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समकालीन कहानियों में
इस माह
प्रस्तुत है- ममता कालिया की कहानी
परदेस
जिन
दिनों पंजाब के हर घर में परदेस जाकर कमाने की होड़ लगी थी,
उन्हीं दिनों टूटू बिना अपने घरवालों को खबर किये इंग्लैंड चला
गया। दो-तीन दिन उसे ढूँढ़ा गया, व्यास पिंड और इब्राहिमवल,
रिश्तेदारियों में पता किया, फिर माँ ने अपने आँसू और पिता ने
अपने गुस्से पर काबू किया।
जालन्धर शहर से आखिर पचास लड़के एक साथ गायब हुए थे। किसी ने
भी अपने घर पर ठीक से कुछ नहीं बताया था। दरअसल जिस एजेन्ट ने
इस सबकी यात्रा और वीजा का प्रबन्ध किया था, उसी की सलाह थी कि
वहाँ पहुँच जाओ, कंपनी में काम पकड़ लो, हफ्ते भर की तनखा हाथ
में ले लो, तब बाकायदा कमाऊ पूत बन कर चिट्ठी लिखना। .
पीछे छूटे अभिभावकों ने अंदाज लगाया और इंडियन एम्बेसी को
लिखा। काफी इंतजार के बाद वहाँ से सूचना मिली हाँ पिछले महीने
काफी लड़के पंजाब यानि इंडिया से आये हैं। सभी सकुशल हैं। इससे
ज्यादा जानकारी देना फिलहाल मुमकिन नहीं है। दिलों को थोड़ी
तसल्ली मिली। अब इंतजार शुरू हुआ डाकिए का। ...आगे-
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