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१. ३. २०१

सप्ताह का विचार- रंगों का स्वभाव है बिखरना और मनुष्य का स्वभाव है उन्हें समेटकर अपने जीवन को रंगीन बनाना। -मुक्ता

अनुभूति में-
होली के रंगों में डूबी गीत, ग़ज़ल, छंदमुक्त और दोहो के रूप में १९ बिलकुल नई काव्य रचनाएँ

कलम गहौं नहिं हाथ- पिछले दिनों दुबई एअरपोर्ट पर खरीदारी करते मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं जब मैंने केंज़ो अमोर की शेल्फ़ पर हिंदी में...आगे पढ़ें

सामयिकी में- क्रिकेट के मैदान पर कीर्तिमानों का ढेर लगाने वाले सचिन की नई उपलब्धि पर रूपेश गुप्ता की दृष्टि- वाह ! सचिन ‘२००’ तेंदुलकर

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - होली खेलने से पहले बालों में अगर तेल लगा लिया जाए और चेहरे पर क्रीम तो होली का रंग आसानी से छूट जाता है।

पुनर्पाठ में-
१ मार्च २००१ को पर्व परिचय के अंतर्गत प्रकाशित टीम अभिव्यक्ति का आलेख- मार्च माह के पर्व।

क्या आप जानते हैं? कि २१ मार्च २००६ को होली, ईद, गुड फ्राइडे और नवरोज़,  ये चार धर्मों के चार प्रमुख पर्व एक ही दिन मनाए गए थे।

शुक्रवार चौपाल- चौपाल में आज का दिन वार्षिक सैर पर मुसंदम जाने का था। फारस की खाड़ी में स्थित इस अंतरीप पर जाने का कार्यक्रम... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-७ में वसंत और होली के रंगों से सराबोर गीतों-नवगीतों का प्रकाशन प्रतिदिन जारी है। आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा है।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी- ऐसी भी होली

लैब का काम जल्दी- जल्दी निपटा कर, वह एयरपोर्ट पहुँचा, तो पता चला कि न्यूयार्क से राले-डरहम की फ्लाईट विलंब से है, चलने से पहले तो उसने कई बार कंम्प्यूटर पर अमेरिकन एयर लाईन के सूचना विभाग से पता किया था, फ्लाईट समय पर थी. प्रत्यावर्तन के परिवर्तन से यह रोज़ की बात हो गई है.. कभी देर से, तो कभी फ्लाइट्स पहुँचतीं ही नहीं..उसकी दादी और माँ पहली बार अमेरिका आ रहीं हैं और वह उद्विग्न है, कोई उत्साह नहीं है उसमें... जिनको अपने पास बुलाने के लिए वह कभी बहुत उत्सुक था...आज उन्हीं रिश्तों से निर्लिप्त हो गया है वह... बस एक कर्तव्य की तरह सब कार्य कर रहा है। फ्लाईट एक घंटा देर से आ रही है, इस बीच वह घर वापिस नहीं जा सकता, आने जाने में ज़्यादा समय लग जायेगा, उसे यहीं बैठ कर फ्लाईट के आने की प्रतीक्षा करनी है...एयर पोर्ट की चहल-पहल से दूर उसने एक कोना ढूँढा और वह उस कोने में बैठ गया। पूरी कहानी  पढ़ें...
*

अनूप कुमार शुक्ला का व्यंग्य
भीगे चुनर वाली
*

अवधेश कुमार शुक्ल का आलेख
ऋतु वसंत फूली सरसों

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डॉ. दीपक आचार्य की कलम से
घोटिया अंबा में झरता नव वर्ष का संगीत
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उपहार में- एक दो तीन
जावा आलेख होली की शुभकामनाओं के साथ

पिछले सप्ताह

प्रमोद ताम्बट का व्यंग्य
डेंगू परिवार जाली के उस पार
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डॉ विजय कुमार उपाध्याय का आलेख
प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक: भास्कराचार्य

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होली की रंगभरी तैयारियों के साथ
घर परिवार में- रंग बरसे
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समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

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समकालीन कहानियों में कैनेडा से
डॉ. शैलजा सक्सेना की कहानी- शार्त्र

आज तक अनेकों साक्षात्कार मैंने लिए हैं, अनेकों कहानियाँ सुनी हैं पर यह साक्षात्कार बिल्कुल भिन्न था। इसके बाद जीवन के प्राप्य को मैंने कुछ दूसरी ही दृष्टि से देखना शुरू कर दिया। वह आवश्यक कागज़ों को भर कर फाइल सँभाले थोड़ी उद्विग्नता से कुर्सी में सधी बैठी थी। काले चमड़े से मढ़ा शरीर, चमकती सफेद आँखें और चमकते सफेद दाँत। थोड़ा भारी शरीर। काले बालों के बीच हाईलाइट की हुईं लाल लटें, मुझे किसी ने बताया था कि अफ्रीकी महिलाएँ प्राय: विग पहनती हैं क्योंकि उनके बालों का प्रकार उन्हें आधुनिक केश-सज्जा नहीं करने देता। उसके बालों को देख कर मैं क्षण भर को सोच में पड़ी थी कि क्या यह भी विग है? अगर सुंदरता में शरीर के गोरे होने की शर्त न हो तो उसे सुंदर कहा जा सकता था। उसे ''हलो'' कह कर, मौसम का हाल पूछती साक्षात्कार के कमरे में ले आई थी। पूरी कहानी  पढ़ें...

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