शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

 9. 7. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्क
हास्य व्यंग्य

 

 रवीन्द्र कालिया का
नवीनतम व अप्रकाशित लघु उपन्यास 
ए बी सी डी
धारावाहिक (चौथी किस्त)

नेहा ने मां के हाथ से रिसीवर लिया और पुलिस में पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दाखिल कर दी। वह खुद भी मां को साथ लेकर गाडी में पिता की तलाश में निकली, मगर सडक पर तेज हवाएं थीं और बर्फ। चिरई का पूत भी नजर नहीं आ रहा था, जिससे कुछ दरियाफ्त किया जा सके। गाडी ने एक किलोमीटर का सफर भी तय न किया होगा कि सडकें बर्फ में दफन होने लगीं। "मॉम आगे बढना खतरनाक हो सकता है। हो सकता है, लौटने का रास्ता न मिले।'' नेहा ने तेजी से गाडी वापिस घुमा ली।
°°°

कथा महोत्सव 2003
भारतवासी हिन्दी लेखकों की कहानियों
का संकलन 

'माटी की गंध'
चुनाव चौखाना
पाठकों से निवेदन है वे 'माटी की गंध'
की दस कहानियों को ध्यान से पढ़ें और
अपनी पसंद की कहानी का चुनाव करें।
चुनाव करने से पहले ठीक तरह से
निश्चित कर लें कि किस कहानी को
अपना मत देना है क्यों कि आप केवल
एक ही मत दे पाएंगे।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से दयानंद पांडेय की कहानी
मन्ना जल्दी आना

वह भी सर्दियों के दिन थे। भारत पाकिस्तान में जंग शुरू हो गई। जंग खत्म होने के बाद पूर्वी पाकिस्तान का अस्तित्व खत्म हो चुका था। अब नया देश बांगलादेश दुनिया के नक्शे पर उभर आया। भारत पाकिस्तान के बीच जंग भले खत्म हो गई थी, वहां बांगलादेश में आपस में लोगों में खून खराबा जारी था। खास कर बिहारी मुसलमानों की वहां खैर नहीं थी। तब वहां माना जाता था कि बिहारी मुसलमान पाकिस्तान परस्त है। बांगलादेश बनने के पहले भी बिहारी मुसलमानों और बंगाली मुसलमानों में भारी मतभेद थे।

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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत बृजेश शुक्ला
का आलेख
गंगा की बेटी स्पेन में

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साहित्य समाचार
न्यूयार्क व नयी दिल्ली से नये समाचार

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संस्मरण में
गोविन्द मिश्रा का यात्रा संस्मरण
उजाले की 
चलती–दौड़ती लकीर

°

लघुकथाओं में
महानगर की कहानियों के अंतर्गत
तरूण भटनागर की लघुकथा
भटकाव

!°!

!सप्ताह का विचार!
वि और चित्रकार में भेद है। कवि
अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा
में जीवन के तत्व और सौंदर्य का
रंग भरता है।
— डा रामकुमार वर्मा

 

अनुभूति में

यू एस ए, तथा भारत के
तीन नये कवियों
की सात
नयी
कविताएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
खुशबूग़ज़ाल ज़ैग़म
डेड एण्ड पद्मेश गुप्त
यह तो कोई खेल न हुआ–नवनीत मिश्र
°
देश विदेश में नेपाल से धीरेन्द्र प्रेमर्षि
का आलेख
भारतीय सहयोग–सिंचन से
उर्वर नेपाल
°
कलादीर्घा में कला और कलाकार के
अंतर्गत
जहांगीर सबावाला का परिचय
उनके चित्रों के साथ
°
फुलवारी में  चांद तारों की दुनिया के अंतर्गत  इला प्रवीन से जानकारी
हमारी पृथ्वी और कहानियों के अंतर्गत नीलम जैन  की पद्य कथा चिड़िया रानी
°
विज्ञान वार्ता में डा गुरूदयाल प्रदीप से नये विज्ञान समाचार
°
पर्यटन में महेश कटरपंच की कलम से
अनोखा आकर्षण आम्बेर
°
आज सिरहाने में कृष्ण बिहारी द्वारा शैलेश मटियानी के कहानी संग्रह शैलेश मटियानी की इक्यावन कहानियां
का परिचय
°
यू के में हिन्दी मीडिया के अंतर्गत तेजेन्द्र शर्मा का लेख ब्रिटन में हिन्दी रेडियो के पहले महानायक — रवि शर्मा
°
रसोई घर में
शाकाहारी मुगलई का मस्त ज़ायका
मशरूम मसाला
°
नार्वे से सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद
आलोक' का लेख
हिन्दी संयुक्त
राष्ट्रसंघ की भाषा बन कर रहेगी
°
 कृष्ण बिहारी की आत्मकथा
का अगला भाग
किसे आवाज़ दूं मैं
°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल अग्रवाल
का आलेख
बर्मिंघम में
°
नार्वे निवेदन के अंतर्गत ओस्लो से
सुरेश चंद्र शुक्ला 'शरद आलोक' का
आलेख
वसंत आगमन से पहले

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुर्नप्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला