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9. 7. 2007

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हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर—
(विश्व हिंदी सम्मेलन 13 से 15 जुलाई तक न्यूयॉर्क में मनाया जा रहा है)
समकालीन कहानियों में
यू.के. से उषा राजे की कहानी मित्रता
उस दिन निरंजन ने अपने लॉन में एक प्रीतिभोज आयोजित किया था। वहाँ पहुँच कर मैं अभी इधर-उधर निरंजन या किसी परिचित चेहरे की तलाश कर ही रहा था कि देखा एक अच्छी कद-काठी और सुदर्शन, हम-उम्र व्यक्तित्व थ्री-पीस बारीक धारियों वाला सूट-बूट पहने, फर्र-फर्र अँग्रेज़ी में देश-विदेश की राजनीति पर कुछ लोगों से बहस करता हुआ अपने ही देश के पिछड़ेपन और गरीबी को कोसता हुआ पश्चिमी देशों की तारीफ़ों के पुल बाँधे जा रहा था। मैं वहीं खड़ा उसकी बातें सुनते हुए उस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने जा ही रहा था, तभी निरंजन उधर से गुज़रा, और मुझे देखकर बोला ''अरे! जीवा तू यहाँ खड़ा है चल तेरा परिचय इस जंबूरे से करवा दूँ।''

*

हास्य-व्यंग्य में
डॉ प्रेम जनमेजय को सता रहे हैं हिंदी के शहीद
भारतीय जनता भी अजब-ग़ज़ब है, जो नहीं करना हो वो करती है और जो करना हो वो नहीं करती है। शायद इसी कारण हमारे देश में प्रजातंत्र नामक जीव बचा हुआ है और वो भोलाराम हो गया है, जो अपने भोलेपन में भूल जाता है कि जो सच्चे मन से उसकी सेवा कर रहे हैं उनकी भी सेवा कर ले। भोलाराम तो आजकल ऐसे लोगों की सेवा कर रहा है जो सेवा के नाम पर उसका मेवा खा रहे हैं और देशहित के नाम पर उससे सेवा करवा रहे हैं। ऐसे सेवक छींक भी दे तो अखबार को जुकाम हो जाता है। इनकी समाधियाँ बनाई जाती हैं और इनकी शहादत को याद करते हुए सर झुकवा दिए जाते हैं।

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धारावाहिक में
ममता कालिया के उपन्यास दौड़ का छठा भाग
दोपहर में लेटे रेखा को लगा हर पीढ़ी का प्यार करने का ढंग अलग और अनोखा होता है। स्टैला भले ही कंप्यूटर पर आठ घंटे काम कर ले, रसोई में आध घंटे नहीं रहना चाहती। पवन भी नहीं चाहता कि वह रसोई में जाए। रेखा ने कहा, ''यह दाल रोटी तो बनानी सीख ले।''
पवन ने जवाब दिया खाना बनाने वाला पाँच सौ रुपये में मिल जाएगा माँ, इसे बावर्ची थोड़ी बनाना है।''
''और मैं जो सारी उमर तुम लोगों की बावर्ची, धोबिन, जमादारनी बनी रहीं वह?''
''ग़लत किया आपने और पापा ने। आप चाहती हैं वही ग़लतियाँ मैं भी करूँ। जो गुण है इस लड़की के उन्हें देखो। कंप्यूटर विज़र्ड है यह। इसके पास बिल गेट्स के हस्ताक्षर से चिट्ठी आती है।''

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दृष्टिकोण में
अशोक चक्रधर जानना चाहते हैं बोल मेरी मछली कितनी हिंदी

आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का व्यग्रता से इंतज़ार है। कुंडली देखकर फलित की चिंता है...हिंदी की दुर्दशा पर रोने से कोई लाभ नहीं होने वाला। दुर्दशा तो है, लेकिन जहाँ हिन्दी में रौनक है, ताल है, तेवर है, सौन्दर्य है, मुस्कान है, उन इलाक़ों में भी जाना चाहिए। ज़ाहिर है, हिन्दी रोज़गार के क्षेत्र में पैर नहीं पसार पाई है, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में भी नहीं। तो फिर कहाँ है? बाकी सारे हिस्सों में हिंदी है। घर में है, दफ्तर की कचर-कचर में है, प्रेमियों के अधर-अधर में है, दुश्मनों की गालियों के स्वर में है, गाँव क़स्बे और शहर की डगर-डगर में है, बॉलीवुड की जगर-मगर में है, फिर भी अगर-मगर में है।

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साहित्यिक निबंध में जयंती प्रसाद नौटियाल का शोध अध्ययन-
विश्व में हिंदी फिर पहले स्थान पर
एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया कि विश्व में चीनी भाषी एक अरब हैं। यह संख्या सभी प्रकार की चीनी भाषा परिवार की भाषाओं को जोड़ कर निकाली गई। यदि हिंदी में आर्य भाषा परिवार की भाषाओं को मिला दें तथा अन्य भाषाओं में प्रयुक्त हिंदी शब्दों की समानता को देखकर संख्या निकालें तो यह संख्या विश्व में 2 अरब होगी। इसके लिए एक उदाहरण देना चाहूँगा। 'मलय' भाषा को लें, इसे थोड़ा-सा परिवर्तन करके भाषा इंडोनेशिया कहा जाता है जो इंडोनेशिया की भी राजभाषा है। यह भाषा हिंदी से काफ़ी मिलती जुलती है। लेकिन इसे 'मलाया पोलिनेशियन' परिवार में गिना जाता है। आर्य भाषा परिवार में नहीं, जबकि हिंदी से साम्य होने के कारण इसे हिंदी में शामिल होना चाहिए था।

 

राजेश चेतन, अविनाश वाचस्पति, राम सनेही लाल शर्मा यायावर,
सुनीता चोटिया और कविता वाचक्नवी

की नई रचनाएँ

विश्व हिंदी सम्मेलन
1-हिंदी के स्वर कंप्यूटर पर - एक परिचय
2-आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का आधिकारिक जालघर

कार्यक्रम
शुक्रवार 13 जुलाई 2007 के कार्यक्रम
शनिवार 14 जुलाई 2007 के कार्यक्रम
 

खबरी नारद की गप्पी गारद
3- चाय गरम
2- हिंदी के स्वर कंप्यूटर पर
1- विश्व हिंदी सम्मेलन का आधा परचम अंग्रेज़ी में

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
अविजित-आशुतोष कुमार झा
लड़का, लड़की, इंटरनेट-कोल्लूरि सोम शंकर
बसेरा
- शैल अग्रवाल
अंतिम तीन दिन- दिव्या माथुर

पेड़ कट रहे है- सुमेर चंद
वसीयत- महावीर शर्मा
*

हास्य व्यंग्य में
खुशी का ठिकाना-अविनाश वाचस्पति
बड़ी बेइंसाफ़ी है!- मुरली मनोहर श्रीवास्तव
अमलतास की...- शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
अमलतास बोले तो?- अभिनव शुक्ल
*

साहित्यिक निबंध में
डॉ पद्मप्रिया का आलेख
मुक्तिबोध की अधूरी कहानियाँ और लंबी कविताएँ

*

फुलवारी में
बच्चों के लिए मौसम की जानकारी
बर्फ़ क्यों गिरती है?

*

साहित्य समाचार में
*
डा. होमी भाभा हिंदी विज्ञान लेख प्रतियोगिता-2007
* कैनबरा आस्ट्रेलिया में काव्य संध्या
* अभिरंजन कुमार के कविता संग्रह 'उखड़े हुए पौधे का बयान' का लोकार्पण
* विश्व विरासत बना ऋग्वेद

*

प्रकृति में
अर्बुदा ओहरी का आलेख
अमलतास

*

टिकट संग्रह में
पूर्णिमा वर्मन ढूँढ लाई हैं
डाक टिकटों के संसार में अमलतास

सप्ताह का विचार
राष्ट्र की एकता को अगर बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिंदी ही हो सकती है।- सुब्रह्मण्यम भारती

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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