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अपने सरल स्वभाव के कारण वह जाने अनजाने ज़िंदगी़ के हर मोड़ पर हर कटुता को भुलाती आई है। शर्ली पलायन करती है। संदेह, विद्रोह, स्पर्धा और जलन-हदस जैसे भाव उसके मन में आते ज़रूर हैं किंतु वह उन्हें स्वीकार नहीं करती है। जीवन में जो कुछ अशोभनीय है त्रासद है कटु है और जिन दर्दनाक शर्मसार हादसों से कई बार उसे गुज़रना हुआ है वह उन सबको बड़े एहतियात से सात तालों के अंदर बंद कर गहरे अंधेरे तहख़ानों में रखती चली आई है। ऐसी जगहों पर जहाँ और कोई तो क्या वह खुद भी नहीं झाँक पाती। संभवत: ये मानसिक यंत्रणाएँ उसके अवचेतन मन में किसी विषैली सर्पिणी सी कुंडली मार कर बैठी नींद में डंक मारती है, उसे नींद में सरे बाज़ार हज़ारों लाखों लोगों के बीच निर्वस्त्र कर देती है और वह पानी-पानी हो जाती है। उस समय उस पर क्या गुज़रती है यह सिर्फ़ वही जानती है।

तभी अधसोया कामरान ओह हत्तेरे की कहता हुआ भड़भड़ा कर उठ बैठा और शर्ली सिंपसन के सुस्त बदन को बेदर्दी से धकियाते हुए बोला, ''''तुम इतनी देर से यहाँ बैठी अलसा रही हो, तुमसे इतना भी नहीं हुआ कि तुम मेरे लिए सुबह-सुबह एक प्याली चाय तैयार कर दो?'''' उसने नाराज़ होते हुए गुस्सैल आवाज़ में घुड़का, ''अब मुझे देर हो जाएगी पर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है? तुम बस सारे दिन सुस्ती मारती रहा करो।''
''पर कामरान तुमने मुझे कहाँ बताया था कि तुम्हें जल्दी जाना है।'''' शर्ली सुबह-सुबह कलह नहीं चाहती। ख़ासकर जब मेहमानख़ाने में कोई मेहमान सो रहा हो। उसने कामरान को सहज करने के लिए हलकी और प्यार भरी आवाज़ में कहा, ''चाय तो कामरान मैं अभी तुरत फुरत बना देती हूँ। तुम बस मुँह हाथ धोकर शॉवर तो लो।''
''मुझे शॉवर नहीं लेना है। तुम मुझे चाय दो।'''' उसने झल्लाते हुए ऊँची आवाज़ में इस तरह कहा कि बगल के कमरे में सोया हुआ मेहमान भी सुन सके।
''तुमने मेरे कपड़ों पर इस्तरी की या नहीं? तुम्हें पता है मुझे दूर की यात्रा के लिए लॉरी तैयार करनी है।'' कामरान ने उसे फटकारते हुए कहा।
''हाँ, तुम्हारे कपड़े इस्तरी कर के मैंने सूटकेस में पैक कर दिए हैं।''
''और मेरा शेविंगकिट?'' वह कड़का।
''वह अभी नहीं रखा है कामरान। जाने से पहले तुम्हें दाढ़ी जो बनानी होगी।'' वह जमती बर्फ़ की शीतलता से बोली।

शर्ली सिंपसन कामरान को शांत करने की जितनी कोशिश करती है उतना ही वह क्रोधित होता जाता है। वह जबतक शर्ली को पूरी तरह तराश नहीं लेता अशांत ही रहता है। थोड़ी देर तक कामरान झुंझलाया हुआ धमधम करता इस कमरे से उस कमरे में नर्वस मधुमक्खी की तरह फिरता रहा, फिर ताव में आकर बिना चाय पिए पैर पटकता हुआ धड़ से दरवाज़ा मार लॉरी स्टार्ट कर तेज़ी से निकल गया।

शर्ली सिंपसन सिर पकड़ कर असहाय लज्जित-सी दरवाज़े पर ज़रा देर खड़ी रही। कामरान ने पलट कर उसे देखा भी नहीं। ''बाय'' करने को उसका हाथ उठा ही रह गया। लंबी गहरी साँस भरते हुए हाथ नीचे कर शर्ली सिंपसन ने सिर को एक हल्का-सा झटका देकर कामरान के उदंड व्यवहार को अपने अवचेतन मन के गर्भगृह में बंद कर दिया। पल भर उसने सामने झाड़ी में फुदकती मैगपाई की चपलता को निहारा फिर मीठा-सा कोई गीत गुनगुनाती हुई चल पड़ी। कुर्सी के कुशन पर बैठी बिल्ली को बाहों में भर कर प्यार से सहलाया और थोड़ी देर बाद वह तन्मय ब्रेकफास्ट के लिए रसोई की मेज़ पर काँटे, चम्मच और नैपकिन कलात्मक ढंग से सजाने लगी।

तभी गेस्टरूम में ठहरा मेहमान तैयार होकर रसोई में गुडमार्निंग कहता हुआ आया। शर्ली सिंपसन तबतक सहज हो चुकी थी। उसने मुस्कुराते हुए बड़ी सहजता से विलियम से पूछा कि वह कौन-सा ब्रेक फास्ट सीरियल लेना पसंद करेगा। विलियम ने सामने रखे चाय के प्याले को हाथ में उठाते हुए कहा,
"पहले एक प्याला चाय शर्ली, जो तुम पहले ही मेरे लिए बना चुकी हो।''
फिर उसने चाय का एक घूँट लेते हुए कहा, ''''ज़बरदस्त ताज़गी़ है, क्या दार्जिलिंग की?''
''हाँ।''
"कितनी होशियार लड़की हो! तुम कैसे जान गईं कि सुबह उठते ही मुझे सबसे पहले चाय चाहिए?"
शर्ली सिंपसन प्रसन्न होकर इस तरह मुस्कराई मानो चेरी ब्लॉसम की खूबसूरत पंखुरियाँ उसपर फूलों की वर्षा कर रही हों।

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१६ जून २००५

 
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