शुषा लिपि सहायता  °  लेखकों से
कृपया केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंगपर्व पंचांग
घर–परिवारदो पलनाटकपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखक
विज्ञान वार्ताविशेषांकहिंदी लिंकसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे का व्यंग्य
फैशन शो में गिरते परिधान

°

प्रकृति में
गुरमीत बेदी दिखा रहे हैं
कांटों में खिलता सौंदर्य

°

नाटक में
दो किस्तों में मिलिन्द तिखे का नाटक
फिर दीप जलेगा

°

फुलवारी में
ललित कुमार से जानकारी की बातें
अमेरिका, कैनेडा, मेक्सिको

°

कहानियों में
भारत से मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी की कहानी
धूप के मुसाफ़िर

 

सुबह होते ही लगता है जैसे बातों के घने जंगल में घूम रहे हों। मई, जून की गर्मी, झुलसाती, चिलचिलाती तेज़ धूप। सर से पैर तक आग के शोले बदन से उठते हुए, दिमाग़ गर्मी से फटता हुआ . . .इतनी तेज़ घूप, अत्याधिक ताप, उफ़ ठहर जाइए जनाब। अब जो मैं सुनाने जा रहा हूं, संभव है आप उसे सिरे से कहानी ही न मानें। मत मानिए आप की मर्ज़ी। लेकिन पूरी कहानी सुन लेने के बाद यह ज़रूर बताइएगा कि फिर कहानी होती क्या है। उसी मई जून के महीने, दोपहर की तेज़ झुलसाती धूप में यह दृश्य सामने आया– दृश्य ही कहना ठीक होगा इस विश्वास के साथ कि ऐसे हज़ारों दृश्य आप ने भी सैंकड़ों बार देखे होंगे। और उस दृश्य को सिरे से वाक्या भी नहीं कहा जा सकता।
°

 अपनी प्रतिक्रिया
लिखें पढ़ें

Click here to send this site to a friend!
 

इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से गुरमीत बेदी की कहानी
बुधवार का दिन

'मैं सवा पांच–साढ़े पांच बजे तक ऑफ़िस में ही हूं। आप इसी बीच कभी भी आ सकती हैं।' कह कर रिसीवर रखते हुए उसके होठों पर मुस्कराहट खिल उठी। दोपहर के दो बज रहे थे। साढ़े चार बजने में अभी अढ़ाई घंटे बाकी थे। जिस जगह वह नौकरी करती थी, उस जगह से उसके ऑफ़िस का पैदल रास्ता मुश्किल से दस मिनट का था। अगर वह साढ़े चार बजे अपने ऑफ़िस से निकल पड़े तो ज्यादा से ज्यादा पौने पांच बजे तक यहां पहुंच सकती है। वह हिसाब– किताब लगाने लगा। फिर उसने घंटी बजा कर चपरासी हेमराज को बुलाया और उसे सौ रूपए का नोट थमाते हुए कहा– 'देखो मुझ से मिलने कोई आ रहा है। तुम साढ़े चार बजे जाकर कोल्ड डि्रंक ले आना और साथ ही बढ़िया से बिस्कुट भी।'

°

हास्य व्यंग्य में
मनोहर पुरी प्रस्तुत कर रहे हैं
तोहफ़ा टमाटरों का

°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
खेल एलपीएम–सीपीएम का

°

नाटक में
मिलिंद तिखे के नाटक का अंतिम भाग
फिर दीप जलेगा

°

चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
अप्रैल महीने के चिठ्ठों पर

 सप्ताह का विचार
केलापन कई बार अपने आप से सार्थक बातें करता है। वैसी सार्थकता भीड़ में या भीड़ के चिंतन में नहीं मिलती।
— राजेन्द्र अवस्थी

 

मातृ दिवस के अवसर पर उपहार, संकलन व हाइकु
तथा
स्थायी स्तंभों में ढेर सी नयी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
सेल – इला प्रसाद
अब कहां जाओगे – ए असफल
जेबकतरे – भूपेन्द्र कुमार दवे
टेढ़ी उंगली और घी – जयनंदन
एक दो तीन – मथुरा कलौनी
हिजड़ा – कादंबरी मेहरा

°


हास्य व्यंग्य में
हमारे पतलू भाई–नीरज त्रिपाठी
इतने पदक कैसेƖगुरमीत बेदी
ऑपरेशन मंजनू . . .– महेशचंद्र द्विवेदी
पहली अप्रैल का दिन–अनूप कुमार शुक्ल

°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव से जानकारी
कंप्यूटर पर गीत–संगीत :
सहगल से सावंत तक
°

साहित्यिक निबंध में
निर्मला जोशी याद कर रही हैं मंच के हंस
बलबीर सिंह रंग को
°

साहित्य समाचार में
अभिनव शुक्ल और अलका प्रमोद के
दो नये संग्रहों का विमोचन
°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
डी एन ए फिंगर प्रिंटिंग:
पहचान की सबसे विश्वसनीय विधा
°

आज सिरहाने
अलका प्रमोद का कहानी संग्रह
सच क्या था
°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर बता रहे हैं
कवि अनंत कवि–कष्ट अनंता

 

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंगपर्व पंचांग
घर–परिवारदो पलनाटकपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखक
विज्ञान वार्ताविशेषांकहिंदी लिंकसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
Google
WWW  Search www.abhivyakti-hindi.org