अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार हमारे लेखक लेखकों से
तुक कोश // शब्दकोश // पता-


 १. ११. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1
दीपावली के अवसर पर अनेक रचनाकारों द्वरा विभिन्न विधाओं में ढेर सी काव्य रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- दीपावली के शुभ अवसर पर, हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा प्रस्तुत है- कुछ मीठा और कुछ नमकीन

बागबानी में- आसान सुझाव जो बागबानी को उपयोगी और रोचक बनाने में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं-
३३- बाग में रौशनी।

कलादीर्घा में- दीपावली के अवसर पर प्रस्तुत हैं दीपपर्व की विभिन्न छवियाँ अनेक भारतीय रचनाकारों की तूलिका से

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- ३३- सुंदर सुरुचिपूर्ण दीवाली

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- आज के दिन (१ नवंबर को) प्रभा खेतान, माधव कौशिक, नीता अंबानी, पद्मिनी कोल्हापुरे ऐश्वर्य राय, टिस्का चोपड़ा... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में प्रस्तुत है- निर्मल शुक्ल की कलम से यश मालवीय के नवगीत संग्रह- नींद कागज की तरह का परिचय।

वर्ग पहेली- २५५
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-  दीपावली के अवसर पर

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
भारतेन्दु मिश्र की कहानी उस्ताद जी

फौज से रिटायर होकर आये थे उस्ताद जी। सेना मे पच्चीस वर्षों तक हज्जाम का काम करने के बाद उस्ताद जी ने अवकाश गृहण किया। इस सेवाकाल मे हिन्दुस्तान के न मालूम कितने शहर देखे ,न मालूम कितने अफसरो की कटिंग की,न जाने कितने लेफ्टीनेंटों और बैगेडियरों की हजामत बनायी। अपनी इस सेवा के दौरान उन्होंने न जाने कितनी बोलियाँ सीखीं और न जाने कितनी संस्कृतियों के अनुभव प्राप्त किये। अपना काम ईमानदारी से करते थे उस्ताद जी। फौज में उन्हें उनके काम के लिए सम्मान मिलता रहा। कोई प्रमोशन तो था नहीं इस लिए रिटायर होना ही उन्हें ठीक लगा। रिटायर हुए तो पुराने लखनऊ में स्थित अपने घर आ गये। फण्ड वगैरह का जो पैसा मिला उससे पुराना मकान ठीक करवाया। एक बेटा और पत्नी। बेटा फेल हुआ आठवीं में तो उसने दुबारा किताबों की शक्ल न देखने की कसम खायी। उस्ताद जी ने बड़ी कोशिश की मगर वो टस से मस न हुआ। उन्हें चिंता हुई कि मंगल पढ़ेगा नहीं तो उसकी जिन्दगी कैसे कटेगी। मंगल मुहल्ले के लडकों के साथ कभी पतंगबाजी कभी कंचे... आगे-
*

संकलित पुराण कथा
रावण हारा कितनी बार
*

हजारी प्रसाद द्विवेदी का ललित निबंध
आलोक पर्व की ज्योतिर्मयी देवी - लक्ष्मी

*

ललित शर्मा का आलेख
समुच्चय देव लक्ष्मी गणेश
*

परिचय दास की कलम से
जामुनी सुगंध की द्युति

पिछले सप्ताह- नवरात्रि के अवसर पर

मुक्ता के शब्दों में
पुराण कथा- दुर्गा नाम का रहस्य
*

भगवतशरण उपाध्याय का
ललित निबंध - नारी

*

पूर्णिमा वर्मन का आलेख
डाक-टिकटों और प्रथम दिवस आवरणों में दुर्गा
*

पुनर्पाठ में देव प्रकाश की कलम से
दुर्गा पूजा का संस्कृतिक विश्लेषण

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है मलेशिया से
मनीषा श्री की कहानी रेडियो मेरी जान

खुली बाहें पसारे, साल भर एक जैसा सदाबहार मौसम और दिन में कम से कम एक बार बारिश का मज़ा देने वाला यह शहर चाहे पर्यटक हो या प्रवासी दोनों को ही अपनी मीठी भाषा में सलामत देतंग कहता है, यानी कि “मलेशिया में आपका स्वागत” है। तो समझिये कि लगभग दो साल पहले स्वाती और यश ने जब अपने वतन भारत को मुंबई के छोर से अलविदा कहा तो परदेश में मलेशिया के कुआलालंपूर के छोर ने उन्हें सलामत देतंग कहा। यह स्वागत हर प्रवासी की तरह उनके लिये भी उत्सुकता और आशंका से भारा हुआ था। कड़ी व्यस्ता और दौड़ के साथ सामंजस्य बैठाते दो साल कैसे बीते पता ही नहीं चला। तब से पहली बार भारत जाकर लौटी है स्वाती, पिछली बार दशहरे और दिवाली पर भारत नहीं जा सकी थी, त्योहार सूने से रहे थे, इस बार भी यश की व्यस्तता के कारण उन्हें जल्दी कुआलालंपूर लौटना पड़ा है। भारत से लौटने के बाद कुछ दिन मन अनमना सा रहता है। सुबह यश को ऑफिस और कीर्ति को स्कूल भेज कर स्वाती जब वापिस घर में घुसी तो... आगे-

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

Loading