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१५. ८. २०१

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
दिनेश सिंह, हरि अनजान, विक्रम पुरोहित,  त्रिलोक सिंह ठकुरेला और वीना विज की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- टिक्की, कवाब व पकौड़े- बारह चटपटे और स्वादिष्ट व्यंजनों की शृंखला में इस सप्ताह प्रस्तुत है- चटपटी चीज टिकिया।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का ३२वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़।

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १ अगस्त से १५ अगस्त २०११ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- नॉर्टन व मैक ऐफी जैसे महँगे ऐंटी वाईरस की जगह मुफ्त के अनेक ऐंटी वाईरस उपलब्ध हैं जो गुणवत्ता में किसी भी तरह...

नवगीत की पाठशाला में- कुछ रुकावट के बाद कार्यशाला-१७ 'शहर का एकांत' विषय पर रचनाओं का प्रकाशन फिर से आरंभ हो गया है।

वर्ग पहेली-०४१
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों में से प्रस्तुत है- २४ नवंबर २००४ को प्रकाशित प्रत्यक्षा की कहानी- कैक्टस

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य व संस्कृति में-

1
प्रसिद्ध लेखकों की चर्चित कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में भारत से मन्नू भंडारी की कहानी- स्त्री सुबोधिनी

प्यारी बहनों, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरी पेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन उस उम्र तक आते - आते जिन स्थितियों से मैं गुज़री हूँ, जैसा अहम् अनुभव मैंने पाया... चाहती हूँ, बिना किसी लाग - लपेट के उसेआपके सामने रखूँ और आपको बहुत सारे खतरों से आगाह कर दूँ। अब सीधी बात सुनिये। सीधी और सच्ची ! मेरा अपने बॉस से प्रेम हो गया। वाह! आपके चेहरों पर तो चमक आ गयी ! आप भी क्या करें? प्रेम कम्बख्त है ही ऐसी चीज़। चाहे कितनी ही पुरानी और घिसी-पिटी क्यों न हो जाये... एक बार तो दिल फड़क ही उठता है... चेहरे चमचमाने ही लगते हैं। खैर, तो यह कोई अनहोनी बात नहीं थी। डॉक्टरों का नर्सों से, प्रोफेसरों का अपनी छात्राओं से, अफसरों का अपनी स्टेनो - सेक्रेटरी से प्रेम हो जाने का हमारे यहाँ आम रिवाज है। पूरी कहानी पढ़ें...
*

मनजीत शर्मा मीरा का व्यंग्य
महँगाई मार गई
*

डॉ. अनिल कुमार का आलेख-
नवगीत- परिप्रेक्ष्य और प्रासंगिकता

*

अभिलाष अवस्थी की दृष्टि से
सूर्यबाला का कहानी संग्रह- गौरा गुनवंती
*

पुनर्पाठ में रति सक्सेना का
नगरनामा- सागरी झीलों का शहर त्रिवेन्द्रम

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पिछले सप्ताह-

1
मनजीत शर्मा मीरा का व्यंग्य
महँगाई मार गई
*

डॉ. अनिल कुमार का आलेख-
नवगीत- परिप्रेक्ष्य और प्रासंगिकता

*

अभिलाष अवस्थी की दृष्टि से
सूर्यबाला का कहानी संग्रह- गौरा गुनवंती
*

पुनर्पाठ में रति सक्सेना का
नगरनामा- सागरी झीलों का शहर त्रिवेन्द्रम

*

सिद्ध लेखकों की चर्चित कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में भारत से मन्नू भंडारी की कहानी-
स्त्री सुबोधिनी

प्यारी बहनों, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरी पेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन उस उम्र तक आते - आते जिन स्थितियों से मैं गुज़री हूँ, जैसा अहम् अनुभव मैंने पाया... चाहती हूँ, बिना किसी लाग - लपेट के उसेआपके सामने रखूँ और आपको बहुत सारे खतरों से आगाह कर दूँ। अब सीधी बात सुनिये। सीधी और सच्ची ! मेरा अपने बॉस से प्रेम हो गया। वाह! आपके चेहरों पर तो चमक आ गयी ! आप भी क्या करें? प्रेम कम्बख्त है ही ऐसी चीज़। चाहे कितनी ही पुरानी और घिसी-पिटी क्यों न हो जाये... एक बार तो दिल फड़क ही उठता है... चेहरे चमचमाने ही लगते हैं। खैर, तो यह कोई अनहोनी बात नहीं थी। पूरी कहानी पढ़ें...

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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