अभिव्यक्ति एक साल की 
आज से एक साल पहले  एक शुभ दिन  अभिव्यक्ति  ने जन्म लिया।  निकल पड़े थे  खुशी हासिल करने।  सोचा था  खुशी फैलायेंगे अपनी खुशी खुद मिल जायेगी।  रास्ता कठिन था  मुश्किलें हज़ार थी मंज़िल धुंधली सी थी।  दोस्त ने दोस्त का हाथ थामा  चल पड़े  कारवां बढ़ता गया।  दिन बह गये पानी के रेले की तरह  बिखरती गयी खुशी हर ओर  और अभिव्यक्ति हो गई एक साल की।

सहारा लिया था साहित्य का  कला का दार्शनिकता का।  निकल पड़े थे भूले बिसरे साहित्य को जीवंत करने  नये साहित्य को जन्म देने   इन्सान के दिल की गहराईयों को अभिव्यक्त करने  इन्सान को इन्सान के  करीब लाने और राहे जिन्दगी में हमसफर बनाने।

आज दिल खुशी से भरा भरा है। अभिव्यक्ति की सफलता अभिजनों से हैं। हमारा हार्दिक आभार उन सबके प्रति जो हमसफर बने हैं और जो बननेवाले हैं।

आशा है ये कारवाँ बढ़ता रहे
खुशी के पैमाने छलकते रहें...

जन्मदिन मुबारक अभिव्यक्ति  तुम जियो हज़ारो साल  - अश्विन गांधी

 

हास्य व्यंग्य में 
हरिशंकर परसाईं की व्यंग्य रचना 
आध्यात्मिक पागलों का मिशन

 
प्रकृति पर्यटन में 
डा रेखा सिन्हा का ललित निबंध 
आई बरखा बहार

 
कहानियों में 
मृणाल पांडे की बारिश के मौसम में भीगती 'चिमगादड़ें '

"अरी कम्बख्त उठ देख तो कितनी प्यारी बरसात हो रही है।"   मारिया ने बगल की पलंग पर बेखबर सोती सोनिया का कम्बल खींचा। "चुप भी कर मारी   " उनींदी झिड़की के साथ सोनिया ने करवट बदल ली। . . .. मारी खिसियाई सी कुछ देर नाखून कुतरती रही  फिर हाथ बढ़ाकर  कुर्सी से अपना काला 'हाउसकोट' उठा लिया और कमर का फ़ीता कसती  बाहर निकल आई।
 

स्वाद और स्वास्थ्य में 
खजूर के फल के विषय में रोचक जानकारी से भरपूर लेख 
खास   उल ख़ास खजूर
साथ ही 
रसोईघर में 

खजूर के
तीन स्वादिष्ट व्यंजन 
 केसर खजूर कुल्फी  खीर खजूर और खजूर के रोल 
 


सामयिकी में 
19 अगस्त को सिद्धहस्त लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के जन्म दिवस पर डा सुरेशचंद्र शुक्ल की रचना 
भारतीय संस्कृत के आख्याता 
हजारी प्रसाद द्विवेदी

तथा 

२२ जून को प्रसिद्ध व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाईं के जन्म दिवस पर डा प्रेम जन्मेजय की रचना
व्यंग्य का सही दृष्टिकोण
 हरिशंकर परसाई

 

कविताओं की पत्रिका 
अनुभूति में

वर्षा महोत्सव की तैयारियाँ
 


पिछले अंक से-

उपहार में एक सुन्दर जावा आलेख हिन्दी कविता के साथ जानेमन
नाराज़ ना हो

 
गौरव ग्रंथ में फणीश्वर नाथ रेणु की बहुचर्चित कहानी
'मारे गए गुलफाम'
 


घर परिवार में हरी पत्तियों के जादू मेंहदी के बारे में ज्ञानर्वक लेख 
'रंग लाती है हिना'
आकर्षक नमूनों के साथ


 
कला दीर्घा में लोक कला बाटिक के बारे में रोचक जानकारी

 पर्व परिचय में भारत में अगस्त के महीने में मनाए जाने वाले पर्वो की संक्षिप्त जानकारी
अगस्त माह के पर्व में

 
फुलवारी में ओम प्रकाश कश्यप की कहानी 'साहसी की सदा विजय' तथा पूर्णिमा वर्मन की कविता टोपी


प्रेरक प्रसंग में हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका ज्योत्सना मिलन की कलम से उनके जीवन का एक प्रेरणादायक प्रसंग
ऊंच मूच खाटली


 संस्मरण में डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल की कलम से महादेवी वर्मा से संबंधित भावभीने संस्मरण करूणा की मूर्ति : महादेवी

 

साहित्य संगम में 
ई हरिकुमार की मलयालम कहानी
साँवली मालकिन

वह रोज़ सुबह पिता से कहती है अप्पा  मैने एक सपना देखा। उस समय तामि भी नहीं पूछता कि चार साल की सुलू ने सपने में क्या देखा। उसे मालूम है कि सुलू कौन सा सपना देखती है। वह रोज़ एक ही सपना तो देखती है और काम पर जाते समय याद दिला देती है कि वह मां को वापस लाने की याद रखे।    

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 
सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग  प्रबुद्ध कालिया