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१. ९. २००

 

पिछले सप्ताह

 

इस सप्ताह

 

अनुभूति में

 

हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी का चुटीला व्यंग्य
गधा विवाद में नहीं पड़ता

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संस्कृति में
मीरा सिंह बता रही हैं कि कैसे उठती है
तुलसी की डोली

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चिट्ठा–पत्री में
चिठ्ठा पंडित के नए पंचांग से
दिसंबरी चिठ्ठे

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साहित्यिक निबंध में
देवेन्द्रराज अंकुर का आलेख
गली गली में नुक्कड़ नाटक

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कहानियों में
भारत से ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानी
बच्चा

वह बड़ी प्यारी–सी आवाज़ में बोला, "हम आ जाएं?" जैसे घंटियां–सी बज उठी हों। उसके इस छोटे–से प्रश्न में कशिश थी, संगीत था, आदाब था। वह अंदर आने के लिए पूछ रहा था।आज्ञा ले रहा था। लेकिन उसने आज्ञा की प्रतीक्षा नहीं की। शर्माता–लजाता, छोटे–छोटे कदम रखता कमरे में चला आया था। उसकी आंखों में कुतूहल था। अजनबीयत का अहसास और थोड़ा–सा भय। वह आहिस्ता से चलता हुआ आया– मुझे देखता–सा, दीवारों को देखता–सा, शैल्फ घड़ी, दरवाज़े, किताबें सबको देखता–सा, शायद इनमें किसी को भी न देखता–सा, सिर्फ़ अपनी दुनिया– अपने बचपन की सतरंगी दुनिया के साथ चलता–सा।
°

कहानियों में
भारत से वीना विज उदित की कहानी
मोहभंग

डॉक्टरों ने कह दिया था कि जिन्हें आप बुलाना चाहते हैं, बुला लें . . .बचने की उम्मीद नहीं है। सो प्रवेश ने रोते हुए सब रिश्तेदारों व अपनो को फ़ोन कर दिए थे। गिन्नी ने ड्रॉइंगरूम का फर्नीचर उठवा दिया – दरियां बिछवा दीं। सबके बच्चे इकट्ठे होकर धमा–चौकड़ी मचा रहे थे। प्रवेश व उसके कुछ दोस्तों ने खाने का व बिस्तरों का इंतज़ाम अपने ज़िम्मे लिया। आख़ीरकार इतने लोगों को संभालना भी तो था। पापा, अनन्या व दोनों भाई भी वहीं थे। तीसरी रात आ चली थी, नीता को होश नहीं आया था। और डॉक्टर सलाह मशवरा करने पहुंच गए थे। बोले कि बौडी रिसपौंड नहीं कर रही है। ईश्वर का जाप चल रहा था। लोगों की भीड़ बढ़ रही थी।
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हास्य व्यंग्य में
अतुल चतुर्वेदी की रचना
पुलिसियाने में क्या हर्ज़ है
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प्रौद्योगिकी में
रमण कौल समझा रहे हैं कि कैसे
चेन मेल की चेन खींच दें
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पर्यटन में
सूरज जोशी का यात्रा विवरण
न्यूज़ीलैंड
का नैसर्गिक सौंदर्य
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परिक्रमा में
बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख 
नये कीर्तिमान

सप्ताह का विचार
महान व्यक्ति महत्वाकांक्षा के प्रेम से
बहुत अधिक आकर्षित होते हैं।
—प्रेमचंद

1
यश मालवीय, प्रदीप मिश्र, शबनम शर्मा, लालजी वर्मा, अनिल प्रभा कुमार, हृदय नारायण उपाध्याय, व मुकेश सिंह नेगी की कविताएँ 

–  पिछले अंकों से –
कहानियों में
बाज़ार बाज़ार– राजनारायण बोहरे
पासपोर्ट के रंग– तेजेन्द्र शर्मा
पापा तुम कहां हो– अलका प्रमोद
गर्म कोट– राजेन्द्रसिंह बेदी
संदेसे आते हैं– सुषमा जगमोहन
रिश्ते– उषा वर्मा
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हास्य व्यंग्य में
शकुनी मामा– रामेश्वर कांबोज 'हिमांशु'
नया साल मुबारक हो– डा नरेन्द्र कोहली
काश दिल घुटने में होता– राजर्षि अरूण
किलर इंस्टिंक्ट– महेश चंद्र द्विवेदी
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सामयिकी में
सन २००६ के पर्वों की जानकारी के लिए
पर्व पंचांग
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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
रेल में चलता है पर इतना नहीं चलता
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रसोईघर  में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
भरवां टमाटर
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दृष्टिकोण में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु का आलेख
नये साल में संकल्प लें
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पर्व परिचय में
दीपिका जोशी का आलेख
देश देश में नववर्ष
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फुलवारी में
देश देशांतर के अंतर्गत यू के फ्रांस जर्मनी
और शिल्प कोना में 
नए साल का कलेंडर

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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन  सहयोग : दीपिका जोशी
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