| पिछले
              सप्ताह1
 हास्य व्यंग्य में
 अंतरा करवड़े कर रही हैं
 समाजसेवा
 
      
      °      
      
      
      
               संस्कृति मेंडा नवीन लोहानी से रोचक जानकारी
 हमारा
              लोक साहित्यः लावनी
 °      
       घर
      परिवार मेंअर्बुदा ओहरी के कारगर सुझाव
 बिन
      पानी सब सून
 °      
      
      
      
               रसोईघर
              मेंमाइक्रोवेव की सहायता से
              पकाएंं
 बेसन
              का सब्ज़ीदार चीला
 
      
      °      
      
      
      
               कहानियों में
                
      
      
      भारत से डा शिबन कृष्ण रैणा की कहानी
 बाबू
              जी
  
 बीच में थोड़ा
              रूककर उन्होंने सामने दीवार पर टंगी अपनी पत्नी की तस्वीर की
              ओर देखा और गहरीलंबी सांस लेकर बोले, "आज
              हमारी शादी की सालगिरह है। बुढ़िया जीवित होती तो सुबह
              से ही इन मेडलों को चमकाने में लग गई होती। ये
              मेडल उसे अपनी जान से भी प्यारे थे। जातेजाते डूबती
              आवाज़ में मुझे कह गई थी  निक्के के बाबू, यह मेडल
              तुम्हें नहीं, मुझे मिले हैं। हां  मुझे मिले हैं। इन्हें
              संभालकर रखना हमारी शादी की सालगिरह पर हर साल इनको
              पालिश से चमकाना।" कहतेकहते बाबूजी कुछ भावुक हो
              गए। क्षणभर की चुप्पी के बाद उन्होंने फौजी अंदाज़ में ठहाका
              लगाया और बोले, "बुढ़िया की बात को मैंने सीने
              से लगा लिया।"°
 |  | इस
              सप्ताहहिंदी दिवस
              विशेषांक
 1
 साहित्य
              संगम में
 सी वी श्रीरमण की मलयालम कहानी
              का हिंदी रूपांतर
              लौटते
              हुए
  
 उसने बच्चे से पूछा, 'कहां
              पढ़ते हो बेटा?''हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल . . .'
 'किस क्लास में?'
 'तीसरे क्लास . . .'
 औरत ने हाथों से बच्चे का मुंह बंद किया।
 'यू आर स्टडियिंग इन हिंदू वेदिक इंग्लिश मीडियम स्कूल
              अफिलिएटेड टू ऑक्सफोर्ड। टाल्क इन इंग्लिश मैड यू।'
 औरत ने बच्चे के मुंह से हाथ हटाया।
 बच्चे ने कहा, 'तीसरे क्लास में . . .'
 औरत के हाथ कांप रहे थे। उसने बच्चे को मारा और धक्का भी
              दिया। बच्चे के होंठ और माथे से खून निकला और वह
              दौड़ा . . .तब भी वह चीख रही थी।
 'यू इंडियन डेविल टॉक इन इंग्लिश।'
 
      
      
      
      °
      
      
      
               
      
      
      हास्य व्यंग्य मेंअनूप कुमार शुक्ल का व्यंग्य
 हिंदी
      की स्थिति
 
      
      
      
      °
      
      
      
               हिंदी
              दिवस के अवसर परदो विशिष्ट रचनाएं
 
              लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का आलेखसंविधान
              में हिंदी
 और
 डा विवेकानंद शर्मा की कलम से
 फ़ीजी
              में हिंदी
 
      
      °
      
      
      
               साहित्यिक
              निबंध मेंरिंपी खिल्लन सिंह की रचना
 लोकसंवेदना
              के
              कवि
              सर्वेश्वर
 
            
              |  सप्ताह का
                विचारकेवल
                अंग्रेज़ी सीखने में जितना श्रम करना पड़ता है उतने श्रम
                में भारत की सभी भाषाएं सीखी जा सकती हैं। विनोबा
 |  |  | 
                    
            |  | हिंदी को
              समर्पित  विशेष कविताएं साथ में काका हाथरसी के जन्म
              दिवस पर हास्यरस से पगी उनकी ढेर सी रचनाएं
           |  ° पिछले अंकों
      से °
      
       
      
      
      कहानियों मेंभटकनसंतोष गोयल
 गुलाबी
              हाथीदीपक शर्मा
 फोकसअलका पाठक
 मुंबई
      टु सतपुड़ापुष्यमित्र
 तुम
              सच कहती होअभिरंजन कुमार
 चाहडॉ शैलजा सक्सेना
 °
 
      
      
      
      
      
      हास्य
              व्यंग्य मेंअथ
              गणेशाय नमःशरद जोशी
 बंदरों
              ने किताबें क्यों फाड़ींगुरमीत बेदी
 जनतंत्रडा नरेन्द्र कोहली
 राजनीति
              और मूंछराजेन्द्र त्यागी
 °
 प्रकृति
              मेंडा डी एन तिवारी का
 चिर
              सखा बांस
 °
 साहित्यिक
      निबंध मेंविद्याभूषण मिश्र की लेखनी से
 सावन
      उड़ै कजरिया मस्तानी
 °
 
                  
                  फुलवारी
            मेंमौसम के विषय में जानकारी की बातें
 मौसम
                  क्या है?
 °
 साहित्य
              समाचार में
      
      
      
            जापान से विशेष रपट
 टोक्यो
              में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
 °
 चिठ्ठापत्री
              मेंश्रद्धांजलि
              मेंचिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
 जुलाई
              माह के चिठ्ठों पर
 °
 उस्ताद
              बिस्मिल्लाह खां से परिचय
              और
 एक
              महत्वपूर्ण साक्षात्कार
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