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१६. ६. २००७

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हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह अमलतास विशेषांक में—
समकालीन कहानी के अंतर्गत
यू.के. से शैल अग्रवाल की कहानी बसेरा
रास्ते भर अब आँखें नए-नए सपने देख रही थीं। कभी पल भर में दिल्ली पहुँच जाती, चाणक्य पुरी के घर में जिसके दरवाज़े पर वह अमलतास का पेड़ था जहाँ वह दरबान बैठा करता था तो कभी अपने लंदन के घर के दरवाज़े पर अमलतास फूलों से लदा-फंदा दिखने लगता उसे। वैसे तो उसकी पूरी गली पर ही ये अमलतास की टहनियाँ छतरी-सी तन जाया करती थीं और जब-जब धूप से तपती सड़कों पर ये पत्तियाँ अपना सुनहरा कालीन बिछातीं तो रिधू तुरंत ही तपती धूप में भी चप्पल हाथों में लेकर चलने लग जाती। वह तो यहाँ भी वे सारे ही पेड़ लगाएगी, जो भारत में उसके अपने कमरे की खिड़की के नीचे थे।

*

हास्य-व्यंग्य में इस बार अभिनव शुक्ल और
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे निकल पड़े अमलतास की तलाश में
अभिनव की पेड़ पौधों संबंधी जानकारी उतनी ही थी जितनी कि महात्मा गांधी के विषय में मुन्ना भाई की। एक दिन उन्होंने अमलतास के ठीक नीचे खड़े होकर मुन्ना भाई की तरह पूछा- अमलतास बोले तो? भला हो अमरूद बेचने वाले पंडितजी का, जिन्होंने उनका परिचय अमलतास से करवाया। दूसरी ओर शास्त्री जी परेशान हैं कि अभिव्यक्ति ने अमलतास विशेषांक की घोषणा कर के कवियों की रातों की नींद हराम कर दी है। वे एक दूसरे से पूछ रहे हैं- यार ये अमलतास होता क्या है। अब उन्हें भी पता हो तो बताएँ। लगे हैं अमलतास तलाशने में और भटक रहे हैं अमलतास की गलियों में।

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प्रकृति में
अर्बुदा ओहरी का आलेख अमलतास
स्वर्णिम छटा को समेटे हुए अमलतास गर्मियों के मौसम में इठलाता, पीले सुनहरी फूलों से लदा हुआ, सूरज की रोशनी को और भी चमकीला बना देता है। गरमाल, राजवृक्ष, स्वर्णांश, बहावा, कोनराई कितने ही नामों से पहचाने जाने वाले इस वृक्ष को अंग्रेज़ी में गोल्डन शावर" या "गोल्डन ट्री" भी कहा जाता है। वनस्पति विज्ञान में अमलतास को "कैसिया फिस्टुला" कहते हैं और आयुर्वेद में इसे "स्वर्ण वृक्ष"। वाल्मीकि ऋषि ने इसकी स्वर्णिम आभा को देखते हुए "कंचन वृक्ष" नाम दिया। इसके सौंदर्य को देखते हुए भिन्न-भिन्न नामों से इसे अलंकृत किया गया है। भारत में तो प्रायः हर प्रदेश में इसका नाम अलग है।

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टिकट संग्रह में पूर्णिमा वर्मन ढूँढ लाई हैं
डाक टिकटों के संसार में अमलतास
डाक टिकटों की दुनिया का जादू बेमिसाल है। शायद ही कोई हो जो जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर इस तिलिस्म से होकर न गुज़रा हो। बहुत से लोग जिन्होंने जीवन में कभी टिकट जमा नहीं किए यह लेख पढ़ने के बाद इस शौक में डूबेंगे। यह तिलिस्म ही ऐसा है जहाँ इतिहास है, भूगोल है, लोग हैं, फूल हैं, तितलियाँ हैं और भी न जाने क्या क्या है। जब इतना कुछ है तो अमलतास भी होना ही चाहिए। बस हमने खोज निकाले अमलतास से सजे दुनिया के कोने कोने से आए ये सुंदर डाक-टिकट, जिनमें रूप और रंग तो है ही, जानकारी का अनमोल ख़ज़ाना भी है। तो चलें खोलें कुछ रंगीन रहस्य और जानें उन कहानियों के बारे में जो छिपी हैं इनमें।

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निबंध में धर्म प्रकाश जैन का अमलतास से परिचय
और डॉ जगदीश व्योम की गलियों में फिर फूले अमलतास
धर्म प्रकाश जैन कहते हैं-  अमलतास से मेरा परिचय बचपन से है। जैन तीर्थ 'पारस नाथ पर्वत' की 18 मील की यात्रा के दौरान मैंने सैकड़ों अमलतास के पेड़ देखे थे। अमलतास और बुरूँस के पेड़ों में फूल बहुतायत से आते हैं। बसंत ऋतु में अमलतास सुनहरे पीले फूलों से ढका रहता है और बुरूँस लाल रंग के फूलों से।
और डॉ. जगदीश व्योम कहते हैं-- मन रूपी अश्व ऐसी चौकड़ी भरता है नियंत्रण की लगाम उसे रोक पाने में बेअसर हो जाती है। कहाँ पहुँच जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। आज सुबह जब घूमने के लिए निकला तो गर्मी से बुरा हाल था, वैसे भी दिल्ली की गर्मी के तो कहने ही क्या। सड़क के किनारे वाले पार्क में लगी बेंच पर बैठा ही था कि पीली पंखुड़ियों की बरसात होने लगी।

सप्ताह का विचार
ऐ अमलतास किसी को भी पता न चला तेरे कद का अंदाज जो आसमान था पर सिर झुका के रहता था, तेज़ धूप में भी मुसकुरा के रहता था। --मधूलिका गुप्ता

विभिन्न विधाओं
में रची अमलतास से संबंधित ढेर सी नई काव्य रचनाएँ

-पिछले अंकों से-

कहानियों में
अंतिम तीन दिन- दिव्या माथुर
पेड़ कट रहे है- सुमेर चंद
वसीयत- महावीर शर्मा

मुलाक़ात- शिबन कृष्ण रैणा
थोड़ा आसमान...- रवींद्रनाथ भारतीय
क्या हम दोस्त...- उमेश अग्निहोत्री

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हास्य व्यंग्य में
काश हम भी कबूतरबाज़ होते-गुरमीत बेदी
पॉलिथीन युग पुराण- वीरेंद्र जैन
कन्या-रत्न का दर्द- प्रेम जनमेजय
संसद में बंदर - राजेन्द्र त्यागी
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धारावाहिक में
ममता कालिया के उपन्यास
दौड़ की तीसरी किस्

*

दृष्टिकोण में
"भारतदीप" का विश्लेषण
मुद्दे उछलते क्यों हैं

*

रसोईघर में
तपती गरमी के लिए ठंडी
आम मधुरिमा

*

महानगर की कहानियों में
पर्यावरण की खुशबू में डूबी
सुभाष नीरव की धूप

*

घर परिवार में
अतुल अरोरा पर मौसम की मार
अब तक छप्पन

*

विज्ञान वार्ता में
डॉ. गुरुदयाल प्रदीप का आलेख

रक्तदान महादान

*

साहित्य समाचार में
*महुआ माजी कथा (यू.के.) सम्मान व डॉ. गौतम सचदेव पद्मानंद साहित्य सम्मान से अलंकृत
*एमरी विश्वविद्यालय, एटलांटा में हिंदी-उर्दू कवि गोष्ठी
*भारत में जयप्रकाश मानस को माता सुंदरी फ़ाउंडेशन पुरस्कार
*मॉस्को में हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन
*डॉ० रामदरश मिश्र को "उदयराज सिंह स्मृति सम्मान" तथा हरिपाल त्यागी, डॉ०सिद्धानाथ कुमार और राजेश कुमार को "नई धारा रचना सम्मान"

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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