1
  पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार
           अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

 हमारे लेखक // तुक कोश // शब्दकोश // पता-

लेखकों से
१. ९. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
मौसम की बहार भुट्टों पर केंद्रित विभिन्न विधाओं में विविध रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- बदलते मौसम में दमदार नाश्ते के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- ताजी फसल का व्यंजन- मटर मक्का पराठा

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- ९- ऐस्पिरिन का जादू।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- ९- हल्दी का पौधा।

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- पैंतीस से अड़तीस सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (सितंबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- डॉ.राजेन्द्र गौतम की  कलम  से  बाबूराम शुक्ल  के  नवगीत संग्रह- संवेदन के मृगशावक का परिचय। 
वर्ग पहेली- ३२९
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- 

समकालीन कहानियों में भारत से
सुदर्शन खन्ना की कहानी भुट्टेवाला

‘भइया, क्या तुम्हारे पास नरम नरम और कच्चे भुट्टे हैं, छोटे बच्चों के लिए ले जाने हैं?’ सुरेखा ने बाज़ार में रेहड़ी पर भुट्टे वाले से पूछा जो गर्मी के बावजूद कच्चे कोयले की अग्नि में भुट्टे सेक सेक कर रखता जा रहा था। ‘हाँ, बहन जी, बहुत हैं, कितने चाहिएँ?’ भुट्टे वाले ने पंखा चलाते-चलाते पूछा। ‘मुझे पाँच भुट्टे ले जाने हैं, ज़रा निकाल दो और यह भी बता दो कि कितने का है एक भुट्टा’ सुरेखा ने कहा। ‘बहन जी, एक भुट्टा दस रुपये का है और पाँच भुट्टे पचास रुपये के होंगे’ भुट्टे वाले ने तुरंत जवाब दिया। ‘पाँच भुट्टे लेने पर भी कोई छूट नहीं!’ सुरेखा ने कहा। ‘अरे बहन जी, सुबह से शाम तक खड़े रहकर तपती गर्मी में कोयले की आग पर सेक कर भुट्टे बेचते हैं, कोयला भी दिन-ब-दिन महँगा होता जा रहा है। क्या करें, इतनी कमाई नहीं होती जितना कि आपको लग रहा है। हाँ, अगर आपको कच्चे ही ले जाने हैं और घर पर सेकने हैं तो मैं आपको आठ रुपये के हिसाब से दे दूँगा’ भुट्टे वाले ने समझाया। ‘अरे घर पर कौन सेकेगा? आगे...
*

सुभाष बुड़ावनवाला का
प्रेरक प्रसंग- ग्राहक की संतुष्टि
*

प्रकृति के अंतर्गत
संकलित आलेख कहानी मक्के की
*

राकेश ढौंडियाल का ललित निबंध
 सॉफ्टी भुट्टे गुब्बारे
*

पुनर्पाठ में
स्वाद और स्वास्थ्य के अंतर्गत- मधुर मक्का

वर्षा विशेषांक में-

अर्बुदा ओहरी की
लघुकथा- बरसात
*

महेश परिमल का
ललित निबंध- पहली बारिश
*

डॉ. विजय कुमार सुखवानी से जानें
फिल्मी गीतों में बरसात
*

पुनर्पाठ में उमाशंकर चतुर्वेदी
की कलम से- पावस के शृंगारिक छंद

*

समकालीन कहानियों में भारत से
मिथिलेश्वर की कहानी बारिश की रात

आरा शहर। भादों का महीना। कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात। ज़ोरों की बारिश। हमेशा की भाँति बिजली का गुल हो जाना। रात के गहराने और सूनेपन को और सघन भयावह बनाती बारिश की तेज़ आवाज़! अंधकार में डूबा शहर तथा अपने घर में सोये-दुबके लोग! लेकिन सचदेव बाबू की आँखों में नींद नहीं। अपने आलीशान भवन के भीतर अपने शयन-कक्ष में बेहद आरामदायक बिस्तरे पर अपनी पत्नी के साथ लेटे थे वे। पर लेटनेभर से ही तो नींद नहीं आती। नींद के लिए - जैसी निश्चिंतता और बेफ़िक्री की ज़रूरत होती है, वह तो उनसे कोसों दूर थी। हालाँकि यह स्थिति सिर्फ़ सचदेव बाबू की ही नहीं थी। पूरे शहर पर खौफ़ का यह कहर था। आए दिन चोरी, लूट, हत्या, बलात्कार, राहजनी और अपहरण की घटनाओं ने लोगों को बेतरह भयभीत और असुरक्षित बना दिया था। कभी रातों में गुलज़ार रहनेवाला उनका यह शहर अब शाम गहराते ही शमशानी सन्नाटे में तब्दील होने लगा था। आगे...

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी