मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


१३

ग्यारहवाँ भाग

मेनू कार्ड में पचास तरह के फ्रूट कॉकटेल थे, बीस तरह के सलाद और चार-छः तरह के स्कीम मिल्क की आइस्क्रीम दही। शायद दुनिया की ऐसी कोई सब्ज़ी या फल नहीं थे जिनका रस वे नहीं बेच रहे हों? गाजर, टमाटर, मिंट, पत्तागोभी और लहसुन, पालक और सेलेरी, किसी में शहद, किसी में सैकरिन। कितने आउन्स रस में? कितनी कैलोरी? और दाम पूछिए मत। दो ग्लास 'कैरट हवाना' मँगाया था। कैथी ने उसकी रेसिपी पूछी, लड़की ने जवाब दिया, ''गाजर उसमें थोड़ा-सा टमाटर का रस, ज़रा सी प्याज़ की कतरन, मिंट की महक, थोड़ा सा बिल्कुल बूँद भर टोबास्को सॉस, चार बूँद शहद, सबको गरम पानी में डालकर तुरंत निकाल लीजिए फिर रस निकालिए। रस को तुरंत एकदम पीजिए।''
''बस बहुत हो गया। कैरट हवाना के लिए मुझे यहीं आना होगा।'' कैथी ने हँसकर कहा।
''यस मदाम! आप क्या सोचती हैं लोग बेवकूफ़ हैं? वे ऐसे ही यहाँ एक ग्लास कैरट हवाना का दाम १५ डॉलर दे जाते हैं? इससे उनकी ज़िंदगी में स्वाद बचा रहता है, हम कुछ भी सर्व करें पर स्वाद का हमेशा खयाल रखते हैं। नहीं तो रेगुलर डायटर तो गाजर ही चबाता रह जाएगा।''

जूस वाकई में बड़ा स्वादिष्ट था पर पंद्रह डालर? वह भी १९६६ में, १५० रुपए का एक ग्लास?''
''कैथी? इसमें ऐसी क्या बात है जो घर में नहीं बनाई जा सकती?''
यही न्यूयार्क है और इस हेल्थ बार में आकर पैसा फूँकनेवाला आदमी अमीर कहलाता है। यहाँ आम आदमी नहीं आता।''
''ओह ग्रेट!''
''चलो, आज घऱ चलो, मैं तुम्हें ऐसी दस ग्रेट चीज़ें दिला देता हूँ।''
''लेकिन पैसे? ब्रैडी के पैसे कैसे खत्म होंगे?''
उसने बड़ी-बड़ी पलकें झपकायीं।
''कैथी! पैसा तो किसी अच्छे काम में भी लगाया जा सकता है ना?''
वह संजीदा होकर बोली, ''एक बात बताऊँ? इन पुरुषों को जब तक तुम बड़ा नरक नहीं दिखाओगी न, तब तक ये छोटे नरक से समझौता नहीं करेंगे।''

सुबह से कैथी ने ढाई सौ डॉलर तो फूँक दिए थे। अभी यदि कैफे में जाती तो और पचास फूँकती। खरीदा कुछ नहीं, कोई रेग्युलर खाना भी नहीं खाया। छिटपुट, चलते फिरते यह किन्नरी डॉलर उछालती रही थी।
घर पहुँचते-पहुँचते शाम हो गई। डॉ. ब्रैडले मूर हम लोगों की प्रतीक्षा ही कर रहे थे। घर में घुसते ही कैथी की धमाचौकड़ी शुरू हो गई। पहले उसने ब्रैडी को चूमचाटकर कृतार्थ किया, फिर अपनी स्यामीस बिल्ली की खोज-खबर ली। पता चला उनकी बिल्ली एक दिन बाथटब में कूद पड़ी थी।
''कूद क्या गई थी, यह कैथी की करनी थी कि बिल्ली को भी फोम बाथ दिया जाए।'' डॉ. मूर ने बीच में ही टोकते हुए कहा। खैर कोई भी कारण हो मगर लिली (बिल्ली) को न्यूमोनिया हो गया था। अतः अस्पताल भेजना पड़ा। अब ठीक है... कल जाकर उसे घर ले आएँगे।''

मुझे पेपे की याद आ गई। साथ ही आइलिन की। अचानक मन उमड़ आया। पेपे अब भी रातों को आईलिन का गर्म बिस्तर खोजता होगा।
खाने के लिए फोन पर डॉ. मूर ने ऑर्डर दिया। कैथी ने नकियाते हुए कहा, ''मुझे न खाना बनाना आता है और न बनाऊँगी। सप्ताह में दो दिन एक पार्ट टाइम नौकरानी आती है जो सारा काम कर जाती है और बाकी या तो हम बाहर खा लेते हैं या घर में मँगवा लेते हैं। हाँ ब्रेकफास्ट में कॉफी बनाना, टोस्ट सेंकना और अंडे उबालने का काम डॉ. ब्रैडी करते हैं।''

मुझे एलिजा की याद आ गई। दोनों बहनों में कितना अंतर। एलिजा का हर पल, हर क्षण, साँसों का आना-जाना सब कुछ डॉ. डी के चारों तरफ़ ही घूमता रहता। वह सह रही थी अपमान, वंचना, पीड़ा। वह गली लकड़ी की तरह सुलग रही था। क्यों? सारी स्वतंत्रता के बावजूद मिसेज डी, डॉ. से अपना हक माँग रही थीं। वे तो कोई भारतीय पत्नी नहीं कि संस्कारों की चट्टानों के नीचे दबी हुई पति परमेश्वर की प्रतीक्षा करती रहें या फिर सारी जलन कुढ़न के बावजूद चेहरे पर मुस्कान चिपकाए रहें? अपने पत्नीत्व के अधिकारों की झूठी गरिमा से स्वयं अपने ही मन को झुठलाती फिरें और पति से संबद्ध किसी दूसरी औरत को बाज़ार की चीज़ मानें? जो अपने आँसुओं को जायज़ मानें, उस दूसरी से जलने के अपने अधिकार को जायज़ समझें और परिवार की पूरी सहानुभूति सिर्फ़ अपने साथ मानें जबकि उस दूसरी औरत के पास सिवाय अपराधबोध के और कुछ न रह पाए।''

कैथी ने कंधे झकझोरते हुए खीझकर कहा, ''यह तुम कहाँ खो जाती हो और तुम्हारी आँखों में यह दुनिया भर का विवाद किसके लिए?''
''कैथी मैं मिसेज डी. के लिए सोच रही थी।''
''क्या?''
''बस उनका और डॉ. डी. का संबंध।''
''प्रभा सुनो मेरी बहन लिजा, आँटी एडिना, ये सब प्रेम की शहादत में अपनी ज़िंदगियाँ गँवा रही हैं। सच कहूँ प्रभा, मैं जो आज हूँ, जैसी भी हूँ और यदि कोई भविष्य की संभावना मुझमें है तो इसका सबसे बड़ा कारण मेरी माँ का स्वयं अपनी ज़िंदगी ईमानदारी से मेरे सामने खोलकर रखना। माँ का यह कहना कि हम एक टूटती हुई सड़ी-गली व्यवस्था की उपज पर तुम कल की, भविष्य की औरत हो, तुम हमारी जैसी मत बनना। हम कमज़ोर हैं, स्वयं अपनी ही कुंठा की शिकार हैं पर तुम मज़बूत बनना।''
''और आँटी एडिना?''
''ओह आँटी तो मुझे भविष्य की ऐसी भूमिकाएँ बताती है कि...'' फिर धीरे से कानों में फुसफुसाकर कहा, ''ब्रैडी से मत कहना। आँटी फेमिनिस्ट है।''
''फेमिनिस्ट माने?''
''बिल्कुल बेवकूफ हो, तुम्हें फेमिनिस्ट किसको कहते हैं, पता नहीं?''

तब तक डॉ. मूर कमरे में चले आए थे। बात वहीं रुक गई। टी.वी. चलने लगा। मौसम की भविष्यवाणी थी कि आज रात को बारह बजकर पचपन मिनट पर बर्फ़ का तूफ़ान आएगा। अतः जहाँ तक हो सके, खास करके मैन हैस्टन, लाँग आइलैंड, न्यू जर्सी के पूर्वी भाग में रहने वाले नागरिक सुरक्षा के खातिर बाहर नहीं निकलें।
कैथी ने खबर सुनते ही चहककर कहा, ''ब्रैडी! चलो प्रभा को बर्फ़ का तूफ़ान दिखाकर ले आएँ।''
डॉ. मूर ने घूरकर उसकी ओर देखा। मगर कैथी थी ही ऐसी कि उसके चेहरे की मासूमियत को देखकर कोई भी उसके आग्रह को नहीं टाल सकता था और ये तो उसके पति थे। बात मैंने ही टाली।
''कैथी, आज छोड़ दो। मुझे नींद आ रही है।''
''आज छोड़ दो...? जैसे बर्फ़ का तूफ़ान कोई रेडियो सिटी का रेग्युलर शो है जो कल देख लेंगे?''
''मुझे डर लगता है।''
''तो मत जाओ मेरी बला से। अच्छा हमलोग घर पर रहकर ही खिड़की से बाहर तूफ़ान देखेंगे। मुझे बड़ा अच्छा लगता है जब बर्फ़ के तूफ़ान से हडसन पर बने हुए पुल हिलने लगते हैं। विशेष रूप से उनका झनझनाना।''
''कैथी! प्रभा को नींद आ रही है ना?''
''नहीं, तुम यह चाह रहे हो कि तुमको सोने दिया जाए। अच्छा ब्रैडी डार्लिंग, ऐसा करो तुम सो जाओ। प्रभा को तो मैं जगाए रखूँगी।''
''ओ.के. जैसी तुम्हारी मर्जी।''

बेचारे डॉ. ब्रैडी! मैंने मन ही मन खुद को अपराधी महसूस किया। पिछले दो दिनों से इस कैथी ने घंटा भर भी उनके साथ एकांत में नहीं बिताया।
''कैथी! तुम क्यों अपने कमरे में नहीं जाती हो? आखिर तुम्हारे पति अकेले...''
''तो क्या हुआ? मैं नहीं नाचनेवाली उसके आगे-पीछे। जब उसके पेशंट रहते हैं या किसी सेमिनार में पेपर पढ़ना होता है तब उसको मेरी याद भी आती है?''
''क्या तुमको अपने पति की व्यस्तता से जलन है?''
''बिल्कुल। मैं भी चाहती हूँ कि अपने किसी काम में ऐसी डूब जाऊँ कि मुझे ब्रैडी की ज़रूरत महसूस न हो। मगर वह मुझे काम नहीं करने देगा।''
''यह बात तो शादी के पहले सोचनी चाहिए थी।''
''अरे उस समय तो मैं इसके प्रेम में पागल थी यह जो-जो शर्तें रखता गया मैं तो हाँ-हाँ करती गई।''
''और अब?''
''अब एक फ़ुर्सती बीवी होने का अहसास मुझे कचोटता रहता है। ब्रैडी से कुछ कहते ही वह कहता है कि मैंने तुमसे शादी के पहले ही कह दिया था। बस इसीलिए घुमावदार रास्ते पर हूँ।''
''क्या तुम इसे ईमानदारी कहोगी?''
''अपना दर्शन मत बघारो। मुझे पता है कि मुझे क्या करना है? फिर प्यार से पूछा, ''अच्छा बोलो ब्रैंडी चाय लोगी या कॉफी?''
''कॉफी, ब्लैक।''
''काश ब्रैंडी मान जाता। मेरा कहना था कि तुम यदि बीच में नहीं बोलती तो इस समय ईस्ट विलेज (न्यूयार्क के विश्वविद्यालय का इलाका) में जाकर हम एक्स्प्रेसो कॉफी पीते।''
''सॉरी कैथी। मुझे यही लगा कि अपने लिए डॉ. ब्रैडी को इस वक्त परेशान करना...''
''परेशान करना? मैं बार-बार तुम्हें एक ही बात तो कह रही हूँ। बिना परेशान किए उसके पौरुष का दर्प नहीं टूटेगा। वह मुझे कहीं का नहीं छोड़ेगा।''
''कैथी क्या तुम्हें मालूम नहीं था और अभी तो शादी को पूरा एक साल भी नहीं हुआ।''
''मैं ऊब गई हूँ। क्या करूँ प्रभा? मैंने सोचा था कि बोस्टन की ज़िंदगी घुटनभरी है, डैड का वज़न सर पर रहता है। न्यूयार्क में तो एक अमीर औरत सुबह से रात तक व्यस्त रह सकती है।''
''व्यस्त तो तुम भी हो?''
''इसको तुम व्यस्तता कहती हो? कितनी पार्टियों में जाऊँ? कितने कपड़े सिलाऊँ? और फिर हर रात बस वही, वैसा का वैसा। वह मुझे जब चूमना शुरू करता है, मैं जान जाती हूँ कि एक के बाद एक सबकुछ वैसे ही घटेगा, जैसा घटता चला आ रहा है।''
''कैथी! इतना मत सोचो। एक बच्चा हो जाता।''
''क्या बकवास कर रही हो? बच्चा मेरी ज़िंदगी को सार्थक बना देगा? वह तो केवल मेरी ज़िंदगी के और बीस वर्ष खा जाएगा और उसके बाद कोई नहीं रहेगा। वह घर छोड़कर पता नहीं कहाँ किस जगह...''

मुझे बिटिना की सिसकती हुई आवाज़ याद आ गई। ''प्रभा! ममा चली गई। हम सब एक-एक कर चले जाएँगे। डैड का क्या होगा? उनकी देख-रेख?''
''कैथी! यों अपने प्यार को तबाह मत करो।''

उसने एक ठंडी साँस छोड़ी। एक हल्का उदास बादल आँखों में उमड़ा और फिर वह किचन की ओर जाने के लिए उठ खड़ी हुई।
रात साढ़े दस बजे थे। कैथी का कहना था कि तूफ़ान रात को बारह बजकर पचपन मिनट पर आएगा। मौसम की भविष्यवाणी घड़ी देखकर मिलाई जा सकती है। मुझे नींद आ रही थी। कैथी के भीतर उठे हुए तूफ़ान को झेलने की मुझे हिम्मत नहीं हो रही थी। नहीं, मेरे भगवान! इतनी खूबसूरत ज़िंदादिल औरत के मन में कोई बर्फ़ का तूफ़ान मत ला। यों दिलों में, दो बेहद प्रेम करते दिलों में, महज़-ज़रा-सी समझ के अभाव में बर्फ़ का जमते चले जाना?
''तुमको नींद आ रही है?''
''अच्छा, तुम यहीं कोच पर सो जाओ। तूफ़ान आने पर उठा दूँगी। कंबल ला देती हूँ।''

पता नहीं रात को तूफ़न कब आया और कब निकल गया। आँखें खुली तो देखा आकाश में सूरज चमक रहा है और हडसन पर बने पुल, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, शहर के ऊँचे-ऊँचे मकानों की छतें, नीचे चलनेवाली सड़क, सब बर्फ़ में, सफ़ेद बर्फ़ में ढके हुए हैं। मैंने खिड़की खोली। एक ताज़ी बर्फीली हवा और काँच-सा चमकता हुआ दिन? नीचे सड़क पर बुलडोज़र बर्फ़ हटा रहे थे। कैथी शायद सो रही थी। मैं किचन में चाय बनाने घुसी तो देखा वहाँ टेबल पर कॉफी का मग लिए डॉ. ब्रैडी बैठे हैं।
''गुड मॉर्निंग। बर्फ़ का तूफ़ान कैसा लगा?''
''मैं सो गई थी।''
''अच्छा?''
''पता नहीं क्यों कैथी ने जगाया नहीं? या फिर शायद जगाया हो, मैं उठी नहीं।''
''नहीं, वह सोते हुए आदमी को कभी नहीं जगाती। कहती है यों ही लोग तरह-तरह की चिंताओं से घिरे रात-रात जागते रहते हैं।''
''क्या कैथी भी जागती है?''
''पता नहीं। मैं तो गहरी नींद सोता हूँ।''

पृष्ठ- . . . . . . . .. १०. ११. १२. १३. १४.

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।