अनुभूति

1. 10. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 

पिछले सप्ताह

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का चिर–परिचित अंदाज़
कमाल है!

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के साथ विज्ञान चर्चा
स्टेम कोशिकाओं में छिपी मानव कल्याण की संभावनाएं

°

आज सिरहाने में
उषा राजे सक्सेना के कहानी संग्रह
प्रवास में
का परिचय डा कमलेश गौतम द्वारा

°

घर परिवार में
गपशप के अंतर्गत दीपिका जोशी के
अनूठे अनुभव

उड़ान में कानदर्द

!°!

कहानियों में
लंदन से दिव्या माथुर की कहानी
उत्तरजीविता

चूहों से मुझे बचपन से ही दहशत रही है।
एक बार, जब मैं केवल सात वर्ष की ही
थी, न जाने कैसे और क्यों एक मोटे चूहे
ने मेरा होंठ काट लिया था। दिल्ली का
वह एक पुराना घर था, जिस पर समय
की मार के निशान साफ नज़र आते थे,
जिन्हें दादाजी हर दीवाली पर जैसे तैसे
जुगाड़ कर, सफेदी से ढकने का असफल
प्रयास करते रहते थे। न जाने क्यों चूहे
उस ढहती इमारत के पीछे लगे थे। जब
कि वहां तो खाने पीने के भी लाले पड़ने
लगे थे।

!!सप्ताह का विचार!
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैैं।
!—गौतम बुद्ध

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से एस आर हरनोट की कहानी
बीस फुट के बापूजी

चाचू और दिनों जब रात्रि कमा कर लौटता तो भरी जेब के बीच घोड़े की नाल की पदचाप बहुत भाती। टक–टक की आवाज कानों में रागनी जैसी घुल–मिलकर एक मीठा–सा संगीत उपजाती। चाचू कई बार फेरी के पैसे से भरी जेब पर हाथ फेरता और यही सोचता कि उसका घोड़ा खूब जीये, खूब खाए और चाचू उसे खूब प्यार करे। आज ऐसा न था। खाली जेब थी। खाली मन था। खुरों में गड़ाए नाल आज चाचू के मन में गड़ते चले गए थे। उनकी ठक–ठक थानेदार की बेंत की नोक–जैसी तीखी हो रही थी।
°

पर्व परिचय में
दशहरे के अवसर पर विशेष लेख दीपिका जोशी की कलम से
कुल्लू का दशहरा
°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत 
उदीयमान कलाकार

विजयेन्द्र विज
का परिचय उनके चित्रों के साथ
°

फुलवारी में
सितारों की दुनिया स्तंभ के
अंतर्गत इला प्रवीन से जानकारी
मंगल ग्रह
और पूर्णिमा वर्मन की चित्रकथा
सैर
!°!

विजयदशमी पर विशेष

विजयदशमी की शुभकामनाओं
से भरपूर कविता जावा आलेख के साथ विजयदशमी की शुभकामनाएं

शस्त्रपूजा की परंपरा पर प्रकाश डालता डा गणेशकुमार पाठक का लेख विजयदशमी पर शस्त्रपूजा

विजय के अर्थ की मीमांसा करता डा विद्यानिवास मिश्र का विजयोत्सव

इतिहास के पन्नों से पूर्णिमा वर्मन का आलेख रामायण की विश्व विजय 

बच्चों के लिये कहानी दशहरे का मेला
और कविता भरे पटाखे रावण में

 

अनुभूति में

राष्ट्रपिता के जन्मदिवस पर
श्रद्धांजलि
संकलन : तुम्हें नमन
और बागेश्री चक्रधर के मुक्तक

साहित्य समाचार
टीम अभिव्यक्ति दिल्ली में

° पिछले अंकों से°

  कहानियों में
सलमाउषा वर्मा
पहचान एक शाम कीशैलजा सक्सेना
शिशिर की शारिकाबी मुरली
अनन्यशैल अग्रवाल
अज़ेलिया के फूलसुषम बेदी
°

संस्मरण में उषा राजे सक्सेना द्वारा सातवें 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन' के संस्मरण
यादें सूरीनाम की (पहला भाग)

°

प्रौद्योगिकी में विजय कुमार मल्होत्रा से
जानकारी
सूचना प्रौद्योगिकी और
भारतीय भाषाएं (पहली किस्त)

°

पर्यटन में वाहिद क़ाज़मी का आलेख
गौरवशाली ग्वालियर

°

हास्य व्यंग्य में प्रेम जनमेजय का आलेख
आंधियों का मौसम

°

रसोईघर में शीतलता प्रदान करने वाला
स–फल व्यंजन
शीतल शकोरा

°

धारावाहिक में कृष्ण बिहारी की
आत्मकथा की अगली किस्त
शीशों के शहर में

°

परिक्रमा में

दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
सुरक्षा के साए में स्वतंत्रता दिवस
एवं 
नार्वे निवेदन के अंतर्गत
सुरेशचंद्र शुक्ल का आलेख
ओसलो में यादगार स्वतंत्रता दिवस

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला