लेखकों से  /    UNICODE  HELP
केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें


9. 1. 2007

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घाकविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व-पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटकपरिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरणसाहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में नॉर्वे से शरद आलोक की कहानी
अंतरमन के रास्ते
विनोद ट्राम स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। बर्फ़ के ढेलों को पैरों से मारता और वे बिखर जाते। उसके मन के ज्वार-भाटे एकदम ऐसे चकनाचूर हो जाएँगे उसने सोचा नहीं था। सूरज निकल आया था। . . .कुछ पक्षी कलरव करते हुए उड़ रहे थे। पक्षी या तो घोंसले में वापस लौट आएँगे या मौसम के अनुसार किसी दूसरे बसेरे के लिए उड़ जाएँगे,  परंतु विनोद जिस दशा में पहुँच गया है वहाँ कोई घोंसला उसकी प्रतीक्षा नहीं करेगा। वह नेशनल थिएटर के पास बैठ गया जहाँ एक संगीतकार वायलेन बजाकर कुछ सिक्के एकत्र कर रहा था। विनोद ने अपना मुख कैप से ढँक लिया और हाथ में एक काग़ज़ का कप लिए संगीतकार के साथ ही दीवार के सहारे बैठ गया।

*

हास्य व्यंग्य में नरेंद्र कोहली की भेंट
सेवा वंचित से
रामलुभाया का लटका हुआ चेहरा देख कर मैंने पूछा, ''क्या हुआ रामलुभाया?''
''कुछ नहीं! बस कुछ मूर्खों के कारण मुझे देश की सेवा करने से वंचित कर दिया गया है।''  मैं उसकी बात समझने में सर्वथा असमर्थ था। भला देश की सेवा से कोई किसी को कैसे वंचित कर सकता है। भगत सिंह को अँग्रेज़ भी नहीं रोक पाए थे। तो यह...मैं जब चाहूँ, अपने क्या किसी पराए देश की भी सेवा कर सकता हूँ। कोई मुझे रोक कैसे सकता है।''
''कौन सी सेवा करना चाहते थे तुम रामलुभाया?'' मैंने पूछ लिया। मैं जानता था कि मेरे लिए ज्ञान का एक नया अध्याय खुलने वाला है।

*

घर परिवार में भावना कुँअर का आलेख
सर्दियों में सर्दी

पतझर और सर्दियों के महीने गर्मी को अलविदा कहने लगते हैं, आग जलाकर उसके आसपास बैठना बहुत भाने लगता है, ऐसे में भुनी मूँगफली, बादाम, अखरोट खाने का तो अलग ही मज़ा है, और पीने के लिए हज़ारों पेय जो सर्दी को तो दूर भगाते ही है, स्वास्थ्य भी बनाते हैं। वैसे तो सर्दियाँ अपने आप में खुशियाँ लेकर आती हैं लेकिन ज़रा सी लापरवाही के कारण ये कष्टकर भी हो जाती हैं जैसे: सर्दी, जुकाम, खाँसी में। सच पूछिए तो यह सर्दियों की सर्दी किसी जानलेवा मुसीबत से कम नहीं। तो क्या इससे बचने के कुछ कारगर प्राकृतिक तरीके हैं जो जीवन को आसान बना सकें?

*

फुलवारी में बच्चों के लिए मौसम की जानकारी
बादल कैसे बनते हैं

बादल पानी या बर्फ़ के हज़ारों नन्हें नन्हें कणों से मिलकर बनते हैं। ये नन्हें कण इतने हल्के होते हैं कि हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं। बादल के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं— सिरस, क्युमुलस और स्ट्रेटस। इन नामों को बादलों की प्रकृति और आकार के आधार पर रखा गया है। बहुत बार बादल मिलेजुले आकार-प्रकार के भी होते हैं। ऐसे बादलों को मिलेजुले नामों से जाना जाता है। इन प्रकारों के विषय में ठीक से जानने के लिए उन के दस नाम रखे गए हैं। ये सब नाम लैटिन भाषा में हैं।

*

रसोईघर में गृहलक्ष्मी प्रस्तुत कर रही हैं
टमाटर की रसम

गरम और चटपटी टमाटर की रसम दक्षिण भारतीय भोजन की शान तो है ही, इसको सर्दियों की शाम सूप की तरह ब्रेड के साथ संपूर्ण भोजन की तरह भी खाया जा सकता है। उत्तर भारतीय रात्रिभोज हो तो भोजन से पहले कवाब और टिक्कों के साथ टमाटर की इस रसम का जवाब नहीं।

 

रमेश नीलकमल, प्रो. राजीव कृष्ण सक्सेना, आलोक शंकर
और
विनोद शून्य की
नई रचनाएँ

ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
शिमला क्लब. . . -राजकुमार राकेश
पिंजरे में बंद तोते
-विपिन जैन
सही पते पर- सूरज प्रकाश
इच्छामृत्यु- नरेन्द्र मौर्य
काला लिबास-सुषम बेदी
मानिला की योगिनी- महेश चंद्र द्विवेदी

*
हास्य व्यंग्य में
नया साल मुबारक- अमृत राय
नेता जी की नरक यात्रा- गिरीश पंकज
मैं कुत्ता और इंटरनेट- गुरमीत बेदी
झूठ के नामकरण-डॉ अखिलेश बार्चे

*
साहित्यिक निबंध में
डा‌‌‍‍ जगदीश व्योम की पड़ताल
हिंदी कविता में नया साल

*
धारावाहिक में
डॉ अशोक चक्रधर के विदेश यात्रा-संस्मरण
ये शब्द मुँह से मत निकालिए!

*
पर्व परिचय में
साल भर के पर्वों की सूची
पर्व पंचांग-२००७

*
पर्व परिचय में
सरोज मित्तल से मजेदार जानकारी
देश विदेश में क्रिसमस

*
विज्ञान वार्ता में
डा गुरुदयाल प्रदीप की पुकार
हाय रे दर्द

*
साहित्य समाचार में
विश्व के हर कोने से इस माह के
नए समाचार

*
साक्षात्कार में
एक मुलाकात भाषा सेतु के भगीरथ
जगदीप डांगी से

*
संस्मरण में
दिवंगत रचनाकार को श्रद्धांजलि
जनकवि कैलाश गौतम

*
ललित निबंध में
उमाशंकर चतुर्वेदी का आलेख
रस आए रस जाए


सप्ताह का विचार
धन के भी पर होते हैं। कभी-कभी वे स्वयं उड़ते हैं और कभी-कभी अधिक धन लाने के लिए उन्हें उड़ाना पड़ता है। —कहावत

अपनी प्रतिक्रिया   लिखें /  पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरणसाहित्य समाचार
साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्य

©  सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org