शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

 9. 9. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 

पिछले सप्ताह

साहित्यिक निबंध में
डा सेवाराम त्रिपाठी का लेख
हिन्दी ग़ज़ल के नये पड़ाव

°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत 
अमृता शेरगिल
का परिचय उनके चित्रों के साथ

°

फुलवारी में 
सितारों की दुनिया स्तंभ के
अंतर्गत इला प्रवीन से जानकारी
शनि ग्रह  
और
दीपिका जोशी की ज़बानी
लोककहानी
सुनहरे मुकुटवाला भगवान

°

साहित्य संगम में
बी मुरली की मलयालम कहानी
शिशिर की शारिका

गत सप्ताह सबेरे आठ बजे की धूप की
तरफ देखते हुये सुनंदा बोली – "बताओ
पवित्रन, अगले हफ्ते चलूं? थीसिस पूरा
करना है। इस दिसम्बर में भी न दूं तो
बाद में बड़ी देर हो जायेगी।" उसने बातें
जारी रखीं – "बाज़ आई तुम्हारे शहर से।
अपने हिल स्टेशन की गाड़ी पकडूंगी।
एक काम करो। एक महीने के लिये फरार
हो जाओ। वहां सरदियां शुरू हो रही हैं।"
पवित्रन ने कहा – "तुम अकेले जा सकती हो। एक काम करेंगे। आज जाकर टिकट का आरक्षण करें। नहीं तो तुम्हें सफर में तकलीफ होगी, तुम्हारे जाने के बाद मुझे कुछ प्रेाजेक्ट पूरे करने हैं। तुम्हारे बंजर टीले पर मेरी योजनायें नहीं चलेंगी।"
!

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इस सप्ताह

कहानियों में
कैनेडा से शैलजा सक्सेना की कहानी
पहचान एक शाम की

लंदन की तेज़ भागती अंडरग्राउण्ड ट्रेन में बैठी विनीता का मन बेटे की उसी बात में खोया हुआ था। जब से दिल्ली की अपनी नौकरी छोड़ बाहर निकली है, तब से घर और घर के लोगों की इच्छाओं से इतनी बंधी हुई चल रही है कि स्वयं को भी भूल गई है। कभी कॉलेज के दिन अपनी बड़ी–बड़ी बातें, अपने को कुछ 'होने' कुछ 'करने' के वायदे याद आते हैं तो मन भरभरा जाता है। "क्या उम्र यूँ बर्तन धोते खाना बनाते निकल जाएगी?" इस विदेश में नए सिरे से पढ़ाई करने और कविता–कहानी की दुनिया छोड़, कम्प्यूटर पर आँकड़े लिखने मिटाने को मन अभी भी नहीं राज़ी, तब क्या करूІ

°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
सुरक्षा के साए में
स्वतंत्रता दिवस

एवं
नार्वे निवेदन के अंतर्गत सुरेशचंद्र शुक्ल का आलेख
ओसलो में
यादगार स्वतंत्रता दिवस

°

रसोईघर में
सफल पकवान के अंतर्गत
शीतल शकोरा

°

धारावाहिक में
कृष्ण बिहारी की आत्मकथा की
अगली किस्त
शीशों के शहर में

!!सप्ताह का विचार!
कुटिल लोगों के प्रति
सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं।
°— श्री हर्ष

 

अनुभूति में

यू के, यू एस ए, कुवैत, आस्ट्रेलिया और भारत से
वरिष्ठ और नवोदित रचनाकारों की
चौदह कविताएं

साहित्य समाचार

स्वतंत्रता दिवस विशेषांक

° पिछले अंकों से°

  कहानियों में
मृगतृष्णाअशोक कुमार श्रीवास्तव
अनन्य
शैल अग्रवाल
अज़ेलिया के फूलसुषम बेदी
अभिसारिकामधु संधु
बिल्लियां बतियाती हैं–एस आर हरनोट

°

पर्यटन में विनोद भारद्वाज द्वारा 
का आलेख
महिमा मोना लीसा
और लूव्र संग्रहालय की

°

घर परिवार में दीपिका जोशी के
अनूठे अनुभव
साथ खाना

°

विज्ञान वार्ता में डा गुरूदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर रहे हैं विज्ञान समाचार

°

प्रौद्योगिकी में 
विजय कुमार मल्होत्रा का आलेख
हिन्दी सीखते कंप्यूटर

°

संस्मरण में डा नरेश की कलम से
फिर यह पाकिस्तान क्यों

°

हास्य व्यंग्य में महेशचंद्र द्विवेदी का
आलेख 
नौ और ग्यारह

°
परिक्रमा में

लंदन पाती के अंतर्गत 
शैल अग्रवाल का आलेख
बूमरैंग

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला