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कहानियाँ

आप्रवासी भारतीय लेखकों की कहानियों क संग्रह वतन से दूर में
यू.एस.ए. से
सुरेन्द्रनाथ तिवारी की कहानी— 'उपलब्धियाँ'।


अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के इस मृत्यु–गृह में बैठा मैं अपने मन को सामने रखे शव से दूर ले जाने की चेष्टा कर रहा हूँ। सामने ब्रिगेडियर बहल का मृत शरीर पड़ा है। कल ही तो उनकी मृत्यु हुई है।

कोफिन यानी शव–पेटी के सामने खड़े पंड़ित जी और उनकी ओर मुखातिब कोई एक दर्जन सम्बन्धी–गण। पंडित जी पंजाबी–मिश्रित हिन्दी–अँग्रेजी में कुछ कुछ बुदबुदाते हैं... नैनम छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनम दहति पावकः ... जैसी कोई चीज।

उपस्थितों में कोई भी उनकी बात नहीं समझ रहा है, पर सब लोग समझने का बहाना सा बना रहे हैं।
 
उनके पुत्र–पुत्रवधू के मुख पर बेचैनी ज्यादा, शोक कम है। करीब–करीब वैसे ही भाव सबों के चेहरे पर हैं, पत्नी, बेटी–दामाद, सबके चेहरे पर। एक मित्र और उनकी पत्नी जरूर ही शोक–मग्न लग रही हैं। मैं इन लोगों को नहीं जानता। पर ब्रिगेडियर साहब को तो बहुत दिनों से जानता हूँ... ।

पंडित जी व्याख्यान दे रहे हैं : "ईश्वर को याद कीजिये, वही सब करता है... ईश्वर मीन्स गौड, जी ओ डी, गौड, जी से जेनेरेटर, याने बनाने वाला, ओ से आपरेटर याने चलानेवाला और डी से डिस्ट्रायर, याने संहार करने वाला, इसीलिये तो उसे अँग्रेजी में जी ओ डी 'गौड' कहते हैं।

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