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 २०. ४. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1
रंजना गुप्ता, जयप्रकाश मिश्र, आशा सहाय, अवनीश सिंह चौहान, और स्मिता दारशेतकर की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- मौसम है शीतल पेय का और हमारी रसोई-संपादक शुचि लेकर आई हैं पेय की विशेष शृंखला में- बेल का शर्बत

बागबानी में- आसान सुझाव जो बागबानी को उपयोगी और रोचक बनाने में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं-
१२- चाय की पत्ती पौधों की खाद

जीवन शैली में- कुछ आसान सुझाव जो व्यस्त जीवन में, जल्दी वजन घटाने के लिये सहायक हो सकते हैं- १५- संगीत जो व्यायाम को प्रेरित करे

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो आपको घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- ११- सहज उपलब्ध वस्तुओं का सहवास

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं--आज-के-दिन-(२०-अप्रैल-को)-मराठा शासक शिवाजी, अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, साहित्यकार चंद्रबली सिंह का जन्म हुआ था... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में इस सप्ताह प्रस्तुत है- आचार्य संजीव सलिल की कलम से राधेश्याम बंधु के नवगीत संग्रह- एक गुमसुम धूप का परिचय।

वर्ग पहेली- २३३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है कैनेडा से
अश्विन गाँधी की कहानी- दिले नादान

गुरुवार, जून महीने की ग्यारह तारीख। शाम के छः बजे का समय। अविनाश लेक्चर शुरू करने की तैयारी में था। आज का विषय था- कंप्यूटर प्रोग्राम का विकासीकरण। क्लास पूरी भरी नहीं थी। कुछ और विद्यार्थियों के इंतज़ार में अविनाश इधर उधर की बातें कर रहा था। जो विद्यार्थी आ चुके थे उनमें से एक थी लीसा जोहन्सन और दूसरी थी बोनी ब्राउन। दोनों उम्र में बड़ी। करीब पैतालीस साल की। दोनों रजिस्टरर्ड नर्सें युनिवर्सिटी के चौथे साल में और डिग्री की कंप्यूटर जरूरतें पूरी करने के लिये अविनाश का कंप्यूटर लिट्रेसी का कोर्स ले रही थीं। दोनों सब के साथ साथ पढ़ रही थीं और साथ ही स्नातक बननेवाली थीं। बोनी क्लास में ज्यादा नहीं बोलती मगर लीसा दोनों का बोल लेती। "हमारे सोशीअल स्टडीज़ की क्लास के लिये हमें जेन्डर इस्युज़ पर सर्वे करना जरूरी है। क्या हम यहाँ इस क्लास में कर सकते हैं?" लीसा अविनाश से पूछ रही थी। "ठीक है, सात बजे मध्यांतर के आस पास ठीक रहेगा। किस बात का सर्वे है?" ... आगे-
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दुर्गेश गुप्त राज की लघुकथा
तेरहवीं का उत्सव
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डॉ. अशोक उदयवाल का आलेख
लौकी के लाजवाब गुण 

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सीताराम गुप्त का ललित निबंध
जा मरने से जग डरे
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पुनर्पाठ में अभिज्ञात की
आत्मकथा तेरे बगैर का चौथा भाग

पिछले सप्ताह-

डॉ. मनोहरलाल का व्यंग्य
नर से भारी नारी
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डॉ. परशुराम शुक्ल का आलेख
साँप हमारा मित्र है 

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सुनील मिश्र की कलम से
गाते रहें हम खुशियों के गीत- गुलशन बावरा
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पुनर्पाठ में अभिज्ञात की
आत्मकथा तेरे बगैर का तीसरा भाग

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
प्रतिभा की कहानी- आप हमेशा रहेंगे

प्यारे पप्पा,
सब कह रहे हैं आप नहीं रहे।
पर मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि आपकी खुशबू हर पल सारे घर में फैली रहती है। हर कमरे में, तीनों बालकनी में, हर जगह। आपकी खुशबू दुनिया के हर फूल की खुशबू से अलग है बिलकुल आपकी तरह। सारा घर हर पल उससे महकता रहता है। मुझे तो हमेशा यह लगता है कि आप अभी पीछे से आ जाएँगे और मुझे ज़ोर से धप्पा करेंगे। फिर खिलखिलाकर मुझे उठा लेंगे, पूरे के पूरे घूम जाएँगे और फिर ज़ोर से एक पप्पी लेंगे...फिर लेंगे...फिर लेंगे और लेते ही जाएँगे। आपको ये ध्यान ही नहीं रहेगा कि अब मैं बड़ी हो गई हूँ गुड़िया नहीं रही। घर में सबकी सुबहें बहुत उदास हैं बिल्कुल नंगे पेड़ जैसी। पर मैं सुबह आँखें खोलती हूँ तो आप रोज़ की तरह सफ़ेद गुलाब को पानी देते हुए दिखते हैं, स्टडी रूम में जाती हूँ तो आप किताबों पर झुके हुए मिलते हैं, बालकनी में जाती हूँ तो आप कुछ सोचते हुए, चिन्तन-मनन करते हुए धीरे-धीरे चलते हुए दिखते हैं।... आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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