
आलू टमाटर हरे प्याज वाले

 सप्ताह का विचार
दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, सत्य, दया और आत्मबल पर है।
—महात्मा गांधी

 

जीवन शुक्ल, मीराबाई, स्मिता तिवारी, श्यामल सुमन और संजयकुमार पाठक की नयी रचनाएं 

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
चाह–डॉ शैलजा सक्सेना
रक्तदान–नितिन उपाध्ये
ज़िंदगी जहां शुरू होती है–रवींद्र बत्रा
फुटबॉल–पद्मा सचदेव
राजधानी में हार–असग़र वजाहत
यादों के गुलमोहर–शैल अग्रवाल
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हास्य व्यंग्य में
इटली के लड्डू–गुरमीत बेदी
भगौने में चम्मच–प्रतिभा सक्सेना
भोंपू–डा नरेन्द्र कोहली
मैच के समय . . .–रविशंकर श्रीवास्तव
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संस्कृति में
अर्बुदा ओहरी लेकर आई हैं
कॉफ़ी का प्याला
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विज्ञान वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप खोज लाए हैं
ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोतः जैव ईंधन यानि बायोडीज़ल
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव सिखा रहे हैं
इनस्क्रिप्ट की–बोर्ड
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आज सिरहाने में
अशोक चक्रधर के संस्मरणों का संग्रह
मंच मचान
°

प्रकृति में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सुकेती जीवाश्म पार्क

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संस्मरण में
अशोक चक्रधर व पूरन पंकज की यादों में श्याम ज्वालामुखी

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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