शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

1. 8 .2003 

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्क
हास्य व्यंग्य

 

 पिछले सप्ताह

कहानियों में
सऊदी अरब से विद्याभूषण धर की कथा लावारिस

खांसते खांसते शयामलाल को निद्रादेवी ने कब थपकियां देकर सुलाया उसे पता ही नही चला और फिर उसने वही सपना देखा— गवरी कच्चे आंगण को लीप रही थी। सुबह की पहली किरण खिली हुई थी और ठन्डी ताजा हवा जैसे तपे हुए जिस्म को सहला रही थी। दूर कहीं मंदिर की घंटियों की आवाज वातावरण को संगीतमय बना रही थी। 
“आज जरा जल्दी आना . . .याद है ना? आज अष्टमी का व्रत है। कोई उल्टी–सीधी चीज न खा लेना बाहर। मैं इन्तजार करूंगी।"
°
परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल अग्रवाल 
का आलेख 
वृहद आकाश
और ओस्लो, नार्वे से
सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा
नार्वे निवेदन
°
यू के में हिन्दी
के अंतर्गत वेद मित्र की कलम से
हस्तलिखित पाठों से हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता तक
°
 
धारावाहिक में
कृष्ण बिहारी की आत्मकथा का 
अगला भाग
दो घण्टे चालीस मिनट
का सफ़र

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के साथ विज्ञान चर्चा
नैनोटेक्नॉलॉजी 
या फिर जादुई चिराग  

कथा महोत्सव 2003
भारतवासी हिन्दी लेखकों की कहानियों
का संकलन
'माटी की गंध'
°°°
की गंध की कहानियां हैं इस समय
विश्व के जाने माने चार हिन्दी कथाकारों
के पास।
 जहां वे न केवल इन कहानियों 
का मूल्यांकन करेंगे अपितु इन पर
अपनी टिप्पणी भी 
प्रस्तुत करेंगे।
यह संक्षिप्त समीक्षा अवसर प्रदान करेगी बहुत से नये कहानीकारों को अपनी कला निखारने का और कहानी के मर्म को गहराई से समझने का।

—टीम अभिव्यक्ति

 

इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से एस आर हरनोट की कहानी
बिल्लियां बतियाती हैं

म्मा का झगड़ा शुरू हो गया है। अपन
आप से। दियासलाई की डिब्बिया से।
ढिबरी से। चूल्हे में उपलों के बीच ठुंसी
आग से और बाहर–भीतर दौड़ती
बिल्लियों से। यही सब होता है जब
अम्मा उठती है। वह चार बजे के
आसपास जागती है। ओबरे में पशु भी
अम्मा के साथ ही उठ जाते हैं। आंगन में
चिड़िया को भी इसी समय चहकते सुना
जा सकता है और बिल्लियों की भगदड़
भी अम्मा के साथ शुरू हो जाती है। यह
नहीं मालूम कि अम्मा पहले जागती है या
कि अम्मा की गायें या कि चिड़िया या
फिर बिल्लियां।

°

सामयिकी में
तुलसी जयंती के अवसर पर तुलसीदास के
व्यक्तित्व और कृतित्व से एक परिचय
हुलसी के तुलसी

°

साक्षात्कार में
उर्मिला शिरीष की बातचीत
चित्रा मुद्गल
के साथ

°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
जतीन दास
 
का परिचय 
उनके चित्रों के साथ

°

फुलवारी में
सितारों की दुनिया स्तंभ के अंतर्गत
इला प्रवीन से जानकारी
वृहस्पति ग्रह
और कहानियों में 
अंजलि राजगुरू की मजे़दार कहानी
बंटी की आइस्क्रीम

°

सप्ताह का विचार!
आँख के आंसू अमूल्य वस्तु हैं। प्रेम
के, कृतज्ञता के, आनंद के, दुख के और
पश्चाताप के आंसुओं से ही जीवन
का बाग़ पनपता है।
—अज्ञात

 

अनुभूति में

इस माह के कवि 
में 
संतोष गोयल
और
हास्य व्यंग्य में
अभिनव शुक्ला

साहित्य समाचार
अभिव्यक्ति टीम यू के में 

° पिछले अंकों से°

उपन्यास में
ए बी सी डी–रवीन्द्र कालिया
°
कहानियों में
चीफ़ की दावतभीष्म साहनी
मन्ना जल्दी आना–दयानंद पांडेय
भटकावतरूण भटनागर
खुशबूग़ज़ाल ज़ैग़म
°
हास्य व्यंग्य में महेश चंद्र द्विवेदी का
चुटीला व्यंग्य
प से पोटा
°
आज सिरहाने में अमरीक सिंह दीप का कहानी संग्रह चांदनी हूं मैं का परिचय 
°

रसोई घर में 'शाकाहारी मुगलई का मस्त ज़ायका' के अंतर्गत आलू दो प्याज़ा
°
यू के में हिन्दी के अंतर्गत वेद मित्र की
कलम से
हस्तलिखित पाठों से हिन्दी ज्ञान
प्रतियोगिता तक
°
 
धारावाहिक में कृष्ण बिहारी की आत्मकथा का अगला भाग
दो घण्टे चालीस मिनट का सफ़र
°
विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से विज्ञान चर्चा
नैैनोटेक्नॉलॉजी या फिर जादुई चिराग
°
संस्मरण में गोविन्द मिश्रा का यात्रा
संस्मरण
उजाले की चलती–दौड़ती लकीर
°

परिक्रमा में

दिल्ली दरबार 
के अंतर्गत बृजेश शुक्ला का आलेख 
गंगा की बेटी स्पेन में
°
लंदन पाती के अंतर्गत शैल अग्रवाल 
का आलेख
वृहद आकाश
°
और ओस्लो, नार्वे से सुरेश चंद्र शुक्ल
'शरद आलोक' द्वारा
नार्वे निवेदन
!°!

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यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला