होली की शुभकामनाएं

अनुभूति

24. 3. 2005

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंग
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखकविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

होली विशेषांक

कहानियों में
यू एस ए से स्वदेश राणा की कहानी
हो ली

पास ही एक लंबी मेज़ पर चमचमाती स्टेनलैस स्टील की थालियों में अबरक, गुलाल की लाल, नीली, पीली, हरी ढेरियां। कुछ दूरी पर अमरूद के पेड़ के तने को घेरे बालटीनुमा टबों में ऊदे, काशनी, जामुनी रंगों का घोल। सामने बरामदे में जाली से ढकी मोतीचूर के लड्डुओं और कलाकंद बर्फी की प्लेटों के साथ शीशे के जगों में खसखस, इलायची, बादाम वली दूधिया ठंडाई और इन सब से अलग घने बरगद की छांव में खड़ी अंगीठी के उपर गोभी, पालक के ताज़ा पकौड़े बनाने की कढ़ाही। कर्नल कपूर ने तड़के उठकर खुद सारा इंतज़ाम होते देखा था और अब अपने उजले पजामे कुरते के सलवट निकालते यहां वहां घूम रहे थे। 

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली के तार्किक विश्लेषण
कट्टरता

°

संस्कृति में
प्रभा पंवार का जानकारी भरा लेख
अल्पना क्या है

उपहार में
होली की शुभकामनाएं व जावा आलेख में
रंगों की बौछार

°

संस्मरण में
सुरेन्द्रनाथ तिवारी की सरस स्मृतियां
बहुत दिनों बाद देस में


1

1नये अंकों की सूचना के लिये!
अपना ई मेल यहां लिख भेजें

 

इस सप्ताह

साहित्यिक निबंध में
बृजेशकुमार शुक्ला की कलम से
होली खेलें रघुवीरा

महानगर की कहानियों में
प्रमोद राय की लघुकथा
कानूनन

°

पर्व परिचय में
सत्यवान शर्मा बता रहे हैं
होली के विविध आयाम

होली के हुड़दंग में
डा रति सक्सेना की चेतावनी
सावधान ब्लॉगिए आ रहे हैं

°

साहित्य संगम में
कमला सरूप की नेपाली कहानी
यादों की अनुभूतियां

मैं अब याद कर रही हूं, कैसे शामको तुम मेरे लिए गुरांस के फूलों का गुच्छा ले आए थे और साथ में शुभकामना कार्ड भी। मैं वैसे भी झूम उठी थी और सच कहूं, तुम्हारा दिया हुआ कार्ड व सूखे हुए ही सही वे गुरांस के फूल, अब भी कमरे भर सजाकर रखे हैं मैंने। शायद वो कार्ड व फूल ही आखिरी उपहार थे मेरे लिए तुम्हारे तरफ़ से। दूसरे दिन सवेरे ही हम साथ–साथ घूमने निकल गए थे। शायद वही आखिरी सुबह थी हमारे साथ की। उसके बाद बहुत वर्षों तक हमारी मुलाकात नहीं हुई थी। सवेरे का ओस, हाथ भर गुरांस के फूल और मीठी सी ठंडी हवा के साथ हमने कैसे तीन घंटे लंबा रास्ता पार किया, पता ही नहीं चला था।"मैं चाहता हूं, इस सुबह जैसा ताज़गी भरा और इन गुरांस के फूल जैसा सुंदर हो तुम्हारा जीवन।"

!सप्ताह का विचार!
दुख और वेदना के अथाह सागर
वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक
आवश्यकता है। 
—डा रामकुमार वर्मा

 

अनुभूति में

नए पुराने कवियों की 20 से अधिक वसंती रचनाएं अलग अलग संकलनों में

पिछले होली विशेषांकों से

उपहार में
होली की शुभकामना कविताएं व जावा आलेख

होली है तथा होली के मौसम में
°
कहानियों में
अलग अलग तीलियां–प्रभु जोशी
होली मंगलमय हो–ओमप्रकाश अवस्थी



कलादीर्घा में
कलाकृतियों में होली
°
रसोईघर में
होली पर मेहमानों के स्वागत के लिए पकवानों की भरमार

—अन्य लेखों में—
बृज में हरि होली मचाई
राम नारायण सिंह मधुर
बृज में होली का त्योहार–महेश कटरपंच
मन बहलाव वसंत के–पूर्णिमा वर्मन
यह पगध्वनि–उमाकांत मालवीय
लेकिन मुझको फागुन चाहिये–दामोदर पांडेय

वसंतोत्सव–लावण्या शाह
होली और गीत संगीत – आस्था
सुनिये रंगों के संदेशमहेश कटरपंच
मादक छंद वसंत केश्यामनारायण वर्मा
रोको यह वसंत जाने पाए–श्यामसुंदर दुबे

वसंत ऋतु–महेद्र सिंह रंधावा
त्रिनिडाड में छूटती 'पिचकारी' का नया रंग
–डा प्रेम जनमेजय
एक और रंग रंगोली और रंग बरसे
रंग रंग की होली–दीपिका जोशी

फुलवारी में
कहानीहोली वाला रोबोट
कविताएंहोली आई और हंगामा
साथ में एक होली का चित्र
रंगने के लिये
और बनाने के लिए होलिका और प्रहलाद

 

अपनी प्रतिक्रिया    लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंकनगरनामारचना प्रसंग
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगप्रौद्योगिकीफुलवारीरसोईलेखकविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंपर्कहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 

 
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org