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घर-परिवार जीवन शैली - भारत के विचित्र गाँव


भारत के विचित्र गाँव
जैसे विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं हैं


९- कुलधरा गाँव जहाँ कोई नहीं रहता

पर्यटकों में लोकप्रिय कुलधरा गाँव राजस्थान के जैसलमेर जिले का एक ऐसा गाँव है जहाँ कोई नहीं रहता। पालीवाल समाज के लोगों ने सन १२९१ में लगभग ६०० घरों वाले इस गाँव को बसाया था। ईंट-पत्थर से बने इस गाँव की बनावट ऐसी थी कि यहाँ कभी गर्मी का अहसास नहीं होता था। कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गए थे कि हवाएँ सीधे घर के भीतर होकर गुजरती थीं और ये घर रेगिस्तान में भी वातानुकूलन का अनुभव देते थे। कुलधरा में ६०० से अधिक घरों के अवशेष, एक मंदिर, एक दर्जन कुएँ, एक बावली, चार तालाब और आधा दर्जन छतरियाँ हैं। घरों के अन्दर के हिस्सों में पालीवालों ने तहखाने बनाये थे जहाँ संभवत वे अपने आभूषण, नकदी और अन्य कीमती सामान रखते होंगे।

सात शताब्दियों तक यहाँ रहने के बाद १८२५ में घटती पानी की आपूर्ति के कारण यहाँ के निवासी इस गाँव को छोड़कर चले गए। कुछ किवदंतियों के अनुसार इस गाँव का विनाश जैसलमेर के राज्य मंत्री सलीम सिंह के अत्याचारों के कारण हुआ था। ग्रामवासी परेशान होकर रातोंरात गाँव छोड़कर चले गए साथ ही श्राप भी दे गए कि यहाँ फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से गाँव वीरान पड़ा हैं और शापित गाँव एवं भूतिया गाँव के नाम से भी जाना जाता है। लोगों की मानें तो रात को यहाँ पालीवाल ब्राह्मणों की आत्माएँ विचरण करती हैं। उनकी आवाज़ें सुनाई देती हैं और कोई न होने के बावजूद यहाँ चहल-पहल रहती है।

२०१५ में पुरातत्व विभाग की पहल पर राजस्थान सरकार ने कुलधरा की इमारतों के नवीनीकरण और मरम्मत के लिए ४ करोड़ रुपये दिए और सभी प्रकार की किंवदंतियों को झुठलाते हुए इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया। इस कारण अब यहाँ प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में देश एवं विदेश से पर्यटक आते रहते है।

 १ सितंबर २०१८

(अगले अंक में एक और गाँव) पृष्ठ- . . . . . . . . . १०. ११. १२.

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