शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

 16. 3. 2003

कहानियांकविताएंसाहित्य संगमदो पलकला दीर्घासाहित्यिक निबंधउपहारपरिक्रमाआज सिरहाने
फुलवारीहास्य व्यंग्यप्रकृतिपर्यटनसंस्मरणप्रेरक प्रसंगरसोईस्वास्थ्यघर–परिवार विज्ञान वार्ता
पर्व–परिचयगौरवगाथाशिक्षा–सूत्रआभारसंदर्भलेखकसंपर्क लेखकों से  

पिछले सप्ताह

कहानियों में
8 मार्च महिला दिवस के अवसर पर
सुधा अरोड़ा की कहानी
औरतःदो चेहरे

'यह कोई खाना है!  रोज वही
दाल–रोटी–बैंगन–भिंडी और आ–
–लू।  आलू के बिना भी कोई सब्जी
होती है इस हिन्दुस्तान में या नहीं?
मटर में आलू, गोभी में आलू, मेथी में
आलू, हर चीज में आ– –लू।  तुमसे
ढंग का खाना भी नहीं बनाया जाता।
अब और कुछ नहीं करती हो तो कम से
कम खाना तो सलीके से बनाया करो।
 . . .अम्मा तो तुम्हारी इतनी बढ़िया
खाना बनाती है, तुम्हें कुछ नहीं
सिखाया?

°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख
आतंकवाद के विरूद्ध

°

रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई का मस्त ज़ायका
कढ़ाई पनीर

°

प्रेरक प्रसंग में
पदमा चौगांवकर की बोध कथा
पगडंडी

°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
मनसाराम
अपनी दो कलाकृतियों के साथ

°

सप्ताह का विचार
त्योहार साल की गति के पड़ाव
हैं, जहां भिन्न–भिन्न मनोरंजन हैं,
भिन्न–भिन्न आनंद हैं, भिन्न–भिन्न
क्रीडास्थल हैं। —बरूआ

 

होली विशेषांक में

होली के अवसर पर
श्यामनारायण वर्मा का ललित निबंध
मादक छंद वसंत के

और

महेश कटरपंच का आलेख
सुनिये रंगों के संदेश

°

कहानियों में
जयनंदन की कहानी
हीरो

हमें उन दिनों अपना देश बहुत अच्छा लगता था और देश में अपना गांव सबसे अच्छा लगता था और अपने गांव में रदीफ रौनक बेमिसाल लगता था और रदीफ रौनक में उसकी फिल्मी हीरो बनने की खब्त तथा उसकी हैरतअंगेज मोहब्बत हमें खास तौर पर आकर्षित करती थी। गांव के हमउम्र स्कूली लड़के आई ए एस, आई पी एस, डॉक्टर, इंजीनियर जैसे कैरियर के बड़े–बड़े पदों के सपने देखते थे मगर एक अकेला था रदीफ जो सिर्फ और सिर्फ हीरो बनने की दिलचस्प तैयारी में संलग्न था।

°

हास्य–व्यंग्य में
बसंत आर्य का व्यंग्य
विश्व कप का बुखार

°

धारावाहिक में
'सागर के इस पार से उस पार से'
की अगली किस्त
पुराने परिचय का अहसास

°

माटी की गंध
अभिव्यक्ति 'कथा महोत्सव 2003' की दस चुनी हुई कहानियां प्रस्तुत हैं पहली अप्रैल से प्रति सप्ताह
इसी पृष्ठ पर

पुरस्कारों का विवरण

 

अनुभूति में

विश्व के हर कोने से 16 नयी होली कविताएं
साथ ही 31 परिचित कविताएं वसंती हवा से

–  साहित्य समाचार  –

°होली पर विशेष°
( पिछले अंकों से)

उपहार में—

होली है
होली के मौसम में
°

ललित निबंध—

बृज में हरि होली मचाई–रामनारायण सिंह मधुर
मन बहलाव वसंत के–पूर्णिमा वर्मन
यह पगध्वनि–उमाकांत मालवीय
वसंतोत्सव–लावण्या शाह
होली और संगीत – आस्था
°°

प्रकृति में—

वसंत ऋतु–महेद्र सिंह रंधावा
°

संस्मरण—

त्रिनिडाड में छूटती 'पिचकारी' का 
नया रंग–डा प्रेम जनमेजय

°

घर परिवार में—

एक और रंग रंगोली
रंग बरसे
°

पर्व परिचय में—

रंग रंग की होली–दीपिका जोशी
°

शिश्ाुगीतों में—

होली आई
होली का हंगामा

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार 
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
     सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला