अनुभूति

 24. 10. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 
दीपावली विशेषांक     
 
 

कहानियों में
यू के से शैल अग्रवाल की कहानी
दिये की लौ

माहौल में पूरी तरह से डूबी पैरिस की आंखे कोने–कोने का जायजा लेने लगीं . . .कहीं मेंहदी, चूड़ी, और बिन्दी की डिज़ाइनों का ढेर तो कहीं हंस–हंस सब कुछ छांटती खरीदती किशोरियां। कहीं भारत की हस्तकला में डूबे तरूण तो कहीं मंत्रमुग्ध अपनी हसत रेखाओं में भविष्य ढूंढ़ता विद्यार्थियों का जत्था। एक जोशीला और रंगीन माहौल था विद्यालय के उस प्रांगण में मानो नन्हा भारत बादलों के पंख चढ़ उतर आया हो वहां अपना सारा उल्लास और समन्वय समेटे हुए।

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उपहार में
शुभकामना संदेश सचित्र कविता के साथ
दीप जले

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साहित्यिक निबंध में
लोक गीतों में कर्तिक माह का महत्व प्रस्तुत कर रही हैं मृदुला सिन्हा
कार्तिक हे सखी पुण्य महीना
के अंतर्गत

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हास्य व्यंग्य में
प्रेम जनमेजय का आलेख
तुम ऐसे क्यों आयीं लक्ष्मी

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पर्व परिचय में
प्रमिला कटरपंच
का आलेख 
 लोकपर्व सांझी
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कहानियों में
यू एस ए से राम गुप्ता की कहानी
चयन

आज दिवाली की पार्टी थी। सुबह से ही चहल पहल शुरू हो गयी थी। खाना बनाने के लिये हलवाई लगे थे। नौकर चाकर जुटे हुये थे, पर बिन कहे शची पर काम का बोझ आ पड़ा था। काम करने वालों को काम बतलाना नहीं पड़ता और जल्दी ही उनकी पहचान हो जाती है। शची को सब तरफ भागना पड़ रहा था। पंडित जी पूजा की सामग्री के लिये बार बार आवाज लगाते, हलवाई जरूरत की चीजों के लिये जा घेरते, और ऊपर से नारायण दत्त व नारायणी अपने आने वाले मेहमानों के चाय जलपान के लिये शची को ही पुकारते।

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सामयिकी में
दीपावली के अवसर पर
चंद्रशेखर का आलेख

सत्य का दीया तप का तेल

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परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की लंदन पाती
सात समुंदर पार

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घर परिवार में
सुंदर घर के नये अंदाज़
रोशनी से कायाकल्प

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प्रौद्योगिकी में
विजय कुमार मल्होत्रा से जानकारी
!सूचना प्रौद्योगिकी और!
भारतीय भाषाएं
(दूसरी किस्त)

!सप्ताह का विचार
हां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता
माघ्र

 

अनुभूति में

दीपावली
महोत्सव
2003

जारी है 
31 अक्तूबर तक रोज़ एक नयी कविता के साथ

दीपावली विशेषांक समग्र
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(पिछले वर्षो के दीपावली विशेषांकों से)

लेख

हास्य–व्यंग्य में

संस्मरण में

फुलवारी में बच्चों के लिये

उपहार में

कला दीर्घा में

घर परिवार में

 

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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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