शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

 24. 9. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 

पिछले सप्ताह

संस्मरण में
14 सितंबर हिन्दी दिवस के अवसर पर
उषा राजे सक्सेना द्वारा सातवें 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन' के संस्मरण

यादें सूरीनाम की
का पहला भाग

°

प्रौद्योगिकी में
विजय कुमार मल्होत्रा से जानकारी
सूचना प्रौद्योगिकी और
भारतीय भाषाएं
(पहली किस्त)

°

पर्यटन में
वाहिद क़ाज़मी का आलेख
गौरवशाली ग्वालियर

°

हास्य व्यंग्य में
प्रेम जनमेजय प्रस्तुत कर रहे हैं
आंधियों का मौसम

°

कहानियों में
यॉर्क से उषा वर्मा की कहानी
सलमा

रात में नींद नहीं आती! मैं सोचती हूं मैं
किस किसका दुख दूर करूंगी। कोई
एक सलमा तो है नहीं, हज़ारों हैं। कभी
मुझे गुस्सा आता है! मुझे क्या करना है
सलमा न मेरी हम वतन न मेरे मज़हब की,
फिर मुझे रात की नींद हराम करने की क्या
ज़रूरत। पर मन है कि वहीं जा कर फिर
उलझ जाता है।
 ठीक है मेरा न तो वतन
का रिश्ता है न ही मजहब का। परंतु एक
रिश्ता है, वह है औरत होने का रिश्ता—
इंसानियत का रिश्ता। लेकिन इंसानियत
के रिश्ते तो मज़हब और वतन की सरहदों
में ही घुट कर रह गये।

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इस सप्ताह

कहानियों में
लंदन से दिव्या माथुर की कहानी
उत्तरजीविता

चूहों से मुझे बचपन से ही दहशत रही है।
एक बार, जब मैं केवल सात वर्ष की ही
थी, न जाने कैसे और क्यों एक मोटे चूहे
ने मेरा होंठ काट लिया था। दिल्ली का
वह एक पुराना घर था, जिस पर समय
की मार के निशान साफ नज़र आते थे,
जिन्हें दादाजी हर दीवाली पर जैसे तैसे
जुगाड़ कर, सफेदी से ढकने का असफल
प्रयास करते रहते थे। न जाने क्यों चूहे
उस ढहती इमारत के पीछे लगे थे। जब
कि वहां तो खाने पीने के भी लाले पड़ने
लगे थे। 

°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का चिर–परिचित अंदाज़
कमाल है!

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के साथ विज्ञान चर्चा
स्टेम कोशिकाओं में छिपी मानव कल्याण की संभावनाएं

°

आज सिरहाने में
उषा राजे सक्सेना के कहानी संग्रह
प्रवास में
का परिचय डा कमलेश गौतम द्वारा

°

घर परिवार में
गपशप के अंतर्गत दीपिका जोशी के
अनूठे अनुभव

उड़ान में कानदर्द

!°!

!!सप्ताह का विचार!
न को निर्मल रखना ही धर्म है।
बाकी सब कोरे आडम्बर हैं।
!—संत तिरूवल्लुवर!

 

अनुभूति में

सत्येश भंडारी, पीयूष पाचक और
प्राण शर्मा की
सोलह नयी 
कविताएं

साहित्य समाचार
टीम अभिव्यक्ति दिल्ली में

° पिछले अंकों से°

  कहानियों में
पहचान एक शाम कीशैलजा सक्सेना
शिशिर की शारिकाबी मुरली
अनन्यशैल अग्रवाल
अज़ेलिया के फूलसुषम बेदी
°

रसोईघर में शीतलता प्रदान करने वाला
स–फल व्यंजन
शीतल शकोरा

°

धारावाहिक में कृष्ण बिहारी की
आत्मकथा की अगली किस्त
शीशों के शहर में

°

साहित्यिक निबंध में डा सेवाराम त्रिपाठी
का लेख
हिन्दी ग़ज़ल के नये पड़ाव

°

कलादीर्घा में कला और कलाकार के
अंतर्गत
अमृता शेरगिल का परिचय
उनके चित्रों के साथ

°

फुलवारी में सितारों की दुनिया स्तंभ के
अंतर्गत इला प्रवीन से जानकारी
शनि ग्रह और
दीपिका जोशी की ज़बानी लोककहानी
सुनहरे मुकुटवाला भगवान
°

परिक्रमा में

दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
सुरक्षा के साए में स्वतंत्रता दिवस
एवं 
नार्वे निवेदन के अंतर्गत
सुरेशचंद्र शुक्ल का आलेख
ओसलो में यादगार स्वतंत्रता दिवस

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला